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झारखंड के कई जिलों में महिला ITI की हालत खस्ता, भवन तो बन गये पर पढ़ाई-ट्रेनिंग से नहीं रह गया नाता

राज्य की राजधानी रांची सहित कई जिलों में महिला आइटीआइ की स्थापना की गयी. करोड़ों की बिल्डिंग बनायी गयी. वहां विभिन्न विषयों की पढ़ाई और ट्रेनिंग की व्यवस्था की गयी. अनुसूचित जनजाति की महिलाओं के लिए भी विशेष व्यवस्था की गयी. स्थापना खर्च किये गये, पर आज भी उन्हें ठीक से ट्रेनिंग नहीं दी जा रही है.

राज्य के औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों में महिलाओं को ट्रेनिंग देकर सशक्त बनाने का उद्देश्य विफल हो रहा है. राज्य सरकार के श्रम नियोजन, प्रशिक्षण एवं कौशल विकास विभाग ने महिलाओं को विभिन्न क्षेत्रों में ट्रेनिंग देकर नौकरी लायक बनाने की योजना बनायी थी. इसके तहत राज्य की राजधानी रांची सहित कई जिलों में महिला आइटीआइ की स्थापना की गयी. करोड़ों की बिल्डिंग बनायी गयी. वहां विभिन्न विषयों की पढ़ाई और ट्रेनिंग की व्यवस्था की गयी. अनुसूचित जनजाति की महिलाओं के लिए भी विशेष व्यवस्था की गयी. स्थापना खर्च किये गये, पर आज भी उन्हें ठीक से ट्रेनिंग नहीं दी जा रही है. कई ट्रेड में तो दाखिला ही नहीं हो पा रहा है, क्योंकि इसमें ट्रेनिंग देने के लिए कोई अनुदेशक नहीं हैं. कुल मिलाकर मैन पावर की बड़ी कमी है. इस कारण भी महिलाओं की ट्रेनिंग प्रभावित है. पेश है विशेष रिपोर्ट.

गुमला में महिला आइटीआइ बंद होने के कगार पर

गुमला में महिला आइटीआइ का भवन तो बना, लेकिन इस पर सीआरपीएफ का कब्जा है. यहां महिलाओं को ट्रेनिंग नहीं दी जा रही है. ऐसे में यहां का आइटीआइ कभी भी बंद हो सकता है. एक दूसरी बिल्डिंग में आइटीआइ चलाने की तैयारी है. लेकिन सभी ट्रेड मिलाकर केवल एक ही अनुदेशक यहां दिये गये हैं. एक अनुदेशक के भरोसे पूरा आइटीआइ चल रहा है. शिक्षकों के अभाव के कारण युवतियां फैशन टेक्नोलॉजी, बेसिक पोस्ट मैट्रोलॉजी व हाउस किपिंग आदि ट्रेडों में प्रशिक्षण नहीं ले पा रही हैं. वर्तमान में आइटीआइ में रांची, गुमला, लोहरदगा व हजारीबाग सहित अन्य कई जिलों की 25 युवतियों को सिर्फ दो वर्षीय इलेक्ट्रॉनिक्स मैकेनिक का प्रशिक्षण दिया जा रहा है. इन 25 युवतियों में सत्र 2021-23 में 15 और सत्र 2022-24 में 10 युवतियां हैं. हालांकि एक सत्र में नामांकन सीट की संख्या 24 है. लेकिन कभी भी सृजित सीट के मुताबिक नामांकन नहीं हो पाया. इधर, नामांकित युवतियों को एकमात्र शिक्षक प्रकाश तिर्की द्वारा प्रशिक्षण दिया जा रहा है.

