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जानलेवा ओजोन प्रदूषण

मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए ही गंभीर खतरा होने के साथ-साथ जलवायु परिवर्तन में भी ओजोन की बड़ी भूमिका है.

भारत समेत दुनियाभर में हृदय रोगों और दिल का दौरा पड़ने की घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं. कई अध्ययनों में यह साबित किया जा चुका है कि प्रदूषण, अराजक जीवन शैली और तनाव बढ़ने जैसे कारक इसके पीछे हैं. अब एक नये शोध में रेखांकित किया गया है कि ओजोन प्रदूषण भी स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा बन गया है. यूरोपीय हार्ट जर्नल में प्रकाशित इस रिपोर्ट का आधार चीन के 70 शहरों में किया गया अध्ययन है.

इन शहरों में 2015 से 2017 के बीच अस्पताल में भर्ती हुए रोगियों के सर्वेक्षण से पता चला है कि भर्ती होने की दर और इन शहरों में वायु प्रदूषण की स्थिति का सीधा संबंध था. उल्लेखनीय है कि पूर्ववर्ती शोधों में स्थापित हो चुका है कि सूक्ष्म पार्टिकुलेट मैटर से होने वाले वायु प्रदूषण से दुनियाभर में हर साल लगभग 90 लाख लोगों की असमय मौत हो जाती है.

इसके अलावा बड़ी संख्या में बीमारियां होती हैं तथा अर्थव्यवस्था पर भी इसका असर पड़ता है क्योंकि कमजोर स्वास्थ्य से कार्य क्षमता प्रभावित होती है. साथ ही, अस्पतालों पर भी दबाव अधिक होता जा रहा है. लेकिन ओजोन प्रदूषण के स्वास्थ्य पर असर के बारे अभी स्थिति पूरी तरह से स्पष्ट नहीं है. चीनी शहरों के ताजा अध्ययन से इस दिशा में सघन शोध होने की उम्मीद बढ़ी है.

वातावरण में दो प्रदूषक तत्वों के बीच रासायनिक प्रतिक्रिया होने से ओजोन बनता है. ऐसे तत्व कारों और उद्योगों के उत्सर्जन से पैदा होते हैं. यूरोपीय हार्ट जर्नल में प्रकाशित इस रिपोर्ट में बताया गया है कि हृदय से जुड़े रोगों और समस्याओं के कारण भर्ती हुए लोगों में से तीन प्रतिशत रोगियों की बीमारी की वजह ओजोन प्रदूषण था.

शोधकर्ताओं ने यह भी कहा है कि यह आंकड़ा अभी भले बहुत कम लगे, लेकिन ओजोन प्रदूषण में वृद्धि के साथ इसमें बड़ी तेजी से बढ़ोतरी हो सकती है. यह भी ध्यान रखा जाना चाहिए कि ओजोन केवल मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए ही गंभीर खतरा नहीं बन रहा है, बल्कि जलवायु परिवर्तन में भी इसकी बड़ी भूमिका है. जलवायु परिवर्तन और धरती का लगातार बढ़ता तापमान हमारे सामने सबसे बड़ा संकट है.

ऐसी स्थिति में ओजोन के असर के अध्ययन के साथ-साथ इसे नियंत्रित करने पर प्राथमिकता से ध्यान देने की आवश्यकता है. यह अध्ययन भारत के लिए महत्वपूर्ण है. दुनिया के सबसे अधिक प्रदूषित शहरों में कई भारतीय शहर हैं. अर्थव्यवस्था में वृद्धि के साथ-साथ नगरीकरण का भी तीव्र विस्तार हो रहा है. हालांकि स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन, वायु निगरानी कार्यक्रम, स्मार्ट सिटी आदि जैसे कार्यक्रम उत्साहजनक परिणाम दे रहे हैं, पर वायु प्रदूषण की रोकथाम के लिए युद्ध स्तर पर सक्रिय होना होगा.

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