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अवैध माइनिंग पर झारखंड हाईकोर्ट गंभीर, दिया जांच समिति गठित करने का निर्देश, DC भी करेंगे सहयोग

दो वरीय विशेषज्ञों को जियोलॉजी व माइनिंग की जानकारी होनी चाहिए. खंडपीठ ने गृह सचिव को समिति के तीनों सदस्यों का चयन करने का निर्देश दिया. गठित होनेवाली समिति को पलामू, लातेहार व गढ़वा के उपायुक्त जांच में सहयोग करेंगे.

झारखंड हाइकोर्ट ने पलामू, गढ़वा व लातेहार जिले में हो रही अवैध माइनिंग को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्र व जस्टिस आनंद सेन की खंडपीठ ने प्रार्थी का पक्ष सुना. खंडपीठ ने मौखिक रूप से कहा कि झारखंड में सरकार के राजस्व का प्रमुख स्रोत माइनिंग है. अवैध माइनिंग को रोकने की जरूरत है. खंडपीठ ने गृहसचिव को महानिरीक्षक स्तर अथवा उससे ऊपर के एक अधिकारी व दो वरीय विशेषज्ञ की तीन सदस्यीय जांच समिति बनाने का निर्देश दिया.

दो वरीय विशेषज्ञों को जियोलॉजी व माइनिंग की जानकारी होनी चाहिए. खंडपीठ ने गृह सचिव को समिति के तीनों सदस्यों का चयन करने का निर्देश दिया. गठित होनेवाली समिति को पलामू, लातेहार व गढ़वा के उपायुक्त जांच में सहयोग करेंगे. यह समिति इन जिलों में होनेवाली अवैध माइनिंग की जांच कर कोर्ट को रिपोर्ट सौँपेगी. मामले की अगली सुनवाई के लिए खंडपीठ ने चार सप्ताह के बाद की तिथि निर्धारित करने को कहा.

इससे पहले प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता राजीव कुमार ने पैरवी की, जबकि केंद्र सरकार की ओर से अधिवक्ता प्रशांत पल्लव ने पक्ष रखा. प्रार्थी पंकज कुमार यादव ने जनहित याचिका दायर की है. याचिका में कहा गया है कि पलामू, प्रमंडल में बड़े पैमाने पर अवैध माइनिंग होती है. पुलिस प्रशासन की मिलीभगत से अवैध माइनिंग का यह खेल चलता है. इसमें करोड़ों की उगाही होती है. प्रार्थी ने कहा कि उसने अवैध माइनिंग पर रोक लगाने के साथ इस कार्य में संलिप्त अफसरों के खिलाफ कार्रवाई करने को लेकर शिकायत दर्ज करायी थी, लेकिन मामले की जांच नहीं की गयी.

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