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Happy Valentine Day: जन्म-जन्म का प्यार…, पढ़ें वह प्रेम कहानियां जो आज भी हैं अमर

Happy Valentine Day: आज वैलेंटाइन डे मनाया जा रहा है. इस दिन कपल को बेसब्री से इंजतार रहता है. इस दिन हम लेकर ऐसी प्रेम कहानियां, जिसे लोग आज भी नहीं भूले हैं. झारखंड में भी कई ऐसी प्रेम कहानियां जो आज भी अमर है.

Valentine Day 2023: आज 14 फरवरी है. दुनिया के हर लव-वर्ड्स को आज के दिन का इंतजार रहता है. इस खास दिन को लोग अपने-अपने अंदाज में सेलिब्रेट करते हैं. कुछ लोग इस दिन अपनी भावनाओं का इजहार करते हैं तो कुछ अपने पार्टनर संग समय गुजारते हैं और गिफ्ट आदि देते हैं. वैलेंटाइन डे से पहले के स्पेशल दिनों को वैलेंटाइन वीक कहा जाता है. इस पूरे हफ्ते युवा काफी क्रेजी रहते हैं.

यह है वैलेंटाइन डे की कहानी

बताया जाता है कि 270 ईसवी में रोमन साम्राज्य के दौरान क्लाउडियस गोथिकस द्वितीय नामक राजा राज्य करता था. वह प्रेम और शादी के सख्त खिलाफ था. राजा क्लाउडियस गोथिकस द्वितीय ने रोमन सैनिकों के विवाह पर रोक लगा दी थी. आदेश दिया कि कोई अधिकारी या फिर सैनिक प्रेम या शादी नहीं करेगा. राजा चाहता था कि सैनिक बिना शादी के ज्यादा ताकतवर होते हैं. उसी राज्य में संत वैलेंटाइन भी रहते थे. उन्होंने इस आदेश का विरोध किया और राजा के खिलाफ सैनिकों और प्रजा को प्रेम करने के लिए प्रेरित किया. उनकी शादियां भी करवायीं.

राजा ने दिया संत को मारने का आदेश

राजा को जब संत वेलेंटाइन के बारे में जानकारी मिली, तो उसने संत को राज दरबार में बुलाया. राजा ने संत को धर्म बदलने को कहा, लेकिन संत वेलेंटाइन ने इनकार कर दिया और राजा को अपना धर्म बदलने की सलाह दे डाली. राजा को यह बात अच्छी नहीं लगी और उसने संत वैलेंटाइन को मार डालने का आदेश दिया.

किताबों में संत वैलेंटाइन का वर्णन

साल 1260 में संकलित की गयी ऑरिया ऑफ जैकोबस डी वॉराजिन नामक पुस्तक में संत वेलेंटाइन का वर्णन मिलता है. इस संत ने लोगों को प्रेम के बारे में बताया और खुश रहने की जानकारी दी. कई शुरुआती क्रिश्चियन शहीदों के नाम वेलेंटाइन थे.

दोनों बच्चे ही मेरे वैलेंटाइन हैं

अरगोड़ा की रहनेवाली समिता बोस ने अकेले ही अपने दोनों बच्चों का पालन-पोषण कर काबिल बनाया. उनके लिए वैलेंटाइन का मतलब ही बच्चे हैं. वह बताती हैं : 1996 में जब शादी हुई. शुरू से ही ससुरालवालों का व्यवहार अच्छा नहीं रहा. बहुत कोशिश की, लेकिन परिवार अपनाने को तैयार नहीं था. छह माह की गर्भवती थी, तभी मेरा 25 प्रतिशत शरीर जल गया. एक महीने अस्पताल में रही. इस बीच किसी ने मेरी सुध नहीं ली. समय से पहले ही जुड़वा बच्चों का जन्म दिया. बेटा 13 दिनों का था, तभी टेबल से नीचे गिर गया. इस कारण वह 90 फीसदी डिसेबल हो गया. बेटा को कोई रखने को तैयार नहीं था. इसके बाद मैं अपने दोनों बच्चों को लेकर रांची आ गयी. बेटे के कारण जॉब नहीं की. घर में ट्यूशन पढ़ाकर दोनों बेटा-बेटी को पाला. आज बेटी पुणे में जॉब कर रही है. मेरे लिए दोनों बच्चे ही जीवन हैं. वहीं हमारे वैलेंटाइन हैं.

