12.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

समय की नब्ज पकड़ने वाले लेखक हैं काशीनाथ सिंह,‘बातें हैं बातों का क्या’ के लोकार्पण अवसर पर बोले वीरेंद्र यादव

प्रो माधव हाड़ा ने कहा कि काशीनाथ सिंह का व्यक्तित्व आत्मीयता से भरा हुआ है और उनका लेखन भूमंडलीकरण के बाद बन रहे भारतीय समाज की प्रमाणिकता से पड़ताल करता है.

-अनुपम त्रिपाठी-

सुप्रसिद्ध कथाकार काशीनाथ सिंह के साक्षात्कारों की नयी पुस्तक ‘बातें हैं बातों का क्या’ का लोकार्पण दिल्ली में चल रहे विश्व पुस्तक मेले में हुआ. राजकमल प्रकाशन के जलसाघर में आयोजित समारोह में प्रसिद्ध इतिहासकार कृष्ण मोहन श्रीमाली, वरिष्ठ आलोचक वीरेंद्र यादव और माधव हाड़ा ने किताब का लोकार्पण किया.

काशीनाथ सिंह का काम दुर्लभ

वीरेंद्र यादव ने इस अवसर पर कहा कि काशीनाथ सिंह हमारे समय और समाज की नब्ज पकड़ने वाले लेखक हैं जिनकी कृति ‘काशी का अस्सी’ हिंदी की विख्यात कृतियों में अग्रणी है. उन्होंने कहा कि काशीनाथ सिंह के साक्षात्कारों से उनके लेखक व्यक्तित्व को अधिक गहराई से देखने-समझने का अवसर मिलेगा. यादव ने संकलन के सुंदर प्रस्तुतीकरण के लिए राजकमल प्रकाशन को बधाई देते हुए कहा कि बनारस के जीवन को जिस समग्रता में काशीनाथ सिंह ने लिखा है वैसा कार्य हिंदी में दुर्लभ है.

Also Read: विश्व पुस्तक मेला : मीरा के कवि कर्म को पहचान दिलाने की कोशिश है प्रो माधव हाड़ा की पुस्तक वैदहि ओखद जाणे… काशीनाथ सिंह का लेखन सहज

वहीं प्रो माधव हाड़ा ने कहा कि काशीनाथ सिंह का व्यक्तित्व आत्मीयता से भरा हुआ है और उनका लेखन भूमंडलीकरण के बाद बन रहे भारतीय समाज की प्रमाणिकता से पड़ताल करता है. हाड़ा ने काशीनाथ सिंह की भाषा की प्रशंसा करते हुए कहा कि काशीनाथ सिंह मूलत: सम्वादी हैं और उनका असम्वादी व्यक्तित्व उनके लेखन को सहज बनाता है.

Undefined
समय की नब्ज पकड़ने वाले लेखक हैं काशीनाथ सिंह,‘बातें हैं बातों का क्या’ के लोकार्पण अवसर पर बोले वीरेंद्र यादव 2
हिंदी के शीर्ष कथाकार

पुस्तक के संपादक पल्लव ने कहा कि यह उनका सौभाग्य है कि हिंदी के शीर्ष कथाकार के साक्षात्कारों को उन्हें एक जगह प्रस्तुत करने का अवसर मिला. उन्होंने इस पुस्तक को कथेतर विधाओं के महत्व का प्रमाण बताते हुए कहा कि इन साक्षात्कारों से हमारे समकालीन समाज और साहित्य को देखने-समझने का भी रास्ता मिलता है.

साक्षात्कारों की यह दूसरी पुस्तक

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे प्रसिद्ध इतिहासकार कृष्ण मोहन श्रीमाली ने शुभाशंसा व्यक्त करते हुए हिंदी में नवाचारों की सराहना की. संयोजन कर रहे कथाकार मनोज कुमार पांडेय ने बताया कि गपोड़ी से गपशप के बाद काशीनाथ सिंह के साक्षात्कारों की यह दूसरी पुस्तक है. लोकार्पण में प्रसिद्ध आलोचक प्रो जीवन सिंह, कवि पंकज चतुर्वेदी, आलोचक शम्भु गुप्त, डॉ कनक जैन, डॉ रेनु त्रिपाठी भी उपस्थित थे. कार्यक्रम के अंत में राजकमल प्रकाशन के आमोद माहेश्वरी ने सभी का आभार व्यक्त किया.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें