21.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

Prabhat Samvad program: पूर्व सीएम रघुवर दास और विधायक सरयू राय के बीच कैसे बढ़ी दूरी, पढ‍़ें पूरी खबर

'प्रभात संवाद' कार्यक्रम में पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास के बारे में जमशेदपुर पूर्वी विधानसभा से निर्दलीय विधायक सरयू राय ने बेबाकी से बात रखी. कहा कि सरकार में जब था, तो रघुवर दास जी का विरोध नहीं करता था. जब लगता था कि नियम-कानून के परे कोई चीज हो रही है, तो उसको उठाता था.

Prabhat Samvad program: जमशेदपुर पूर्वी विधानसभा से निर्दलीय विधायक सरयू राय ने ‘प्रभात संवाद’ कार्यक्रम में पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास के बारे में बेबाकी से बात रखी. यह पूछे जाने पर कि निर्दलीय चुनाव लड़ने की परिस्थिति कैसे बन गयी. भाजपा में रघुवर दास का विरोध महंगा पड़ा? इस पर निर्दलीय विधायक श्री राय ने कहा कि सरकार में जब था, तो रघुवर दास जी का विरोध नहीं करता था. जब लगता था कि नियम-कानून के परे कोई चीज हो रही है, तो उसको उठाता था. व्यक्तिगत रूप से मिल कर भी और कैबिनेट में भी. इससे 400 से 500 करोड़ की बचत भी सरकार को हुई है. इस कारण से उनकी नाराजगी हो गयी. देखिए, 2014 में हमलोग चुनाव जीत कर आये थे. 2013 में निशिकांत जी, जो हमारे सांसद हैं, ने एक दिन मुझसे कहा कि आपमें और रघुवर दास जी में तनाव रहता है. तनाव का मूल कारण था मैनहर्ट की जांच, जो हमको मिली थी विधानसभा में समिति से. इसमें जो सही चीजें थी, उसको मैंने लिख दिया.

उन्होंने (निशिकांत) कहा कि रघुवर दास जी आपसे बात करना चाहते हैं अलग से निशिकांत जी के दिल्ली ऑफिस में हम तीनों की अलग से बैठक हुई और तीनों मिले. तय हुआ कि जो हो गया, सो हो गया, अब पार्टी हित में मिल कर काम करेंगे. जब उनकी सरकार बनने की बात हुई, मुझसे कहा गया कि मुख्यमंत्री की दावेदारी आप मत कीजिए़ नड्डा जी आये थे बीएनआर होटल में. मैंने कहा कि मैंने कभी दावेदारी नहीं की है. सामाचार पत्र के लोग कयास लगाते हैं, तो क्या करें. रघुवर दास जी मुख्यमंत्री हो गये. अगले दिन जब शपथ होनेवाला था, तो करीब 12 बजे रात में सौदान सिंह ने मुझे भाजपा कार्यालय बुलाया. आधे घंटे इधर-उधर की बात के बाद काम की बात हुई. उन्होंने कहा कि कल ओथ है, मुख्यमंत्री समेत चार मंत्री शपथ ले रहे हैं. उसमें आपका नाम नहीं है. मैंने कहा : नहीं है, तो इसमें विशेष सूचना देने की बात नहीं थी. उन्होंने कहा कि जब विस्तार होगा, तो आपको शामिल किया जायेगा. मैंने कहा कि विस्तार कीजिए और तब भी मुझे शिकायत नहीं होगी. वहां तीन-चार लोग थे, सौदान सिंह थे, रघुवर दास थे, राजेंद्र सिंह संगठन मंत्री थे. प्रभारी त्रिवेंद्र सिंह रावत थे. उन लोगों ने कहा कि नहीं-नहीं… विस्तार होगा, तो शामिल होंगे. विस्तार हुआ एक- डेढ़ महीने के बाद. उस समय मुझे बताया गया कि रघुवर दास जी आपका विरोध कर रहे हैं. मगर जो केंद्र के नेता हैं, उन्होंने कहा है कि उनको (सरयू राय को) रखना ही पड़ेगा.

