बिहार सरकार ने जीरो टॉलरेंस की नीति के तहत घोसवरी के तत्कालीन प्रखंड विकास पदाधिकारी (BDO) जयवर्द्धन गुप्ता को सेवा से बर्खास्तगी पर कैबिनेट ने मुहर लगा दी है. गुप्ता पर लोहिया स्वच्छ बिहार अभियान के तहत निर्मित शौचालयों का जियो टैगिंग नहीं करने के आरोप और रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ पकड़े जाने पर सेवा से बर्खास्तगी पर सहमति दी गयी है.
बीपीएससी पेपर लीक मामले में थी बड़ी भूमिका
जयवर्द्धन गुप्ता आठ मई 2022 को आरा के केंद्र पर 67 वीं बीपीएससी प्रारंभिक परीक्षा के दौरान मजिस्ट्रेट के रूप में तैनात थे. प्रश्नपत्र लीक मामले की जब जांच हुई थी तो उसकी आंच जयवर्द्धन गुप्ता तक पहुंच गयी थी. इसके बाद इन्हें प्रश्न पत्र लीक करने के मामले में पटना बुलाकर पूछताछ के बाद गिरफ्तार भी किया गया था. पेपर लीक मामले में इनकी बड़ी भूमिका बतायी जाती है. जयवर्द्धन गुप्ता बांका के रहने वाले हैं.
5 साल पहले रिश्वत लेते भी हुए थे गिरफ्तार
जयवर्धन गुप्ता को करीब पांच साल पहले पटना स्थित घोसवरी प्रखंड के बीडीओ रहते निगरानी विभाग की टीम ने एक लाख रुपये घूस लेते हुए रंगेहाथ पकड़ा था. मालपुर गांव के रहने वाले दिनेश गोप ने निगरानी अन्वेषण ब्यूरो में रिश्वत लेने का आरोप लगाते हुए इनकी शिकायत दर्ज करायी थी. शिकायत के सत्यापन के बाद विजिलेंस ने बीडीओ को पकड़ लिया था, और इन्हें पद से भी हटा दिया गया था.
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सहायक अभियंता उपेंद्र कुमार सिंह भी बर्खास्त
इसी प्रकार नीतीश कैबिनेट ने ग्राम अभियंत्रण संगठन, सिमडेगा (झारखंड) के तत्कालीन सहायक अभियंता उपेंद्र कुमार सिंह को भी सेवा से बर्खास्त करने की स्वीकृति दे दी है. उपेंद्र कुमार सिंह को सीबीआइ कांड में सक्षम न्यायालय द्वारा दोषी करार दिये जाने के कारण सेवा से बर्खास्त किया गया है.