Infosys freshers Job Alert: भारत की दूसरी बड़ी सॉफ्टवेयर सर्विस प्रोवाइडर इंफोसिस में बीते दिनों छंटनी की खबर सुर्खियां बनी थी. दरअसल, कंपनी ने इंटरनल फ्रेशर एसेसमेंट टेस्ट में फेल रहने के बाद सैकड़ों नए कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया था. रिपोर्ट्स के मुताबिक, फ्रेशर्स के लिए एक एसेसमेंट टेस्ट रखा गया था, जिसे पास नहीं करने वाले कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया गया. हालांकि, कंपनी की तरफ से कोई बयान नहीं आया. वहीं, अब कंपनी में ज्वॉइनिंग का इंतजार कर रहे सैकड़ों फ्रेशर्स के लिए एक अच्छी खबर सामने आ रही है.
बताते चलें कि आईटी दिग्गजों द्वारा महत्वाकांक्षी तकनीकी विशेषज्ञों को दिए गए ऑफर लेटर को रद्द करने पर उनके हस्तक्षेप की मांग करते हुए केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विन वैष्णव को पत्र लिखने के चार महीने बाद आईटी पेशेवरों के फोरम (ForIT) ने अब सैकड़ों फ्रेशर्स को नौकरी से निकालने के लिए इंफोसिस की आलोचना की है. साथ ही उन्हें बहाल करने की मांग की. ForIT ने छंटनी की ताजा लहर के बीच Infosys के इंटरनल फ्रेशर एसेसमेंट टेस्ट को पास करने में विफलता का हवाला देते हुए सैकड़ों फ्रेशर्स को जॉब नहीं देने के कंपनी की कार्रवाई की कड़ी निंदा की. कहा गया कि Infosys ने अनिवार्य रूप से सैकड़ों लोगों के जीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है.
ForIT ने कहा कि इंफोसिस तुरंत इन अवैध कार्यों को रोके और बर्खास्त कर्मचारियों को वापस ले. साथ ही मांग करते हुए कहा, सरकार को इस मामले में हस्तक्षेप करना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि आईटी पेशेवरों की नौकरियां सुरक्षित हैं. ForIT ने प्रभावित इन्फोसिस फ्रेशर्स से इस्तीफा नहीं देने का आग्रह किया और इंटरनल एसेसमेंट का सामना करने के लिए प्रशिक्षण प्राप्त करने वालों को अपनी सहायता की पेशकश की. फोरम, जो अदालतों और श्रम आयुक्त के कार्यालय में आईटी पेशेवरों की ओर से मुकदमे दायर कर रहा है और लड़ रहा है, ने भी श्रम विभाग से इस मुद्दे पर स्वत: संज्ञान लेने और नए लोगों को बहाल करने की मांग की है. वहीं, आईटी महासचिव प्रवीण चंद्रहास ने टीओआई को बताया कि उन्हें सैकड़ों इन्फोसिस फ्रेशर्स से फोन आ रहे हैं, जो इस समस्या का सामना कर रहे हैं.
दुकान और प्रतिष्ठान अधिनियम की धारा 47 का हवाला देते हुए ForIT ने कहा कि यह नियम निर्धारित करता है और सुनिश्चित करता है कि कर्मचारियों को कंपनी की सनक और इस आधार पर समाप्त नहीं किया जा सकता है. आईटी कर्मचारी श्रम कानूनों के अधीन हैं और इन कंपनियों को उनका पालन करना आवश्यक है. सरकार को हर उल्लंघन को गैरकानूनी मानना चाहिए और तेजी से कार्रवाई करनी चाहिए. हैदराबाद स्थित फोरम, जो आईटी पेशेवरों के हितों का प्रतिनिधित्व करता है, ने कहा कि पिछली तिमाही में 11,757 करोड़ रुपये के सकल लाभ वाली कंपनी (YoY CC राजस्व वृद्धि 13.7 फीसदी) को नवोदित कर्मचारियों के भविष्य में आशाओं को नहीं मारना चाहिए, जिनके प्रशिक्षण लागत कंपनी के लिए एक छोटी राशि है.
इंफोसिस के सह-संस्थापक पर अपने बयान के लिए फटकार लगाते हुए कि छंटनी अवांछनीय है, अभ्यास से बचा नहीं जा सकता, ForIT ने इसे अनुचित करार दिया और कहा कि इस तरह के गैर-जिम्मेदाराना बयानों से कर्मचारियों की संख्या कम हो जाती है. आईटी फोरम ने यह भी कहा कि छंटनी, यदि कोई हो तो वो शीर्ष पर शुरू होनी चाहिए. कंपनी के सीईओ और बिक्री दल जो अधिक परियोजनाएं प्राप्त करने में विफल रहते हैं, वे हैं जिनकी विफलताओं से राजस्व में कमी आती है. छंटनी ऊपर से शुरू होनी चाहिए, न कि कार्यबल से, जो कंपनी के लिए धन जेनरेट करते हैं. यह इंगित करते हुए कि हाल के दिनों में 100 में से 15 इंजीनियर आईटी उद्योग में शामिल हो रहे हैं, फोरम ने कहा- कई परीक्षाओं से गुजरने और नौकरी हासिल करने के बाद, उन्हें यह कहकर बलि का बकरा नहीं बनाया जा सकता है कि वे आगे नहीं बढ़ सकते. कर्मचारियों को पर्याप्त अवसर दिए जाना चाहिए.
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