20 सालों की दोस्ती आखिर शादी के बंधन में बंध गयी

लालपुर निवासी सिंपल शालिनी मिंज और सुभाष एक्का एक-दूसरे को 20 वर्षों से जानते हैं. इनकी पहली मुलाकात जेवियर्स कॉलेज में हुई. लेकिन शादी तीन साल पहले ही हुई है. दोनों के बीच अंडरस्टैंडिंग इतनी मजबूत रही कि 20 वर्षों तक रिश्ते में मिठास धुली रही. सिंपल पेश से डॉक्टर हैं और अभी एमजीएम मेडिकल कॉलेज जमशेदपुर में सेवा दे रही हैं. वहीं सुभाष सचिवालय में कार्यरत हैं. दोनों एक-दूसरे काे बहुत अच्छी तरह से समझते हैं. खास बात है कि अपने-अपने स्तर से समाज सेवा में भी योगदान दे रहे हैं. कामकाजी होने के कारण एक-दूसरे को ज्यादा समय नहीं दे पाते. वीकेंड का बेसब्री से इंतजार रहता है. यह वेलेंटाइन डे इनके लिए बेहद खास है. सिंपल कहती हैं कि हम एक-दूसरे को 20 वर्षों से जानते थे, लेकिन 2016-17 में शादी का प्लान किया.

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25 वर्षों के सफर में उतार चढ़ाव का सामना साथ किया

कडरू निवासी जूही सिन्हा और दीपक सिन्हा 25 वर्षों से एक-दूसरे का साथ निभा रहे हैं. इस दौरान जीवन में कई उतार-चढ़ाव का बखूबी सामना किया. जूही बताती हैं : हमदोनों एक ही मोहल्ले में रहते थे. बचपन से एक-दूसरे को जानते थे. घर भी आना-जाना था. लेकिन पता नहीं था कि दोनों कभी हमसफर होंगे. धीरे-धीरे हमारी दोस्ती गहरी होती चली गयी. बड़े होकर अहसास हुआ कि दोस्ती से कुछ बढ़कर है. हमने एक-दूसरे को जीवन साथी बनाने का निर्णय लिया. हालांकि आज से 25 वर्ष पहले अंतरजातीय विवाह करना काफी मुश्किल था. इसलिए हमदोनों ने 1998 में देवड़ी मंदिर में शादी कर ली. इसके बाद परिवार व समाज ने रिश्ता तोड़ लिया. इसके बाद हमदोनों ही एक-दूसरे का परिवार बनकर रिश्ता निभाते चले आये. पति व्यवसाय में लग गये और मैं अपनी पढ़ाई में जुटी रही. डबल एमए, बीएड, पीएचडी करने तक में पति ने हमेशा साथ दिया. हमारे तीन बच्चे हैं, जो अपने करियर को संवारने में जुटे हैं. पूरा विश्वास है कि एक साथ हंसते-गाते जीवन का सफर यूं ही चलते रहेगा. मुझे लगता है जीवन में कुछ भी असंभव नहीं है. यदि दीपक मेरे साथ हैं, तो जीवन की हर कठिनाई को पार कर सकती हूं.

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ये हैं झारखंड की अमर प्रेम कहानियां

कोयल-कारो

डालटेनगंज और आस-पास की वादियों में कोयल और कारो की प्रेम कहानी आज भी गूंजती है. कोयल मुंडा राजा की बेटी थी. कोयल अक्सर पिता से छुपकर नाग की तलाश में जंगल में जाती थी. इसी दौरान जंगल में नागों के देवता कारो मिलते हैं. दोनों में प्रेम हो जाता है.

छैला संदू-बिंदी

तमाड़ के छैला संदू और बिंदी की प्रेम कहानी बेमिसाल है. छैला को प्रेमिका से मिलने जाने के लिए दशम फॉल लताओं के सहारे पार करता था. जब पता चला, तो गांव के लोगों ने लता को आधा काट दिया. फिर छैला के फॉल पार करते वक्त लता टूट गयी और वह फॉल में समा गया.

नेतरहाट का मैगनोलिया प्वाइंट

एक चरवाहे को अंग्रेज अधिकारी की बेटी मैगनोलिया से प्यार हो गया था. चरवाहा हर दिन सनसेट प्वाइंट पर बांसुरी बजाता़ मैगनोलिया उसकी दीवानी हो गयी. गुस्साये अंग्रेज ने चरवाहे की हत्या करवा दी. मैगनोलिया ने भी सनसेट प्वाइंट से घोड़े के साथ छलांग लगा दी.

पंचघाघ जलप्रपात

खूंटी गांव में पांच बहनें रहती थीं, जिन्हें एक ही पुरुष से प्रेम हो गया था. सगी बहनों को जब विश्वासघात का पता चला, तब तक देर हो चुकी थी. पांचों बहनों ने नदी में कूदकर जान दे दी. माना जाता है कि इसके बाद से ही जलप्रपात की धारा पांच हिस्सों में बंट गयी.

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