Agriculture News: फसलों में केमिकल युक्त कीटनाशक का प्रयोग करना आम है. लेकिन इससे फसलों को नुकसान भी हो सकता है. इस वजह से बिहार के मुजफ्फरपुर के कृषि वैज्ञानिकों ने किसानो को कई महत्वपूर्ण सुझाव दिये है. वैज्ञानिकों ने किसानों को केमिकल युक्त रसायन व केमिकल युक्त कीटनाशक का उपयोग कम करने की सलाह दी है. आपको बता दें कि किसान धीरे-धीरे इसे साफ तौर पर इसे बंद कर सकते है. इसके लिए वैज्ञानिकों ने जैविक खेती व अन्य प्राकृतिक संसाधन का उपयोग किए जाने का वैकल्पिक सुझाव दिया है. कृषि वैज्ञानिक तरुण कुमार और डॉ रंजन कुमार ने किसानों को विशेष सलाह दी है. कृषि वैज्ञानिक तरुण कुमार ने किसानों को कहा कि अब खेती में केमिकल का उपयोग धीरे – धीरे बंद कर देना होगा. वहीं इसके विकल्प के रूप में उन्होंने जैविक व प्राकृतिक खेती का रास्ता भी बताया.
5 किलो देसी गाय के ताजे गोबर को एक कपड़े में टेप से बांधकर 20 लीटर पानी में 12 घंटे के लिए लटका दें. इसके बाद एक लीटर पानी में 50 ग्राम चूना मिलाकर रात भर के लिए रख दें. सामग्री निकालने के लिए गाय के गोबर की इस पोटली को 3 बार पानी में निचोड़ें. घोल में अबाधित पुस्ता या जंगल या पेड़ के आवरण से मिट्टी डालें और इसे अच्छी तरह से हिलाएं. घोल में 5 लीटर देसी गोमूत्र डालें और चूने का पानी डालकर अच्छी तरह चलाएं. इस प्रकार से बीजामृत बीजोपचार के लिए तैयार हो जाता है.
बीजामृत से किसी भी फसल के बीजों या पौधों का उपचार किया जा सकता है. अच्छी तरह से बीजों को जमीन या बोरा पर फैलाकर उपचारित करें तथा हाथ से अच्छी तरह से मिला दें. छाया में सुखाने के बाद इसकी बुआई की जा सकती है. वहीं नीमास्त्र फसलों को कीटों से बचाव करता है. 5 किलो ताजा नीम के पत्ते या 5 किलो नीम के बीज की गुठली लें. इसके बाद एक प्लास्टिक के ड्रम में कुचले हुए पत्ते या गुठली को 100 लीटर पानी में मिलाएं. इसमें 5 लीटर देसी गोमूत्र और 1 किलो देसी गाय का गोबर मिला लें. सभी सामग्री को 2-3 मिनट के लिए लकड़ी की छड़ी की मदद से अच्छी तरह मिलाएं. ड्रम के मुंह को एक महीन सूती कपड़े से ढक दें. 2-3 मिनट के लिए सामग्री को दिन में तीन बार हिलाएं. 48 घंटे के बाद सामग्री को महीन जाली या कपड़े से छान लें. एक हेक्टेयर फसल पर छिड़काव के लिए 5-6 लीटर छान लें और 250 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें.
कीटनाशक के रूप में ब्रह्मास्त्र बहुत ही उपयोगी माना जाता है. यह गोमूत्र और वानस्पतिक आधारित सूत्रीकरण है. इसे तैयार करने के लिए 3 किलो ताजा नीम के पत्ते और 2 किलो करंज के पत्ते लें. अगर करंज के पत्ते न हों तो 5 किलो नीम के पत्ते लेकर उन्हें बारीक से पीस लें. 2 किलो सीताफल के पत्ते और 2 किलो धतूरा के पत्ते लेकर उन्हें बारीक पीस लें. उपरोक्त सभी कुचले हुए पत्तों को 10 लीटर देसी गोमूत्र में मिला दें. मिश्रण को करीब 20-25 मिनट तक उबालें. इसके बाद इसे 48 घंटे के लिए ठंडा कर लें और सामग्री को महीन सूती कपड़े से छान लें. एक हेक्टेयर फसल पर छिड़काव के लिए 5-6 लीटर छान लें और 250 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें. एक हेक्टेयर पर छिड़काव के लिए 5-6 लीटर छान लें और 250 लीटर पानी में पतला करें. मालूम हो कि यह स्प्रे 100 मिली प्रति 5 लीटर पानी में घोल कर शाम के समय लेना लाभदायक होता है. इसे एक महीना तक स्टोर कर सकते हैं.
Published By: Sakshi Shiva