सिर्फ इलेक्ट्रॉनिक्स मैकेनिक का ही मिल रहा प्रशिक्षण

2018 तक आइटीआइ में इलेक्ट्रॉनिक्स मैकेनिक समेत फैशन टेक्नोलॉजी, बेसिक पोस्ट मैट्रोलॉजी व हाउस किपिंग आदि ट्रेडों में भी युवतियों का प्रशिक्षण चल रहा था. लेकिन शिक्षक नहीं होने से 2019 में फैशन टेक्नोलॉजी आदि ट्रेडों में नामांकन बंद हो गया. अब सिर्फ इलेक्ट्रॉनिक्स मैकेनिक का ही प्रशिक्षण दिया जा रहा है.

नहीं हट रहा सीआरपीएफ का कब्जा

आइटीआइ का अपना भवन है. जिसमें ऑफिस, क्लास रूम, छात्रावास आदि है. सभी में पानी, बिजली व शौचालय की भी सुविधाएं हैं. लेकिन उन भवनों पर सीआरपीएफ का कब्जा है. शिक्षक प्रकाश तिर्की ने बताया कि आइटीआइ का भवन तो अपना है. लेकिन सिर्फ नाम मात्र के लिए ही है. उसमें सीआरपीएफ के जवान रहते हैं. उसी में आइटीआइ के संचालन के लिए एक ऑफिस और एक क्लासरूम मिला हुआ है. अभी हाल के महीनों में ही क्लासरूम वाले भवन के सभी कमरों को सीआरपीएफ ने खाली किया है. अब धीरे-धीरे आइटीआइ को महिलाओं को प्रशिक्षण देने के लिए खाली किया जा रहा है.

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रांची में स्टेनोग्राफर ट्रेड की पढ़ाई पांच साल से नहीं

रांची महिला आइटीआइ में पांच साल से स्टेनोग्राफर ट्रेड की ट्रेनिंग बंद है. इतने समय से यहां हिंदी और इंग्लिश स्टेनोग्राफी के अनुदेशक नहीं है. ऐसे में ट्रेनिंग की व्यवस्था ही नहीं हो पायी है. इस कारण किसी का दाखिला भी नहीं हो पा रहा है. महिलाएं यहां से स्टेनोग्राफर नहीं बन पा रही हैं. यहां इलेक्ट्रॉनिक्स, रेडियो एंड टीवी और कंप्यूटर में दो-दो अनुदेशक की जरूरत है, लेकिन यहां मात्र एक-एक अनुदेशक हैं. ऐसे में इन ट्रेड की भी ट्रेनिंग प्रभावित होती है. कटिंग टेलरिंग में दो की जगह एक अनुदेशक हैं. वहीं आइटीआइ के प्रशासनिक कार्यों का भी संपादन करती हैं, जिससे इसका भी ट्रेनिंग बहुत अच्छे से देना संभव नहीं होता है.

दो साल से बंद पड़ा है पलामू का महिला आइटीआइ

पलामू जिले में राजकीय महिला आइटीआइ पिछले दो साल से बंद है. कोरोना के बाद से इसमें एक भी महिला ने नामांकन नहीं लिया है. जिस कारण आइटीआइ बंद पड़ा है. वर्तमान में इस महिला आइटीआइ में ताला लगा हुआ है. हालांकि सरकार ने इसे पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप मोड पर रामचंद्र चंद्रवंशी यूनिवर्सिटी को चलाने के लिए दिया है. इस वर्ष जून में नामांकन होने की उम्मीद है.

चार प्रकार के कोर्स होते हैं संचालित

महिला आइटीआइ में चार तरह के कोर्स चलाये जाते हैं. जिसमें हॉस्पिटल हाउसकीपिंग व कंप्यूटर प्रोग्रामिंग असिस्टेंट के लिए एक साल का कोर्स चलाया जाता है. दोनों अलग-अलग कोर्स में 14,215 रुपये फीस ली जाती है. डेंटल लैब टेक्नीशियन व इलेक्ट्रॉनिक्स में आइटीआइ के लिए दो वर्ष का कोर्स होता है. अलग-अलग कोर्स के लिए 28, 430 रुपये फीस ली जाती है. यहां सबसे ज्यादा डिमांड इलेक्ट्रिशियन ट्रेड का है. इस कारण ज्यादा महिलाएं नामांकन नहीं ले पा रही हैं. चार फैकल्टी में प्रत्येक के लिए 24 सीटें रखी गयी हैं, पर कभी भी उतना दाखिला नहीं हो पा रहा है.

