वाशिंगटन : संयुक्त राज्य अमेरिका में बढ़ते बैंकिंग संकट के बीच इसके दो बड़े बैंक धराशायी हो गए, जिससे दुनिया भर में दहशत का माहौल बना हुआ है. इस बीच, खबर यह भी है कि अमेरिका के केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व की गवर्नर मिशेल बोमन ने दोबारा इस बात की पुष्टि की है कि अमेरिका की बैंकिंग प्रणाली लचीली और मजबूत बनी हुई है.
उन्होंने इंडिंपेंडेंट कम्युनिटी बैंकर्स ऑफ अमेरिका (आईसीबीए) को संबोधित करते हुए कहा कि अमेरिकी बैंकिंग प्रणाली तंत्र में मजबूत पूंजी और तरलता के साथ लचीली और ठोस बनी हुई है. बोर्ड वित्तीय बाजारों और वित्तीय प्रणाली में विकास की सावधानीपूर्वक निगरानी करना जारी रखता है. शुक्रवार को अमेरिका के बड़े बैंकों में शुमार सिलिकॉन वैली बैंक धराशायी हो गया. इसके बाद पिछले रविवार को अमेरिका का दूसरा सिग्नेचर बैंक भी बंद हो गया.
फेडरल रिजर्व की चीफ बोमन ने कहा कि प्रत्येक संस्थान में तनाव और फिर उसके बाद बैंक बंद होने पर एफडीआईसी द्वारा बीमित 2,50,000 डॉलर से अधिक राशि की निकासी की तेजी से प्रयास किया गया. दोनों ही मामलों में फेडरल डिपॉजिट इंश्योरेंस कॉरपोरेशन (एफडीआईसी) को रिसीवर नियुक्त किया गया, जिसका आमतौर पर मतलब यह है कि यह अपने ग्राहकों को जमाकर्ताओं और अन्य लोगों को वापस भुगतान करने के लिए बैंक की संपत्ति को नष्ट कर देगा.
इसके अलावा, फेडरल रिजर्व बोर्ड ने घोषणा की थी कि यह बैंकों को अपने सभी जमाकर्ताओं की जरूरतों को पूरा करने की क्षमता सुनिश्चित करने में मदद करने के लिए पात्र डिपॉजिटरी संस्थानों को अतिरिक्त धन मुहैया कराएगा. एफडीआईसी ने सिलिकॉन वैली बैंक और सिग्नेचर बैंक के गैर-बीमित जमाकर्ताओं सहित तमाम जमाकर्ताओं की सुरक्षा के लिए भी कार्रवाई की. सोमवार की सुबह से ये जमाकर्ता इन बैंकों के जमा पर अपने सभी फंडों का उपयोग करने में सक्षम हो गए. बोमन ने कहा कि संघीय नियामकों सहित एफडीआईसी, फेडरल रिजर्व बोर्ड और यूएस ट्रेजरी सचिव जेनेट येलेन ने जमाकर्ताओं की सुरक्षा के लिए कार्रवाई को मंजूरी दी.
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उधर, पिछले शुक्रवार को अमेरिका के बड़े बैंक सिलिकॉन वैली बैंक के बंद हो जाने के बाद राष्ट्रपति जो बाइडन ने भी अपने लोगों को भरोसा दिलाया था कि अमेरिकी बैंकिंग सिस्टम पूरी तरह से सुरक्षित है. जो बाइडन ने कहा था कि देश भर के छोटे व्यवसाय जिनके पास सिलिकॉन वैली बैंक और सिग्नेचर बैंक में खाते थे, यह जानकर राहत की सांस ले सकते हैं कि वे अपने कर्मचारियों को भुगतान करने में सक्षम होंगे. इसमें करदाताओं का एक भी पैसा खर्च नहीं होगा. इसका भुगतान बैंकों की ओर से की जाने वाली फीस डिपॉजिट इंश्योरेंस फंड से किया जाएगा.
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