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बिहार के एक और IPS को शो-कॉज, मुजफ्फरपुर के पूर्व एसएसपी जयंतकांत से IG ने मांगा जवाब, जानें पूरा मामला

बिहार की नौकरशाही आजकल अपने काम से ज्यादा काम की लापरवाही के कारण चर्चा में है. पिछले दिनों ही एक आइपीएस अधिकारी ने नोटिस का जबाव गृह मंत्रालय को भेजा है, तो अब दूसरे आइपीएस अधिकारी को आइजी ने नोटिस थमा दिया है.

पटना. बिहार की नौकरशाही आजकल अपने काम से ज्यादा काम की लापरवाही के कारण चर्चा में है. पिछले दिनों ही एक आइपीएस अधिकारी ने नोटिस का जबाव गृह मंत्रालय को भेजा है, तो अब दूसरे आइपीएस अधिकारी को आइजी ने नोटिस थमा दिया है. काम में लापरवाही और कार्यशौली पर उठे सवाल के बाद सीनियर आईपीएस जयंतकांत के खिलाफ विभागीय जांच शुरू हो गयी है. फिलहाल आईजी ने उन्हें कारण बताओ नोटिस दिया है. संतोषप्रद जवाब नहीं मिलने पर आगे की कार्रवाई की जायेगी.

विभागीय अधिकारियों ने कार्यशैली पर उठाये सवाल 

बताया जाता है कि सीनियर आईपीएस जयंतकांत पर मुजफ्फरपुर में एसएसपी रहते उनके कार्यों पर विभाग के वरीय अधिकारियों ने सवाल उठाया है. नियम की अनदेखी कर थानेदारों की पोस्टिंग करने पर मुजफ्फरपुर के पूर्व एसएसपी जयंतकांत को शो-कॉज किया गया है. आईजी पंकज कुमार सिन्हा के द्वारा यह कार्रवाई की गई है. आरोप में कहा गया है कि जयंतकांत ने एसएसपी रहते हुए दो साल और एक साल से कम अवधि में एक थानेदार को हटाकर दूसरे की पोस्टिंग करने से पूर्व इसका अनुमोदन आईजी से नहीं लिया था.

आईजी की अनुमति के बिना करते रहे तबादला 

जयंतकांत के ऊपर आईजी ने नियम विरुद्ध की गई पोस्टिंग को लेकर वर्तमान एसएसपी को कार्रवाई का निर्देश दिया है. तत्कालीन एसएसपी ने स्थानांतरण से कुछ दिनों पहले भी कई थानेदारों की पोस्टिंग की थी. इससे गायघाट, मनियारी, कटरा, सिवाईपट्टी, बेला थाना के अलावा बरियारपुर व सिकंदपुर ओपी शामिल है. इसके अलावा इंस्पेक्टर के लिए अधिसूचित मीनापुर और मोतीपुर थाने में सब इंस्पेक्टर को थानेदार बनाया गया है. अब इससे जिले के नौ थानेदारों की कुर्सी पर खतरा उत्पन्न हो गया है. थानेदार के रूप में उनकी पोस्टिंग रद्द हो सकती है.

नियम के खिलाफ करते रहे काम 

पुलिस कानून के जानकार बताते हैं कि किसी भी थानेदार को नियमत एक बार पोस्टिंग होने पर तीन साल तक थानेदार रहना है. इससे पहले थानेदार को हटाकर दूसरे थानेदार की पोस्टिंग के लिए आईजी को कारण बताकर इसका अनुमोदन लेना पड़ता है. लेकिन, तत्कालीन एसएसपी जयंतकांत के कार्यकाल में इसकी अनदेखी हुई. उन्होंने एक साल से कम अवधि में भी कई थानेदारों को लाइन क्लोज कर दूसरे थानेदार की पोस्टिंग कर दी. इसका अनुमोदन भी नहीं लिया गया. इसे आईजी ने गंभीरता से लिया है.

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