पांच साल से बनकर बर्बाद
हो रहा सिमडेगा में भवन

सिमडेगा सदर प्रखंड की बेरी टोली में झारखंड सरकार के द्वारा बनाया गया महिला औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान पड़े-पड़े जर्जर हो रहा है. भवन निर्माण कार्य पूर्ण होने के पांच साल से ज्यादा समय बीत जाने के बाद भी इसे चालू नहीं किया गया है. भवन की स्थिति काफी दयनीय है. भवन में लगी खिड़की के शीशे टूटे हुए है. कांच के टुकड़े बिखरे पड़े हैं. काफी जर्जर होने पर हाल ही में आइटीआइ भवन की मरम्मत की गयी है. कुछ खिड़की में कांच लगाये गये हैं, लेकिन अभी भी बड़ी संख्या में खिड़की हैं, जिसके शीशे टूटे हुए हैं. भवन के अंदर भी सुविधा नाम की कोई चीज नहीं है. महिला आइटीआइ पूरी तरह से सरकारी उपेक्षा के कारण शोभा की वस्तु बनकर रह गया है.

खूंटी में केवल एक ट्रेड की दी जाती है ट्रेनिंग, भवन भी होने लगा है जर्जर

खूंटी के एरेंडा तूतटोली में श्रम नियोजन एवं प्रषिक्षण विभाग द्वारा महिला आइटीआइ संचालित किया जा रहा है. वर्ष 2016 में शुरू किये गये महिला आइटीआइ में महज एक ही ट्रेड इलेक्ट्रॉनिक मैकेनिक की पढ़ाई होती है. जहां प्रथम और द्वितीय वर्ष में 23-23 छात्राएं अध्ययनरत हैं, जबकि सीट 24 छात्राओं की है. अब तक यहां से 2017 में दो, 2018 में 13, 2019 में छह, 2020 में चार और 2022 में दस विद्यार्थी उतीर्ण हो चुके हैं. यानी छह वर्षों में मात्र 35 छात्राएं पास हुई हैं. इनमें से कई को रोजगार भी दिया गया है. महिला आइटीआइ के लिए भवन और छात्रावास तो उपलब्ध हैं, लेकिन पुराना होने के कारण भवन अब जर्जर होने लगा है. वहीं भवन तक पहुंचने के लिए सड़क का आज तक निर्माण नहीं हुआ है. जिस कारण आने-जाने में परेशानी होती है.

शिक्षकों की बनी रहती है कमी

महिला आइटीआइ में शिक्षकों की कमी है. प्राचार्य और चीफ ट्रेनिंग अफसर के पद पर एक ही शिक्षक कार्यरत हैं. वहीं ट्रेड के लिए एक शिक्षक उपलब्ध हैं. तृतीय और चतुर्थ वर्ग की भी कमी है. शिक्षक नहीं होने से हाउस कीपिंग, बेसिक कॉस्मेटोलॉजी और फैशन डिजाइनिंग टेक्नोलॉजी की पढ़ाई आज तक शुरू नहीं हो सकी है. प्रभारी प्राचार्य नवरतन प्रसाद ने बताया कि महिला आइटीआइ में भवन के जीर्णोद्धार और सड़क की मांग की गयी है.

