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Sarhul 2023: मांदर की थाप पर थिरके गुमला एसपी, शोभायात्रा में हुए शामिल

गुमला में सरहुल पर्व शांतिपूर्ण संपन्न हुआ. प्रकृति पर्व सरहुल को लेकर गुमला एसपी डॉ एहतेशाम वकारीब भी काफी उत्साहित दिखें. रोजा रखे एसपी ने मांदर की थाप पर थिरके. वहीं, शोभायात्रा के वक्त भी अन्य प्रशासनिक अधिकारियों के साथ मौजूद रहे.

गुमला, जगरनाथ पासवान : गुमला के पुलिस अधीक्षक डॉ एहतेशाम वकारीब ने सरहुल पर्व पर भाइचारगी का अटूट मिशाल पेश किया. रमजान शुरू होते ही एसपी रोजा रखे हुए हैं. इसके बाद भी वे सरहुल पूजा में शामिल हुए. चंदाली स्थित सरना स्थल पर पूजा हुई. जहां एसपी भाग लिये. वे पूरे पूजा के दौरान उपस्थित रहे. पूजा के दौरान सिर पर सफेद रंग की पगड़ी और कानों में सरई फूल लगाये हुए थे. रोजा के बावजूद वे अपने कंधे पर मांदर टांग लिये और पूरे उत्साह और उमंग से मांदर बजाये. सरना गीत के दौरान एसपी मांदर बजाते हुए थिरके भी. सरना स्थल में पूजा के बाद एसपी गुमला शहर में निकाले गये शोभायात्रा में भी शामिल हुए. विधि व्यवस्था को लेकर शहर का भ्रमण किया. जुलूस में शामिल हुए. लोगों से शांति पूर्ण तरीके से जुलूस में भाग लेने की अपील भी की.

झारखंड का महत्वपूर्ण पर्व सरहुल

इस दौरान एसपी ने कहा कि सरहुल का पर्व झारखंड के लिए महत्वपूर्ण है. ग्लोबल वार्मिंग की जो समस्या है. प्रकृति को हमें बचाना चाहिए. प्रकृति हमारी मां है. हम सभी की जिम्मेवारी है. हम प्रकृति को बचायें. गुमला के लोग सरहुल को लेकर शांतिपूर्ण तरीके से जुलूस में शामिल हुए हैं. लोग भाईचारगी की मिशाल पेश कर रहे हैं. एसपी ने कहा कि आने वाले दिनों में रामनवमी सहित कई पर्व है. हम सभी इसी प्रकार गुमला में भाईचारगी प्रस्तुत करें. हम सभी मिल-जुलकर रहें. इधर, जुलूस के दौरान एसपी डॉ एहतेशाम वकारीब के अलावा एसडीपीओ मनीष चंद्र लाल, इंस्पेक्टर मनोज कुमार, थानेदार विनोद कुमार, सार्जेंट मेजर प्रणव कुमार सहित जिले के कई वरीय अधिकारी जुलूस में शामिल होकर विधि व्यवस्था पर नजर रखें.

एकता की डोर में बांध गया सरहुल

गुमला में सरहुल पर्व हमें एकता की डोर में बांध गया. जिस प्रकार जाति मजहब से ऊपर उठकर सभी जाति व धर्म के लोगों ने सरहुल जुलूस का स्वागत किया. निश्चित रूप से यह मिशाल है. मुस्लिम व हिंदु धर्मावलंबियों द्वारा जुलूस का जोश-खरोश के साथ स्वागत किया गया. कहीं कोई जातीय बंधन नहीं दिखा. हम एक हैं और एक रहेंगे. हमारी एकता को कोई तोड़ नहीं सकता. इस प्रकार के शब्दों का प्रयोग जुलूस के दौरान होना, यह दर्शाता है कि गुमला की जो छवि उग्रवाद व नक्सलवाद के कारण खराब हुआ है. उसे लोग भाइचारगी से धोने का प्रयास कर रहे हैं. केंद्रीय महावीर मंडल, झामुमो अल्पसंख्यक मोर्चा सहित कई संगठन के लोगों ने जुलूस का स्वागत किया. मारवाड़ी युवा मंच, चेंबर ऑफ कामर्स, समाज सेवी अनिल कुमार, पूर्व अध्यक्ष दीपक कुमार गुप्ता, कांग्रेस कमेटी गुमला सहित दर्जनों संगठनों ने स्टॉल लगाकर लोगों को पानी पिलाया. चना व गुड़ का वितरण किया.

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भाइचारगी का मिशाल पेश करते आया है गुमला

केंद्रीय महावीर मंडल समिति के संरक्षक रमेश कुमार चीनी ने कहा कि गुमला शुरू से ही भाइचारगी का मिशाल पेश करते आया है. सरहुल प्रकृति पर्व है. यह प्रकृति एवं मनुष्य के मिलन का पर्व है. प्रकृति नहीं होगी तो मनुष्य का जीवन समाप्त हो जायेगा. हवा और पानी प्रकृति से जुड़ा है. हम अपने जीवन के लिए प्रकृति को बचाये. सरहुल के पर्व में हम संकल्प लें. पौधा लगायेंगे और उसका संरक्षण करेंगे. सरहुल पर्व की महत्ता को समझें और प्रकृति संरक्षण पर ध्यान दें. मौके पर हिमांशु केशरी, शशि बंटी, राजेश सिंह, दामोदर कसेरा, मुनेश्वर साहू, सत्यनारायण पटेल, बालेश्वर सिंह, संजय वर्मा, बबलू वर्मा, मनोज वर्मा, पदम साबू, अनूप चंद्र अधिकारी, निर्मल गोयल, विनोद कुमार, विकास सिंह, संदीप प्रसाद, बृज फोगला, दिलीप निलेश, दिनेश अग्रवाल, सरजू प्रसाद सहित कई लोग थे.

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