कान्हाचट्टी, सीताराम यादव:
नक्सल प्रभावित गांवों की तस्वीर बदल रही है. सड़क, बिजली, शिक्षा, पानी, स्वास्थ्य का सपना साकार हो रहा है. गांव में ही शहर का माहौल मिलने लगा है. 10-15 वर्ष पूर्व जहां बंदूकें गरजती थी, आज वहां विकास की गाथा गढ़ी जा रही हैं. सड़कें बन रही हैं. नदी-नालों पर पुल-पुलिया का निर्माण किया जा रहा है. कई गांवों में मोबाइल टावर लगाया गया है. बिजली घर-घर पहुंची है.
शाम ढलते ही जो गांव अंधेरा में डूब जाता था, वह गांव आज रोशनी से जगमगा रहा है. सड़क बनने से गांवों तक गाड़ी पहुंच रही हैं. स्कूलों में शिक्षक के साथ-साथ छात्रों की उपस्थिति बढ़ी है. नक्सलियों के डर से पदाधिकारी गांव नहीं जाते थे, आज बेहिचक गांव पहुंच रहे हैं. पुलिस की गतिविधि भी बढ़ी है. लोगों का झुकाव पुलिस की ओर हुआ है. वरीय पदाधिकारी भी निर्भीक होकर नक्सल प्रभावित गांवों में पहुंच रहे हैं.
मूर्तियाटांड़ में सीआरपीएफ कैंप बनने से गांव के लोगों के रहन-सहन में बदलाव आया है. जीवन स्तर सुधर रहा है. गांवों में बिजली आने से किसान खेती कर आत्मनिर्भर बन रहे हैं. बच्चे बिजली की रोशनी में पढ़ाई करने लगे हैं. माओवादियों का डर धीरे-धीरे समाप्त हो रहा है.
इसके पूर्व माओवादियों का उक्त क्षेत्र में समानांतर सरकार चलती थी. जन अदालत लगा कर हरेक मामले को सलटाया जाता था. माओवादियों के इशारे के बिना एक पत्ता भी नहीं हिलता था. वर्ष 1997 में अमकुदर में नरसंहार हुआ था. इसके बाद उक्त क्षेत्र में पदाधिकारी जाने से डरने लगे. 30 वर्षों के बाद हालात बदला और पदाधिकारियों का आना जाना शुरू हुआ. आंगनबाड़ी केंद्र का लाभ बच्चों, गर्भवती व धातृ महिलाओं को मिल रहा है.
गड़िया, अमकुदर, बनियाबांध, नारे धवईया, पचफेड़ी, बघमरी, पथेल, सिकिद समेत अन्य गांवों में विकास धरातल पर उतारा जा रहा है. इन गांवों तक पहुंचने के लिए पांच करोड़ की लागत से आठ किमी पक्की सड़क का निर्माण कराया जा रहा है. गड़िया नदी पर छह करोड़, पथेल नदी पर पांच करोड़ व अमकुदर में तीन करोड़ की लागत से पुल का निर्माण कराया जा रहा है. इसके अलावा हदहदवा नदी पर 45 लाख की लागत से पुल, पथेल से बनियाबांध को जोड़ने के लिए डेढ़ किमी सड़क का निर्माण किया जा रहा है. सड़क व पुल बनने से लोगों को बरसात के दिनों में आवागमन में काफी सुविधा होगी.
सड़कें बनने से पांच पंचायत तुलबुल, बेंगोकला, मरगड़ा, चिरिदीरी, कोल्हैया की लगभग 25 हजार आबादी लाभान्वित होगी. सड़क झारखंड व बिहार सीमा को जोड़ेगी. कम दूरी तय कर लोग बिहार के बाराचट्टी, गया, डोभी जा सकेंगे. 60 किमी की दूरी तय कर गया जा सकेंगे. पूर्व में उक्त क्षेत्र के लोगों को लगभग 120 किमी की दूरी तय करनी पड़ती थी. सड़कें बनने से गांवों तक एंबुलेंस व अन्य वाहन पहुंचेंगे.