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Jharkhand: कांके अंचल कार्यालय में हावी हैं दलाल, कार्रवाई होने के बाद भी बिना चढ़ावा नहीं होता कोई काम

कांके अंचल में व्यापक पैमाने पर गड़बड़ियां हो रही है. अंचल कार्यालय में दलाल हावी हैं. यहां कोई भी काम बिना दलाल के संभव नहीं है. हर काम के लिए दलाल मोटी रकम वसूल करते हैं. गलत ढंग से जमीन का म्यूटेशन करने के मामले में पूर्व अंचलाधिकारी प्रभात भूषण निलंबित हैं.

प्रतिनिधि, कांके

एक सप्ताह पहले ही पिठोरिया की एक महिला ने म्यूटेशन के लिए बार-बार दौड़ाने की शिकायत के बाद आत्महत्या करने की कोशिश की थी. उसका हाथ कट गया था. यहां के कई पूर्व अंचल अधिकारियों पर कार्रवाई हो चुकी है. गलत ढंग से जमीन का म्यूटेशन करने के मामले में पूर्व अंचलाधिकारी प्रभात भूषण निलंबित हैं. इसी मामले में अंचल निरीक्षक पर भी कार्रवाई हुई है. इसके बाद भी कांके अंचल की स्थिति में सुधार नहीं है. कांके अंचल में व्यापक पैमाने पर गड़बड़ियां हो रही है. अंचल कार्यालय में दलाल हावी हैं. यहां कोई भी काम बिना दलाल के संभव नहीं है. हर काम के लिए दलाल मोटी रकम वसूल करते हैं.

अंचल के कर्मी ही करते हैं दलाली

अंचल कार्यालय में अगर कोई काम करना है, तो वहां के कर्मियों से भी संपर्क कर सकते हैं. वहां के कर्मी आपको साहेब से लेकर कर्मचारी तक का हिस्सा बता देंगे. इसके अतिरिक्त प्रखंड के चुने हुए जनप्रतिनिधि भी इस काम में लगे हैं. उनके माध्यम से भी चढ़ावा चढ़ा कर काम कराया जा सकता है. कई चुने हुए जनप्रतिनिधि तो नियमित रूप से अंचल कार्यालय आते हैं. आसपास के लोगों को कहना है कि यहां हर गलत काम देर रात होता है. कई अधिकारी और कर्मचारी शाम के समय ही कार्यालय आते हैं. देर रात तक कार्यालय में बैठते हैं. इस दौरान दलाल अधिकारी और कर्मचारियों से संपर्क कर काम कराते हैं.

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काफी संख्या में रिजेक्ट भी हो रहे आवेदन

चढ़ावा नहीं देने पर जमीन संबंधी आवेदनों पर आपत्ति दर्ज कर उसे रिजेक्ट कर दिया जाता है. इसके कई कारण बताये जाते हैं. सीएनटी खतियान, आदिवासी खतियान और पुरानी डीड के समय से सत्यापन में विलंब होने से ज्यादातर म्यूटेशन के मामले रिजेक्ट हो रहे हैं. कई मामलों में जमीन की खरीद-बिक्री ऑफलाइन खतियान के आधार पर हो जाती है. ऑनलाइन खतियान में रकबा और प्लॉट स्पष्ट नहीं होने से भी म्यूटेशन का मामला रिजेक्ट हो रहा है. कांके अंचल में ऑनलाइन खतियान में सीओ द्वारा सुधार नहीं करने से कई म्यूटेशन के मामले रिजेक्ट हो रहे हैं. सीओ के लॉगइन में सैकड़ों सुधार के केस पेंडिंग हैं. सुधार नहीं किया जा रहा है, जिस कारण म्यूटेशन रिजेक्ट हो रहा है. सीओ दिवाकर सी द्विवेदी का न कोई विभागीय कंप्यूटर ऑपरेटर और न ही प्राइवेट कंप्यूटर ऑपरेटर है. वे कंप्यूटर संबंधी कार्य खुद ही निबटाते हैं.

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