नई दिल्ली : आर्थिक विचार समूह जीटीआरआई ने शुक्रवार को कहा कि जीएसटी परिषद को कर छूट सीमा बढ़ाकर सालाना 1.5 करोड़ रुपये कारोबार तक करने के साथ ही राज्यवार पंजीकरण की जरूरत खत्म करने के बारे में भी सोचना चाहिए. ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) ने एक बयान में कहा कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के बारे में नीतिगत निर्णय करने वाली इकाई जीएसटी परिषद को अब कर अनुपालन को सुगम बनाकर फायदे बढ़ाने की जरूरत पर ध्यान देना चाहिए. इसके लिए उसने सात सुधारों का सुझाव भी दिया है.
जीटीआरआई के सुझावों में 1.5 करोड़ रुपये तक सालाना कारोबार वाली फर्मों को जीएसटी से छूट देने का प्रस्ताव सबसे अहम है. उसने कहा कि ऐसा करना देश की सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम इकाइयों (एमएसएमई) के लिए पासा पलटने वाला साबित होगा और वे नए रोजगार देने के साथ वृद्धि को भी रफ्तार दे सकेंगी. फिलहाल 40 लाख रुपये से कम सालाना कारोबार वाली उत्पाद फर्मों को ही जीएसटी पंजीकरण से बाहर रहने की छूट मिली हुई है. वहीं, सेवा फर्मों के मामले में यह दायरा 20 लाख रुपये कारोबार तक सीमित है.
जीटीआरआई ने कहा कि कुल पंजीकृत फर्मों में से 1.5 करोड़ रुपये से कम सालाना कारोबार वाली फर्मों की संख्या करीब 84 फीसदी है, लेकिन कुल संग्रहीत कर में इनकी भागीदारी 7 फीसदी से भी कम है. अगर कर छूट की सीमा बढ़ाकर 1.5 करोड़ रुपये की जाती है, तो जीएसटी प्रणाली पर बोझ घटेगा और उन्हें 23 लाख से भी कम करदाताओं से निपटना होगा. जीएसटी नेटवर्क पर 1.4 करोड़ से भी अधिक फर्में पंजीकृत हैं. इस तरह यह अप्रत्यक्ष करों का सबसे बड़ा वैश्विक मंच है.
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जीटीआरआई ने कहा कि जीएसटी नेटवर्क पर बोझ घटने से बिलों एवं रसीदों के मिलान की संकल्पना लागू हो पाएगी और फर्जी बिल एवं कर चोरी की समस्या भी काफी हद तक दूर हो जाएगी. इससे होने वाले लाभ 1.5 करोड़ रुपये तक के कारोबार वाली फर्मों को बाहर करने से होने वाले 7 फीसदी कर नुकसान से कहीं अधिक होंगे. इसके साथ ही, विचार समूह ने राज्य-वार पंजीकरण की जरूरत खत्म करने के बारे में जीएसटी परिषद से गौर करने का अनुरोध किया है. फिलहाल, कोई कंपनी अगर 10 राज्यों में कारोबार करती है, तो उसे सभी जगह पर जीएसटी नंबर लेना होगा. इससे उन्हें इनपुट टैक्स क्रेडिट लेने में समस्या होती है.
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