हजारीबाग आइटीआइ 23 साल में 19 में से बस दो ही टीचर बचे

हजारीबाग महिला आइटीआइ का हाल खस्ता है. 27 साल पहले ट्रेनिंग के लिए जितनी सीटें थीं, आज भी उतनी ही हैं. यानी 1996 में 24 सीटों पर दाखिल लिया जाता था, आज तक उसमें से एक सीट भी नहीं बढ़ी है. पहले ट्रेनिंग के लिए 19 अनुदेशक थे, अब दो ही बचे हैं. धीरे-धीरे आइटीआइ का हाल बुरा हो गया है. भवन का हाल भी खराब है. जानकारी के मुताबिक, शहर के रांची-पटना एनएच-33 पर स्थित विनोबा भावे विवि के बगल में हजारीबाग सरकारी महिला औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (आइटीआइ) का भवन है. भवन की स्थिति खस्ताहाल है. पानी की सुविधा नहीं है. शौचालय जर्जर है. समुचित बिजली व्यवस्था नहीं है. इस महिला आइटीआइ की स्थापना 1996 में हुई थी. इससे पहले प्रशासनिक भवन, छात्रावास सहित क्लास रूम 1992 में बने हैं. इन भवनों पर सीआरपीएफ का कब्जा है.

28 एकड़ में फैला है आइटीआइ परिसर

महिला आइटीआइ में अलग-अलग 19 पदों में मात्र दो प्रशिक्षण अधिकारी स्मिता मामूनी कश्यप एवं रेखा सिन्हा कार्यरत हैं. स्मिता मामूनी कश्यप ने बताया कि प्राचार्य सहित लिपिक, स्टोर कीपर, वर्कशॉप अटेंडेंट, आदेशपाल अन्य कई पद लंबे समय से खाली हैं. महिला आइटीआइ परिसर 28 एकड़ एरिया में है. इसमें आइटीआइ के अलावा जिला नियोजन, उप श्रमायुक्त, कारखाना निरीक्षक कार्यालय के अलावा सीआरपीएफ एवं जिला होम गार्ड कैंप स्थापित है.

लोहरदगा में चार करोड़ से बिल्डिंग बनी, पढ़ाई नहीं

लोहरदगा जिले के कैरो प्रखंड में करीब पांच साल पहले चार करोड़ की लागत से महिला आइटीआइ का भवन बनाया गया, पर आज तक वहां ट्रेनिंग शुरू नहीं हुई. यहां एड़ादोन के समीप कोयल नदी के किनारे वर्ष 2017-18 में भवन का निर्माण भवन निर्माण विभाग ने कराया था. इसका काम दो कंपनियों के माध्यम से कराया गया था. भवन का निर्माण कार्य संवेदक द्वारा पूर्ण कर विभाग को हस्तांतरित भी कर दिया गया. लेकिन भवन ऐसे ही पड़ा है. वर्तमान समय में यह आइटीआइ भवन असामाजिक तत्वों का अड्डा बनता जा रहा है. भवन पर शरारती तत्वों की नजर है. भवन में लगे खिड़की और दरवाजे को क्षतिग्रस्त किया जा रहा है. देखरेख के अभाव में भवन जर्जर अवस्था में है. यहां से एक भी महिला को ट्रेनिंग देकर पैर में खड़ा करने का उद्देश्य पूरा नहीं हो पा रहा है.

