UP Politics: समाजवादी पार्टी द्वारा अपने नेताओं को धार्मिक मुद्दों पर बहस से परहेज करने की हिदायत के बीच राष्ट्रीय महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य ने एक बार फिर हमला बोला है. स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि देश की महिलाओं, आदिवासियों, दलितों, पिछड़ों को अपमान से बचाना, सम्मान दिलाना यह धार्मिक मुद्दा नहीं है.
दरअसल स्वामी मौर्य ने पिछले महीने 22 जनवरी को एक बयान में ‘श्रीरामचरितमानस’ की आलोचना करते हुए कहा था कि उसके कुछ अंशों से दलितों, पिछड़ों और महिलाओं की भावनाएं आहत होती हैं, लिहाजा इस पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए. उनके इस बयान पर यूपी में जमकर विवाद हुआ था.
16 फरवरी को सपा के राष्ट्रीय सचिव राजेन्द्र चौधरी ने बयान जारी कर कहा कि पार्टी अध्यक्ष और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सभी कार्यकर्ताओं, पार्टी नेताओं, पदाधिकारियों तथा प्रवक्ताओं को हिदायत दी है कि वे टीवी चैनलों पर होने वाली परिचर्चाओं के दौरान साम्प्रदायिक मुद्दों पर बहस से परहेज करें. भारतीय जनता पार्टी धार्मिक मुद्दे उठाकर जनता का ध्यान बुनियादी मुद्दों से भटकाने की लगातार कोशिश कर रही है. इसलिए सपा नेता टीवी चैनलों पर धर्म से सम्बन्धित बहसों में नहीं उलझें.
विधानसभा में राज्यपाल के अभिभाषण के बाद सदन से बाहर आने पर सपा महासचिव एवं विधान परिषद सदस्य मौर्य ने पत्रकारों द्वारा धार्मिक मुद्दों पर बहस न करने के पार्टी के फैसले के बारे में पूछे जाने पर कहा पहली बात तो यह कि देश की महिलाओं, आदिवासियों, दलितों, पिछड़ों को अपमान से बचाना, सम्मान दिलाना यह धार्मिक मुद्दा नहीं है.
रामचरितमानस पर मौर्य के बयान को सपा द्वारा उनका निजी बयान बताने के सवाल पर उन्होंने कहा जो बात बहुत पहले बीत गई, अब उसे फिर से उछालने का कोई मतलब नहीं है. हालांकि रामचरितमानस की चौपाई (ढोल, गंवार, शूद्र, पशु, नारी, ये सब ताड़न के अधिकारी) के भावार्थ को अच्छी तरह समझने के सवाल पर उन्होंने कहा मैं अच्छी तरह से भावार्थ समझा हूं, चूंकि अवधी में इतनी सरल भाषा में लिखी गई है कि हम ही नहीं, कक्षा पांच में पढ़ने वाला विद्यार्थी भी उसका अर्थ अच्छी तरह समझता है. इसी चौपाई को स्वामी प्रसाद मौर्य देश की महिलाओं, आदिवासियों, दलितों, पिछड़ों का अपमान बता रहे हैं. उन्होंने दोहराया मैं अपने रुख पर कायम हूं और इस चौपाई को रामचरितमानस से निकालने के लिए मैंने प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है.
मौर्य से जब पत्रकारों ने पूछा कि आप महिलाओं की बात करते हैं, लेकिन इसी मुद्दे पर बयानबाजी के चलते आपकी पार्टी की दो महिला नेताओं को सपा से निष्कासित किया गया है, इसके जवाब में उन्होंने कहा अब जो निष्कासित की गयी हैं, उनके विषय में मुझे कुछ नहीं कहना है. हालांकि इस फैसले को महिला उत्पीड़न से जोड़े जाने पर उन्होंने तपाक से कहा यह अनुशासनात्मक कार्रवाई में आता है, यह महिला उत्पीड़न नहीं है. बड़बोलेपन पर अनुशासनात्मक कार्रवाई के कई बार प्रयास किए गए, लेकिन लगातार अनुशासनहीनता का परिणाम है उनका निष्कासन.
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बता दें कि सपा ने पिछले दिनों पार्टी की महिला नेता रोली तिवारी मिश्रा और रिचा सिंह को समाजवादी पार्टी से निष्कासित कर दिया था. दोनों ने ‘रामचरितमानस’ पर स्वामी प्रसाद मौर्य की टिप्पणी का विरोध किया था.