Lucknow: प्रदेश में 69000 शिक्षक भर्ती मामले से संबंधित 6800 अभ्यर्थियों ने नियुक्ति की मांग को लेकर बुधवार को राजधानी लखनऊ में प्रदर्शन किया. उन्होंने बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह के आवास का घेराव कर अपनी मांगों को लेकर आवाज उठाई. वहीं समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इस मामले में सरकार पर ढीली पैरवी का आरोप लगाते हुए तंज कसा है.
लखनऊ में आवास पर इस दौरान हंगामा बढ़ने पर मौके पर मौजूद पुलिस कर्मी प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लेकर इको गार्डन ले गए. अभ्यर्थियों ने कहा कि प्रदेश सरकार हाईकोर्ट की डबल बेंच में जाकर सही तरीके से पैरवी करे. कमजोर पैरवी का खामियाजा हम लोगों को भुगतना पड़ता है. भर्ती प्रक्रिया में आरक्षण नियमावली का पालन नहीं किया गया. उन्होंने 13 दिन के अंदर स्पेशल अपील करने की मांग की, जिससे प्रदर्शनकारियों को न्याय मिल सके.
अभ्यर्थियों ने कहा कि पिछड़े दलित अभ्यर्थियों को न्याय नहीं मिला तो सड़कों पर प्रदर्शन किया जाएगा. दरअसल हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने 69000 सहायक अध्यापक भर्ती प्रक्रिया में आरक्षण कोटे का सही से अनुपालन नहीं किए जाने पर 1 जून 2020 को जारी सहायक अध्यापक के चयन से जुड़ी सूची को तीन माह में संशोधित करने का निर्देश दिया है.
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यह आदेश न्यायमूर्ति ओम प्रकाश शुक्ला की एकल खंडपीठ ने महेंद्र पाल व अन्य एवं 124 अन्य याचिकाओं की सुनवाई करते हुए पारित किया है. कोर्ट ने इसके साथ ही भर्ती परीक्षा के क्रम में आरक्षित वर्ग के अतिरिक्त 6800 अभ्यर्थियों की 5 जनवरी 2022 को जारी हुई चयन सूची को भी खारिज कर दिया. इस चयन सूची को यह कहते हुए चुनौती दी गई थी कि इसे बिना किसी विज्ञापन के जारी किया गया था.
69000 भर्ती अभ्यर्थी पहुंचे शिक्षा मंत्री के आवास, सैकड़ों की संख्या में अभ्यर्थियों ने शिक्षा मंत्री संदीप सिंह के आवास का अभ्यर्थी कर रहे हैं घेराव pic.twitter.com/4YqoDe2Cjz
— अमित यादव/हम भारत के लोग (@amityadav26) March 15, 2023
याचियों की तरफ से अधिवक्ता दीपक सिंह ने कोर्ट को बताया कि 69000 सहायक शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में आरक्षण नियमावली का सही से पालन नहीं किया गया. इस कारण आरक्षित वर्ग में चयनित 18,988 अभ्यर्थियों को जारी कटऑफ में 65 परसेंट से ज्यादा अंक प्राप्त करने के बावजूद सामान्य श्रेणी की सूची में शामिल नहीं किया गया. इनकी नियुक्ति प्रक्रिया को आरक्षित श्रेणी में ही पूरा कर दिया गया, जो आरक्षण नियमावली का उल्लंघन था. इससे आरक्षित श्रेणी के अन्य अभ्यर्थियों का चयन नहीं हो सका. इसी को लेकर कई अभ्यर्थियों ने उच्च न्यायालय में अलग अलग याचिकाएं दाखिल की थी.
इस मामले में समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सरकार पर तंज कसा. उन्होंने बुधवार को कहा कि 69000 सहायक शिक्षक भर्ती में आया फ़ैसला, आरक्षण की मूल भावना की विरोधी भाजपा सरकार की ढीली पैरवी का नतीजा है. भाजपा दलित-पिछड़ों का हक़ मारने के लिए आरक्षण को विधायी माया जाल में फंसाती है. जातीय जनगणना ही इस समस्या का सही समाधान है जिससे कि जनसंख्या के अनुपात में आरक्षण हो सके.