बेगूसराय. बिहार में आलू पैदा करनेवाले किसान गुस्से में हैं. बेगूसराय समेत पूरे बिहार में इस बार आलू की पैदावार काफी अच्छी हुई है, लेकिन किसानों को 4 रुपये किलो भी खरीददार नहीं मिल रहा है. कोल्ड स्टोरेज में रखने के लिए जगह भी नहीं है. ऐसे में किसानों का कहना है कि एनएच पर आलू फेंकने के अलावा उनके पास कोई विकल्प नहीं है. किसानों ने बताया कि आलू की खेती का लागत का मूल्य का आधा दाम भी नहीं मिल पा रहा है. यदि यही स्थिति बनी रही तो अगले साल से किसान आलू की खेती छोड़ने को विवश होंगे. आलू इस बार किसानों की कमर तोड़ रही है. कम रेट ने किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें खींच दी है.
बेगूसराय में आलू की खेती में नुकसान को लेकर किसान लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. पूरा मामला बछवाड़ा प्रखंड क्षेत्र के रानी एक पंचायत की है. झमटिया ढाला चौक के समीप एनएच 28 पर दर्जनों किसानों ने एनएच 28 पर आलू फेंक कर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया. इस कारण सड़क पर आवाजाही पूरी तरह से बंद हो गया. सड़क के दोनों किनारे वाहनों की लम्बी लाइन लगी गयी. प्रदर्शन के दौरान किसानो ने केन्द्र सरकार व राज्य सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. किसान लगातार सरकार से मांग कर रहे हैं कि सरकार आलू का समर्थन मूल्य तय करें. जिससे किसान अपने आलू को उचित भाव पर बेच सकें, लेकिन उनकी इस मांग पर कोई सुनवाई नहीं हो रही है. पिछले दो दिनों से किसान एनएच – 28 पर प्रदर्शन कर रहे हैं. सैकड़ों बोरे आलू सड़क पर फेंक चुके हैं.
किसानों का कहना है कि सरकार एक ओर किसानों की आय दोगुनी करने की बात कह रही है और दूसरी ओर हमें पैदावार का आधा खर्च भी नहीं मिल पा रहा है. इस बार ना तो किसानों को व्यापारी मिल रहा है और ना ही कोल्ड स्टोर के मालिक आलू रखने को तैयार हो रहे हैं. अब खेत पर आलू निकालने के लिए किसानों को मजदूर भी नहीं मिल रहे हैं. किसानों का कहना है कि केरल के तर्ज पर बिहार में भी हरी साग सब्जियों एवं आलू का न्यूनतम समर्थन मूल्य तय किया जाये. दूसरी और किसानों ने कहा है कि पहले फसल क्षति का मुआवजा भी किसानों को दिया जाता था, लेकिन अब सरकार ने वह भी बंद कर दिया है. इससे कि अब किसान भुखमरी के कगार पर पहुंच गये हैं.