Mahashivratri 2023 Remedies and Upay: देशभर में महाशिवरात्रि का त्योहार आज यानी शनिवार 18 फरवरी को मनाया जा रहा है. प्रदोष तिथि 18 फरवरी को दोपहर को आएगी जो 19 फरवरी को दोपहर तक चलेगी. चूंकि महाशिवरात्रि में भगवान शिव की चार पहर की पूजा और हवन करने का विधान है इसलिए ये त्योहार आज 18 फरवरी को ही मनाया जा रहा है. शिवजी की पूजा में ऐसी बहुत सी बातें हैं जिनका ध्यान रखना चाहिए, यहां हम आपको बतानें वालें हैं ऐसी ही गलतियों के बारे में जिसे शिवरात्रि की पूजा में नहीं करना चाहिए
महाशिवरात्रि पर आपको ध्यान रखना है कि भोलेनाथ के पूजन में केतकी और चंपा के फूल का उपयोग कतई नहीं करना चाहिए. ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव द्वारा ये फूल श्रापित हैं. ऐसे में आपको भी इन फूलों के उपयोग से बचना है.
किसी भी पूजा में अक्षत यानि चावल का विशेष महत्व होता है. ऐसे में आपको भी ध्यान रखना है कि इसमें भूलकर भी टूटे अक्षत न चढ़ाएं. वो इसलिए क्योंकि टूटा चावल अपूर्णता का प्रतीक माना जाता है. इसलिए कोशिश करें कि टूटे हुए अक्षत चढ़ाने से बचें.टूटे बेल चढ़ाने से बचें.
कोशिश करें कि जब भी बेल पत्र चढ़ाएं तो इस पर चंदन से राम लिखा हो.
महाशिवरात्रि पर जो लोग चारों पहर की पूजा का विशेष महत्व होता है. आपको बता दें पहले प्रहर में जल से अभिषेक, दूसरे प्रहर का अभिषेक दही, तीसरे प्रहर का अभिषेक घी और चौथे प्रहर का अभिषेक शहद से करने का विधान है. ऐसा करने से आपको यश और वैभव की प्राप्ति होती है.
भगवान शिव को बेर चढ़ाने का भी विशेष महत्व होता है. वो इसलिए क्योंकि बेर को चिरकाल के रूप में देखा जाता है. इसलिए इस रूप में शिवजी का प्रतीक मानते हैं.
भगवान शिव के पूजन में रोली का पूजन नहीं करना चाहिए. इसकी जगह चंदन का उपयोग किया जाता है. वो इसलिए क्योंकि भगवान शिव के रुद्र रूप को शांत करने के लिए उनके माथे पर चंदन लगाया जाता है. चूंकि चंदन की प्रकृति ठंडी होती है. इसलिए इसका उपयोग भगवान शिव के पूजन में किया जाता है.
काला रंग अशुभता का प्रतीक माना जाता है. पूजन में ये रंग वर्जित माना गया है. इसलिए कोशिश करें कि महाशिवरात्रि पर पूजन में लाल, सफेद या गुलाबी रंग का उपयोग किया जाए.
इस बात का ध्यान रखें कि भगवान शिव को चढ़ाए प्रसाद को भूलकर भी ग्रहण न करना. ऐसा करना आपके जीवन दुर्भागय, हानि और बीमारियां ला सकता है.
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