Project Green Wall : हरियाणा की करीबन 35,000 हेक्टेयर भूमि और गुरुग्राम की करीबन 18,000 हेक्टेयर भूमि को फिर से पुनर्जीवित करने की योजना बनाई जा रही है. यह योजना केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय की ग्रीन वाल परियोजना का ही एक हिस्सा होगी. बता दें यह परियोजना उत्तर-पश्चिम भारत की ओर रेगिस्तानी भूमि के विस्तार को रोकने वाली एकमात्र रुकावट के रूप में खड़ी है. राज्य के वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि वे गुड़गांव में 18,000 हेक्टेयर, फरीदाबाद में 5,000 हेक्टेयर, भिवानी में 1,000 हेक्टेयर, महेंद्रगढ़ में 6,000 हेक्टेयर और रेवाड़ी में 5,000 हेक्टेयर जमीनों को चिन्हित किया जाएगा. इस योजना पर बात करते हुए अधिकारियों ने बताया कि- विभाग परियोजना के परिपालन के लिए रणनीति बनाने और कार्य योजनाओं को सुविधाजनक बनाने के लिए कमर कस रहा है.
पिछले सप्ताह केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव के जरिये घोषित, ग्रीन वॉल परियोजना का लक्ष्य 2027 तक कई राज्यों में 1.15 मिलियन हेक्टेयर अरावली भूमि को बहाल करना है. यह परियोजना बड़े वृक्षारोपण अभियान और जल निकायों का कायाकल्प योजना का हिस्सा है. केंद्र सरकार के आंकड़ों से पता चलता है कि हरियाणा, राजस्थान, गुजरात और दिल्ली में लगभग 2.3MHA मरुस्थलीकरण के कारण दशकों से कम हो गया है. मंत्रालय की अगर माने तो, इस क्षेत्र के अधिकांश क्षेत्र में पारिस्थितिकी तंत्र को राजस्थान से दिल्ली-एनसीआर सहित उत्तर-पश्चिम भारत में शुष्क, रेगिस्तान जैसी स्थितियों के प्रसार को रोकने के लिए बेहतर बनाया जा सकता है, जिसमें वन बाधा ग्रीन वाल के रूप में कार्य करती है.
Also Read: CBI-ED के खिलाफ 14 विपक्षी दलों ने की Supreme Court से अपील, कहा- एजेंसियों को लेकर तय करें गाइडलाइन
आपकी जानकारी के लिए बता दें आम तौर पर मरुस्थलीकरण तब होता है जब उपजाऊ जमीन अपने वनस्पतियों और जीवों को खो कर अधिक सूखा होने लगता है. यह सूखा, खनन और शहरीकरण जैसे कई अन्य कारणों की वजह से हो सकता है. ISRO की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2018-19 तक, लगभग 3.6 लाख हेक्टेयर या हरियाणा के कुल क्षेत्रफल का 8.2 प्रतिशत हिस्सा और अधिक सूखा हो गया था.
हरियाणा में इस योजना पर बात करते हुए अधिकारियों ने बताया कि- इस परियोजना के लिए चिन्हित की जाने वाली भूमि अरावली के 26,000 हेक्टेयर में किए जाने वाले वृक्षारोपण अभियान के साथ ओवरलैप नहीं होगी, ऐसा होने की वजह से इसे संरक्षित वन का दर्जा भी मिल सकेगा. यह अभियान, जो प्रतिकरात्मक वनीकरण कार्यक्रम का हिस्सा है और ग्रेट निकोबार द्वीप में हुए नुकसान की भरपाई करने वाला भी है. जहां एक मेगा बुनियादी ढांचा परियोजना के लिए 130.7 वर्ग किमी के वृक्षों को साफ किया जा रहा है.
वन अधिकारी ने बताया कि, हम इस योजना को पहले की परियोजनाओं के साथ ओवरलैप नहीं करना चाहते हैं. आगे बताते हुए उन्होंने कहा कि इसके लिए हम दक्षिण हरियाणा के जिलों के लिए एक योजना विकसित कर रहे हैं. ग्रीन वॉल के क्रियान्वयन के लिए केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय द्वारा एक परियोजना भुजा का गठन किया जाएगा. अतिरिक्त रूप से जिला स्तरीय परियोजना यूनिट्स स्थापित की जाएंगी. लंबे समय पर होने वाले इसके फायदों पर बात करते हुए अधिकारियों ने बताया कि- यह परियोजना कटाव को कम करने और मिट्टी की उर्वरता में सुधार करने में मददगार होगी. यह जल निकायों और स्थानीय धाराओं के जलग्रहण को फिर से जीवंत करने में मदद करेगा केवल यही नहीं यह परियोजना मिट्टी की नमी व्यवस्था और सूखे के प्रतिरोध में सुधार करने में भी मददगार साबित होगी.