बाघमारा,रंजीत सिंह. जिंदा हैं, उन्हें कई चक्कर काटने के बाद भी जनवितरण का राशन नहीं मिल रहा है. वहीं जो स्वर्ग सिधार चुके हैं, उनका राशन बंट रहा है. यह कारनामा बाघमारा प्रखंड में उजागर हुआ है. प्रखंड की 61पंचायतों की 199 पीडीएस दुकानों से संबद्ध ऐसे 1600 लोग हैं, खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत जिनके लाल कार्ड पर राशन उठाया जा रहा है. जांच के कई साथ यह आंकड़ा बढ़ता ही जा रहा है.
घरों में बेटियां शादी के पश्चात अपनी ससुराल चली गयी हैं, कतिपय लोग अन्यत्र बस गये हैं, पर हर माह कई क्विंटल राशन उठ रहा है. राशन कार्डों को लाभुकों के आधार कार्ड से लिंक करने के दौरान यह कारनामा उजागर हुआ है. ऐसा नहीं है कि यह मामला सिर्फ बाघमारा प्रखंड का है. जिला के सभी 10 प्रखंडों में ऐसे लोगों के नाम पर राशन उठ रहा है. नियम कहता है कि किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसका नाम सूची से डिलीट कर देना चाहिए. जबकि दुकानदार मृतकों को जिंदा बताकर सरकार को चूना लगा रहे हैं.
यदि किसी राशनकार्डधारी मुखिया की मृत्यु होती है तो उसका नाम बकायदा परिवर्तित कर दूसरे सदस्य के नाम से कार्ड बनाने का नियम है. लेकिन यहां सालों से राशन कार्ड न ही बदला गया और न ही मुखिया या मृत सदस्यों के नाम काटे गये हैं. बताते चलें कि अगर नियमों के तहत नये सिरे से खाद्य सुरक्षा अधिनियम की समीक्षा की जाये, तो निश्चित तौर पर प्रतीक्षा सूची में शामिल गरीब आवेदकों का भला हो जायेगा.
सरकार की आंखों में धूल झोंक कर खाद्यान्न का उठाव करने वालों से प्रशासन 42 रुपये प्रति किलो की दर से पैसा वसूल करता है. इसमें चक्रवृद्धि ब्याज भी होता है. सरकार यही चावल 28 रुपये प्रति किलो की दर से खरीदती है.
उपायुक्त संदीप सिंह ने पिछले दिनों सभी प्रखंडों को एक पत्र लिखा था. इसमें कहा गया था कि सभी प्रखंड आपूर्ति पदाधिकारी खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत हर पारिवारिक लाल कार्ड के सभी लाभुकों के साथ कार्ड होल्डर एवं कार्ड नंबर दर्ज करने के साथ उन्हें आधार कार्ड से टैग करें. पत्र मिलने के साथ अधिकारी रेस हो गये. प्रखंड आपूर्ति पदाधिकारियों ने अपने-अपने क्षेत्र के पीडीएस डीलरों के साथ बैठक की. उन्हें सरकार एवं उपायुक्त के निर्देश का सख्ती से पालन करने की बात कही. पीडीएस संचालक चावल उठाने आने वाले कार्डधारियों से आधार कार्ड की मांग करने लगे हैं.
वर्ष 2014 में खाद्य सुरक्षा अधिनियम लागू हुआ था. तबसे जिला स्तर पर इसकी समीक्षा नहीं हुई थी. सरकार के आदेश पर अभी सभी प्रखंडों में लाल कार्ड में शामिल लाभुकों को आधार कार्ड से टैग किया जा रहा है. टैगिंग के दौरान ही चौंकाने वाली बातें सामने आ रही हैं. मृत लोगों के साथ-साथ विवाह कर ससुराल चली गयी बेटियों एवं अन्यत्र जा बसे लोगों के नाम पर भी हर महीने सरकारी राशन का उठाव हो रहा है.