संचालन पर ध्यान दें, तो युवतियां नहीं रहेंगी बेरोजगार

अगर राज्य की महिला आइटीआइ में सही तरीके से छात्राओं का दाखिला हो और और उन्हें ट्रेनिंग दी जाये, तो वह रोजगार की मोहताज नहीं रहेंगी. उन्हें रोजगार तो मिलेगा ही, वह आत्मनिर्भर भी होंगी. वह खुद अपने काम के बूते आगे बढ़ सकेंगी. इसी उद्देश्य से आइटीआइ का गठन भी हुआ था. इसके तहत महिलाओं को औद्योगिक क्षेत्रों की ट्रेनिंग देनी थी. यहां फैशन टेक्नोलॉजी, बेसिक पोस्ट मैट्रोलॉजी, हाउस और हॉस्पिटल कीपिंग, इलेक्ट्रॉनिक्स, मैकेनिकल, रेडियो एंड टीवी, कंप्यूटर प्रोग्रामिंग असिस्टेंट, कटिंग और टेलरिंग आदि की ट्रेनिंग दी जानी है. लेकिन हर आइटीआइ में सारी ट्रेनिंग की व्यवस्था अब तक उपलब्ध नहीं है. अनुदेशक की उपलब्धता के अनुसार ट्रेनिंग की व्यवस्था की गयी है. विशेषज्ञों का कहना है कि इन क्षेत्रों में ट्रेनिंग प्राप्त कर लेने के बाद छात्राओं को अच्छे रोजगार प्राप्त भी हो रहे हैं. फैशन टेक्नोलॉजी, कंप्यूटर प्रोग्रामिंग, इलेक्ट्रॉनिक्स और हॉस्पिटल कीपिंग की मांग बहुत अधिक है. इस क्षेत्र में महिलाओं को रोजगार तो मिल ही रहा है, वह फैशन टेक्नोलॉजी को अपना कर खुद भी आगे बढ़ सकती हैं.

12 जिलों में हैं महिला आइटीआइ

राज्य के 12 जिलों रांची, गुमला, खूंटी, लोहरदगा, लातेहार, हजारीबाग, गिरिडीह, देवघर, दुमका, चाईबासा, जमशेदपुर और बोकारो में महिला आइटीआइ हैं. बोकारो में इसे पीपीपी मोड में संचालन किया जा रहा है.

को-एजुकेशन से भी चल रहा है आइटीआइ

आटीआइ सामान्य में को-एडुकेशन की व्यवस्था है. यहां छात्रों के साथ ही छात्राएं ही दाखिला ले पा रही हैं. ऐसे में छात्राओं को यहां सभी तरह की ट्रेनिंग मिल पा रही है. यहां वह छात्रों की तरह फीटर, टर्नर, इलेक्ट्रॉनिक्स, वायरमैन, मोल्डर, वेल्डर, सर्वेयर, ड्राफ्टसमैन सिविल और मेकेनिकल, रेफ्रीजरेटर एंड एसी, इंस्ट्रमैन मेकेनिक आदि की ट्रेनिंग ले पा रही हैं.

ट्रेनिंग देने में आ रहीं कई बाधाएं

इतनी आधारभूत संरचना के निर्माण के बाद भी ट्रेनिंग देने में कई बाधाएं हैं. न तो ट्रेनिंग के लिए सामग्रियां ही मिल पा रही हैं और न ही ट्रेनिंग अफसर (अनुदेशक) ही हैं. ऐसे में महिला आइटीआइ में ठीक ट्रेनिंग नहीं हो पा रही है.

कम फीस में बेहतर मिलती है ट्रेनिंग

महिला आइटीआइ में कम फीस में बेहतर ट्रेनिंग की व्यवस्था थी. इस कारण गरीब छात्राओं को यहां बेहतर ट्रेनिंग देने की परिकल्पना थी. खास कर अनुसूचित जनजाति की छात्राएं यहां ट्रेनिंग लेकर स्वावलंबी हो पातीं.

ट्रेनिंग अफसरों की बहाली हो, तो सुधर जायेगी पढ़ाई की व्यवस्था

आइटीआइ में अनुदेशक के पद से रिटायर हुए देवेंद्र प्रसाद सिंह ने कहा कि आज सबसे जरूरी है कि महिला आइटीआइ में ट्रेनिंग की गुणवत्तावाली सामग्री उपलब्ध करायी जाये. जितनी जरूरत हो, उतनी सामग्रियां दी जाये. साथ ही जहां भी आइटीआइ बना है, वहां ट्रेनिंग अफसरों की पोस्टिंग की जाये. इसके लिए बहाली ली जाये. अगर ऐसा होता है, व्यवस्था सुधर जायेगी.

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