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जल संरक्षण से ही बचेगा भविष्य

दुनिया भर में 22 मार्च विश्व जल दिवस के रूप में मनाया जाता है. इसे मनाने का उद्देश्य विश्वभर में जल के महत्व के प्रति लोगों को जागरूक करना तथा जल संरक्षण पर बल देना है

कुमार प्रेमचंद

जल एवं स्वच्छता विशेषज्ञ, यूनिसेफ झारखंड

ranchi@unicef.org

दुनिया भर में 22 मार्च विश्व जल दिवस के रूप में मनाया जाता है. इसे मनाने का उद्देश्य विश्वभर में जल के महत्व के प्रति लोगों को जागरूक करना तथा जल संरक्षण पर बल देना है. वर्तमान में, भारत समेत दुनियाभर में पेयजल का स्रोत कम होता जा रहा है, जिसे सहेजने की आवश्यकता है. संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा इस वर्ष के विश्व जल दिवस की थीम ‘एक्सेलरेटिंग चेंज’ यानी त्वरित परिवर्तन निर्धारित किया गया है.

इसी थीम के इर्द-गिर्द इस वर्ष के विश्व जल दिवस की संपूर्ण विषयवस्तु केंद्रित रहेगी. इस थीम के माध्यम से संयुक्त राष्ट्र द्वारा वैश्विक स्तर पर लोगों को बदलाव का वाहक बनने का आह्वान किया गया है, ताकि जीवन में जल का समुचित उपयोग करके हम सभी जल संरक्षण के मुहिम को गति प्रदान कर सकें.

सतत विकास लक्ष्य के तहत हर व्यक्ति तक जल एवं स्वच्छता सुविधाओं को समान रूप से पहुंचाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. भारत सरकार की महत्वाकांक्षी योजना ‘जल जीवन मिशन’ इस दिशा में एक उत्कृष्ट प्रयास है, जिसके तहत हर घर तक नल से जल पहुंचाने के लिए कदम उठाये जा रहे हैं. इस मिशन के तहत 2024 तक सभी ग्रामीण परिवारों, विद्यालयों, आंगनवाड़ी व स्वास्थ्य केंद्रों, पंचायत भवनों आदि को ‘नल से जल’ उपलब्ध कराने का लक्ष्य है. झारखंड की बात करें, तो यहां प्राकृतिक रूप से पेयजल की उपलब्धता सतही स्रोत के रूप में ज्यादा नहीं है.

राज्य में मात्र छह से सात नदियों में ही बारहों महीने पानी उपलब्ध रहता है, शेष नदियां बरसाती हैं. भूगर्भीय संरचना पथरीली होने के कारण इसमें पानी की उपलब्धता मैदानी क्षेत्रों के मुकाबले काफी कम होती है. जल जीवन मिशन की शुरुआत से पहले झारखंड में ज्यादातर ग्रामीण परिवार पेयजल हेतु कुओं और चापाकल पर ही निर्भर थे. सो इस जल जीवन मिशन का उद्देश्य हर घर में शुद्ध पेयजल की उपलब्धता को सुनिश्चित करना है, ताकि महिलाओं को दूर से पानी लाने की समस्या से निजात मिल सके.

मिशन के तहत 2024 तक राज्य के कुल 61.22 लाख ग्रामीण परिवारों तक चरणबद्ध तरीके से नल से जल पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है. झारखंड में पिछले दो वर्षों में नल से जल कार्यक्रम में तेजी देखने को मिली है. वर्ष 2020 की शुरुआत में राज्य के ग्रामीण घरों में नल से जल की उपलब्धता मात्र छह प्रतिशत थी, जो फरवरी 2022 में 18 प्रतिशत के करीब व 17 मार्च, 2023 तक 32.5 प्रतिशत पर पहुंच गयी.

राज्य के 630 गांवों, 105 ग्राम पंचायतों तथा एक प्रखंड को शत-प्रतिशत नल से जल कार्यक्रम के दायरे में लाया जा चुका है. वर्तमान में 502 बड़ी एवं 19,633 छोटी जलापूर्ति योजनाओं के जरिये गांवों के 19.85 लाख घरों में शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराया जा रहा है. झारखंड में दो बातें दूसरे राज्यों से थोड़ी अलग हैं. यहां लगभग हर राजस्व ग्राम में ग्राम जल एवं स्वच्छता समिति है तथा हर ग्राम में जल सहिया है.

ग्राम जल एवं स्वच्छता समिति के सदस्यों तथा जल सहिया के उचित प्रशिक्षण से ही कार्यक्रम को गति एवं अपेक्षाकृत सफलता मिलेगी. राज्य में 29 हजार जल सहिया जल जीवन मिशन कार्यक्रम के क्रियान्वयन में अग्रिम पंक्ति के कार्यकर्ता के रूप में कार्य कर रही हैं. महिलाओं को प्लंबर, रानी मिस्त्री, सौर ऊर्जा तकनीशियन तथा पंप संचालन का निरंतर प्रशिक्षण दिया जा रहा है. झारखंड सरकार की पेयजल योजना में सौर ऊर्जा को भी प्राथमिकता दी गयी है.

यहां लगभग 57 प्रतिशत योजनाएं सतही जल आधारित हैं, जो लंबी अवधि के दृष्टिकोण से एक अच्छा प्रयास है. जल गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए भी समानांतर प्रयास किये जा रहे हैं. इसके अंतर्गत राज्य के प्रत्येक जिले में उच्च स्तरीय सुविधाओं से युक्त जल परीक्षण प्रयोगशालाओं की उपलब्धता को सुनिश्चित किये जाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. ग्राम स्तर पर जल गुणवत्ता निगरानी और समुदाय को जागरूक करने हेतु प्रचार-प्रसार की विभिन्न गतिविधियों का संचालन किया जा रहा है.

बारह हजार से अधिक महिलाओं को फील्ड टेस्ट किट के माध्यम से जल गुणवत्ता की जांच करने के लिए प्रशिक्षित किया गया है, जो समुदाय आधारित जल गुणवत्ता जांच के क्षेत्र में अपनी सेवाएं दे रही हैं. जल गुणवत्ता जांच प्रयोगशाला के कर्मचारियों, अधिकारियों तथा सामुदायिक स्तर पर कार्यरत फ्रंटलाइन वर्कर्स को भी प्रशिक्षित किया जा रहा है. साथ ही, जल गुणवत्ता की जांच के लिए अधिकाधिक लोगों को जागरूक करने के लिए सूचना, शिक्षा एवं संचार के माध्यम से प्रयास भी किये जा रहे हैं.

जल जीवन मिशन के क्रियान्वयन की जिम्मेदारी सरकार या किसी विभाग की न होकर एक सामूहिक जिम्मेदारी है. इसमें सरकार के सभी विभागों, पंचायती राज संस्थाओं, स्वयंसेवी संस्थाओं, युवा-शक्ति, स्वयं सहायता समूहों, ग्राम जल एवं स्वच्छता समिति, मीडिया, कॉरपोरेट घरानों, समुदाय आधारित संगठनों तथा राज्य में कार्य कर रही सभी अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं की अहम भूमिका है. विश्व जल दिवस 2023 के थीम के अनुरूप लक्ष्य प्राप्ति में तीव्रता लाने के लिए अधिकाधिक जन जागरूकता एवं जन सहभागिता के साथ जल जीवन मिशन के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए निरंतर प्रयास किये जाने की आवश्यकता है.

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