14.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

दिल्ली के नारंग आई इंस्टीट्यूट में कॉन्टूरा विजन लेजर से होगी आंखों की सर्जरी, जानें इसके फायदे

कॉन्टूरा न्यू विजन  ‘लेजर विजन करेक्शन’ द्वारा चश्मा हटाने के लिए एक प्रकार की सर्जरी है. कॉन्ट्रा विज़न किसी के चश्मे की पावर में सुधार के अलावा कॉर्नियल इरेग्यूलेरिटी को भी ठीक करता है. विजुअल एक्सिस पर काम करते हुए यह एक तीक्ष्ण और बेहतर विजुअल रिजल्ट देता है.

नई दिल्ली : दिल्ली में अब दृष्टिदोष की समस्या से जूझ रहे मरीजों का कॉन्टूरा विजन लेजर मशीन के जरिए आंखों का ऑपरेशन किया जा सकेगा. राष्ट्रीय राजधानी के मॉडल टाउन स्थित नारंग आई इंस्टीट्यूट में शनिवार को कॉन्टूरा विजन लेजर मशीन का उद्घाटन किया गया. इससे मरीजों को काफी लाभ मिलने की संभावना जाहिर की जा रही है. कॉन्टूरा विजन लेजर मशीन दृष्टि सुधार तकनीक में अपडेटेड उपलब्धि मानी जा रही है. अन्य लेजर तकनीकें केवल अपवर्तन शक्ति को संबोधित करती हैं, जबकि कॉन्टूरा विजन लेजर मशीन उससे उन्नत किस्म का इलाज प्रदान करती है और दृश्य अक्ष पर कॉर्नियल अनियमितताओं को भी ठीक करती है. इसी प्रकार यह लेसिक या स्माइल जैसी अन्य लोकप्रिय तकनीकों की तुलना में तेज और बेहतर दृश्य परिणाम प्रदान करता है.

कैसे होता है इलाज

मीडिया से बातचीत करते हुए नारंग आई इंस्टीट्यूट के निदेशक डॉ एसके नारंग ने बताया कि कॉन्टूरा न्यू विजन  ‘लेजर विजन करेक्शन’ द्वारा चश्मा हटाने के लिए एक प्रकार की सर्जरी है. कॉन्ट्रा विज़न किसी के चश्मे की पावर में सुधार के अलावा कॉर्नियल इरेग्यूलेरिटी को भी ठीक करता है. विजुअल एक्सिस पर काम करते हुए यह एक तीक्ष्ण और बेहतर विजुअल रिजल्ट देता है, जो लेसिक और स्माइल से अलग है. कॉन्टूरा विजन ब्लेड रहित, दर्द रहित और टांके रहित प्रक्रिया है, जो कॉर्निया का 3डी नक्शा बनाकर और इसे 22,000 अद्वितीय ऊंचाई बिंदुओं में विभाजित करके काम करती है. फिर इनमें से प्रत्येक बिंदु को रोगी की दृश्य तीक्ष्णता और गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए सटीक रूप से ठीक किया जाता है.

ट्रीटमेन्ट प्लान के जरिए जांच

एक सवाल के जवाब में डॉ एस के नारंग ने बताया कि हमारी ऑप्थामोलोजिस्ट टीम हर मरीज की आंखों की यूनिक कंडिशन जज करके एक ट्रीटमेन्ट प्लान बनाती हैं, जो एक्सीलेंट और हाई ग्रेड विज़ुअल रिजल्ट प्रदान करने के लिए उस मरीज को सर्वाधिक उपयुक्त हो. उन्होंने कहा कि यह नेत्र शल्य चिकित्सा की दुनिया मे एक नए दौर की शुरुआत है और इसका लाभ दिल्ली के लोगों को मिलेगा.

क्या है लेसिक विधि

इस प्रक्रिया में कॉर्निया में माइक्रोकरेटोम (ब्लेड) या फेम्टोसेकन्ड द्वारा फ्लेप  बनाया जाता है और उसके बाद एक्साईमर लेसर द्वारा चश्मे के नंबर को हटाया जाता है. इसके बाद फ्लेप को अपनी जगह पर वापस रख दिया जाता है. ज्यादातर पेशेंट को अगले दिन से ही साफ दिखाई देने लगता है, लेकिन यह सिर्फ नंबर को हटाता है एब्रेजन (छोटी त्रुटि) को नहीं. इस प्रक्रिया से स्फीयर वह सिलेंडर दोनों तरह के नंबरों को हटाया जा सकता है.

स्माइल विधि

स्माइल में फ्लेप की जरूरत नहीं होती. इसमें एक छोटे से इंसीजन द्वारा लेंटीक्यूल को कॉर्निया से निकाला जाता है और इसमें फेम्टोसेकन्ड लेजर का इस्तेमाल होता है. इस प्रक्रिया में स्फीयर को हटाया जा सकता है, लेकिन सिलेंडर को बहुत अच्छी तरह से नहीं निकाला जा सकता. इस प्रक्रिया में रिफाईनमेंट की और जरूरत है.

क्या है कॉन्टूरा विजन लेजर विधि

सबसे नई प्रक्रिया कॉन्टूरा लेसिक है. इस प्रक्रिया के तहत टोपोलाइजर के माध्यम से आंखों का कस्टमाइज्ड मैप बनाया जाता है. इस कस्टमाइज मैप में 22,000 पॉइंट्स को कंप्यूटर द्वारा ठीक किया जाता है. यह केवल नंबर को ही नहीं एब्रेजंस (बारिक त्रुटियों) को भी हटाने में सहायता देता है, जिससे कलर कंट्रास्ट और स्पष्टता बेहतर होती है. इस प्रक्रिया से 10 से 12 स्फीयर और 4 से 5 सिलेंडर तक का नंबर हटाया जा सकता है. जिन मरीजों में लेसिक या स्माइल नहीं हो सकता, उनमें आईसीएल सर्जरी के लिए एडवाइज किया जाता है. यह एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमे कस्टमाइज्ड लेंस मरीज के नेचुरल लेंस के ऊपर प्रत्यारोपित किया जाता है. इस प्रक्रिया से हम बड़े से बड़े नंबर को सफलतापूर्वक हटा सकते है.

Also Read: भागलपुर में चिकित्सकों का घोर अभाव, एक चिकित्सक के भरोसे आंखों का इलाज, कैसे होगा एक लाख लोगों का ऑपरेशन
तीन दिन में काम शुरू

डॉ नारंग आगे कहते हैं कि इन सभी प्रक्रियाओं के बाद आंखों में एक से डेढ़ महीने तक दवाइयों को डालने की जरूरत होती है. आंखों में पानी 2 हफ्ते तक नहीं लगाना होता है, आंखों को मलना वह मसलना नहीं होता है. आंखों में ड्राइनेस 2 महीने तक रह सकती है और आंखों के लिए कन्वर्जंस एक्सरसाइज बताया जाता है. मरीज अपना काम 3 दिन बाद वापस से शुरू कर सकते हैं. मरीजों की संतुष्टी मे लेजर तकनीक की सफलता का दर 99.5 फीसदी तक है. यह प्रक्रिया 18 से 40 वर्ष की आयु वर्ग के लोगों के लिए चश्मा रहित काम करने और जीवन व्यतीत करने में अति लाभदायक सिद्ध हुआ है.

Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें