राज्य में अब झारखंड शिक्षा परियोजना के कर्मी एक जिला में अधिकतम तीन साल व एक प्रमंडल में अधिकतम छह वर् तक अपनी सेवा दे सकेंगे. इसके बाद उनका स्थानांतरण होगा. झारखंड शिक्षा परियोजना कार्यकारिणी परिषद ने कर्मियों की स्थानांतरण-पदस्थापन नियमावली को अपनी मंजूरी दे दी है. राज्य में अभी तक कर्मियों के स्थानांतरण की कोई नियमावली नहीं थी.
फिलहाल आवश्यकता के अनुसार प्रखंड स्तर के कर्मियों का जिला स्तर से व राज्य कैडर के लिए जिलास्तरीय पदाधिकारी व कर्मियों का राज्यस्तर से स्थानांतरण किया जाता था. नियमावली नहीं होने कारण कर्मी स्थानांतरण का विरोध भी करते थे.
पिछले वर्ष कर्मियों ने स्थानांतरण के विरोध में आंदोलन की घोषणा कर दी थी. झारखंड शिक्षा परियोजना कार्यकारिणी परिषद के समक्ष कर्मियों के स्थानांतरण नियमावली का मामला रखा गया था. कार्यकारिणी परिषद के निर्देश पर झारखंड शिक्षा परियोजना द्वारा नियमावली बनायी गयी है.
शिक्षा परियोजना कर्मियों का स्थानांतरण भी अब सरकारी कर्मियों के अनुरूप होगा. अब जिला स्तर पर नियुक्त कर्मी एक प्रखंड में अधिकतम तीन वर्ष रह सकेंगे. वहीं जिला स्तरीय पदाधिकारी व कर्मी जिनकी नियुक्ति राज्य स्तर से हुई है, वे एक जिला में अधिकतम तीन व उस प्रमंडल के अंतर्गत अधिकतम छह वर्ष तक अपनी सेवा दे सकेंगे. नियमावली में कर्मियों के प्रशासनिक आधार पर भी स्थानांतरण का प्रावधान किया गया है. जिन कर्मियों के द्वारा अपने दायित्वों का निर्वहन ठीक से नहीं किया जायेगा, उनका स्थानांतरण प्रशासनिक आधार पर किया जायेगा.
शिक्षा परियोजना के तहत कार्यरत बीआरपी-सीआरपी के मानदेय में 50 फीसदी तक वृद्धि होगी. शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो ने इस प्रस्ताव को स्वीकृति दे दी है. प्रस्ताव अब कैबिनेट को भेजा जायेगा. मानेदय में आठ हजार से लेकर अधिकतम 8750 रुपये तक की बढ़ोतरी होगी. बीआरपी-सीआरपी के मानदेय में 2019 के बाद से वृद्धि नहीं हुई थी. इस दौरान पारा शिक्षक, शिक्षा परियोजना के कर्मियों के मानदेय में वृद्धि हुई है. अब बीआरपी-सीआरपी के मानदेय में भी वृद्धि का निर्णय लिया गया है.