सरकार एक बार फिर नियोजन व स्थानीय नीति को लेकर कवायद शुरू की है. सूचना के मुताबिक सरकार विधानसभा के बजट सत्र में फिर से स्थानीयता का विधेयक लेकर आयेगी. राज्यपाल रमेश बैस द्वारा विधेयक लौटाये जाने के बाद यह मुद्दा गरम है. मुख्यमंत्री युवाओं से सुझाव मांग रहे हैं. इधर, विपक्ष में भाजपा और आजसू का कहना है कि सरकार इस मुद्दे पर राजनीति कर रही है. इनको छात्रों से माफी मांगनी चाहिए़ युवाओं का तीन वर्ष बरबाद किया.
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने कहा कि हम बेहतर नीति बनाने का प्रयास कर रहे है़ं नियोजन व स्थानीय नीति बनायी गयी, लेकिन वह दुर्भाग्य से लागू नहीं हो पा रहा है़ राज्यपाल ने विधेयक लौटा दिया है़ 27 फरवरी से होने वाले सत्र के बाद विरोधियों को पता चल जायेगा कि हम कैसी नीति लेकर आ रहे है़ं युवाओं से सरकार संवाद कर रही है, इससे उनकी इच्छा का ख्याल रखा जा रहा है.
माले विधायक विनोद सिंह ने कहा है कि राज्य सरकार को तत्काल नियुक्तियों का रास्ता खोलना चाहिए. युवाओं का समय बरबाद हो रहा है. नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू होने से आशा जगेगी. नीतियां बनाने का काम होना चाहिए़, इसके लिए विधानसभा में चर्चा होगी़ टेट पास पारा शिक्षकों से शिक्षक नियुक्ति या फिर अनुबंध पर जो लोग बहाल हैं, उनकी नियुक्ति की जा सकती है. इसमें कहीं कोई अड़चन नहीं है.
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश ने कहा है कि 1932 के खतियान के मामले में सरकार बैकफुट पर है. यह सरकार भागने का रास्ता खोज रही है. पूरे मामले का राजनीतिकरण किया जा रहा है. सरकार को 1932 खतियान लागू करने से किसने रोका है. इनको पता है कि इसका क्या हश्र होना है. सरकार केवल लोगों को भ्रम में रखना चाहती है. इस सरकार को आदिवासी-मूलवासी से कोई लेना-देना नहीं है.
आजसू अध्यक्ष सुदेश कुमार महतो ने कहा है कि इस सरकार को सबसे पहले राज्य के लोगों खासकर युवाओं से माफी मांगनी चाहिए़. पहले इन्होंने अपने चुनावी घोषणा पत्र में वादा किया, फिर अस्पष्ट नीति लेकर आये़ पूरी तरह से फेल हो गये़ युवाओं का भविष्य बरबाद किया है़ संवैधानिक पहलुओं पर बिना सोचे-समझे काम कर रहे है़ं सरकार चलाने की समझ, विजन नहीं है़ झारखंड के प्रति कोई संवेदना नहीं है.