मंत्री मैं बना, तो मुझे खाद्य आपूर्ति विभाग मिला़ अगले दिन कई लोग आये, सबने कहा कि हम सभी को अपमानजनक लग रहा है, लेकिन आप इसको स्वीकार कर लीजिएगा, छोड़िएगा मत़ इस तरह से चलता रहा. मैंने कहा था कि दो साल तक मैं कुछ नहीं बोलूंगा़ दो साल में स्थिति नहीं सुधरी, तो बोलना पड़ेगा़ दो साल के भीतर ही स्थितियां बनी, तो चार अगस्त, 2017 को मुझे प्रधानमंत्री जी ने समय दिया़ पुराना परिचय है. इधर-उधर की बातें हुईं. हमलोगों के पर्यावरण कार्यक्रम के बारे में पूछा. देवराहा बाबा की किताब हमने उनको दी थी. संतों के बारे में चर्चा की. काफी समय हो गया, तो मैंने कहा कि नरेंद्र भाई, मैं आपके यहां विशेष काम के लिए आया हूं. विशेष काम यह है कि जिस सरकार में मैं हूं, वहां मुझे रोज शर्मिंदगी उठानी पड़ती है. चाहता हूं कि मैं सरकार छोड़ दू़ं. मैं आपके यहां इसलिए आया हूं कि आप लोगों ने मुझे सरकार में रखवाया है. अगर मुख्यमंत्री ने मुझे मंत्री बनाया होता, तो मैं वहीं इस्तीफा छोड़कर आता, आपके यहां आने की जरूरत नहीं होती. पुराने संबंध हैं, आप कहेंगे कि हमने इनको मंत्रिमंडल में रखवाया और इन्होंने छोड़ दिया. प्रधानमंत्री जी ने कहा कि कैबिनेट छोड़ना सपने में भी नहीं सोचना चाहिए़ मैं अमित भाई से बात करूंगा, वह चीजों को ठीक करेंगे. 15 दिन बाद अमित शाह जी का फोन आया. मैं दिल्ली गया. 40 मिनट उनसे बात हुई़ उन्होंने कहा कि 15, 16, 17 सितंबर, 2017 को रांची रहनेवाला हूं. मैं चीजों को ठीक करूंगा. वे तीन दिन रहे भी. सारी बातें हुईं. चीजें ठीक भी हुई, पर दिसंबर बीतते-बीतते वही रफ्तार.

Also Read: झारखंड : विधायक सरयू राय का बड़ा ऐलान, कहा- परिस्थिति बनी तो जमशेदपुर पूर्वी से ही लड़ेंगे चुनाव

रघुवर दास जी की स्वाभाविक नाराजगी है. कोई मुख्यमंत्री रहता है, कैबिनेट का कोई व्यक्ति उसके हिसाब से न चले, तो उन्होंने गांठ बांध लिया कि अगली बार उनको चुनाव में टिकट नहीं दूंगा़ मंत्री पद से हटा नहीं सकते थे, क्योंकि मुझे आलाकमान ने रखवाया था. दिल्ली में कई जगह कहा उन्होंने तो मेरे पास बात आयी. मैं दिल्ली गया. लोकसभा चुनाव के पहले दिल्ली में जो मिला, उससे मैंने यही कहा कि भाई, यदि अगले चुनाव में मुझे टिकट नहीं देना चाहते हैं, तो आप मुझे बता दीजिए़ मैं खुद ही प्रेस को बुला दूंगा और कहूंगा कि मैं चुनाव नहीं लडूंगा़ पार्टी का काम करूंगा़ सबने कहा कि ऐसा कैसे होगा कि आप चुनाव नहीं लड़ेंगे. उसके बाद लोकसभा चुनाव आया. उस समय जो महाधिवक्ता थे, बार कांउसिल के मेंबर भी थे. खान विभाग की गड़बड़ियों में उनकी संलिप्तता की बात मैंने कैबिनेट में भी उठायी. अध्यक्ष के नाते उन्होंने बार कांउसिल में मेरे खिलाफ निंदा का प्रस्ताव पारित करा दिया.

मैंने कैबिनेट में इस मामले को उठाया कि मैं कैबिनेट का मेंबर हूं और हमारी सरकार के एडवोकेट जनरल कैबिनेट मंत्री के खिलाफ ही निंदा का प्रस्ताव पारित करा रहे हैं. मैंने बार काउंसिल को भी लिखा़ मुझे भी बुलाइये, मैं आना चाहता हूं, लेकिन कैबिनेट में मुझे मुख्यमंत्री से कोई सहयोग नहीं मिला़ मुख्यमंत्री ने पूछा तक नहीं अपने एडवोकेट जनरल से. फिर मैं दिल्ली गया. नेताओं को बताया कि 28 फरवरी तक पार्टी इसका समाधान नहीं करेगी, तो मैं एक मार्च को राज्यपाल के यहां जाकर इस्तीफा दे दूंगा. समय बीतता गया़ मैंने राज्यपाल से समय भी ले लिया कि मैं एक मार्च को आपसे मिलूंगा. इस बीच 25 या 26 तारीख, हमारे बड़े अधिकारी थे रामलाल जी, दिल्ली से आये थे. उन्होंने मुझसे बात की, रघुवर दास जी से भी बात की. उन्होंने एक ही बात कही, देखिए, जो अभी स्थिति तत्काल है, उसमें बहुत सुधार कराने की स्थिति में नहीं हूं, लेकिन लोकसभा का चुनाव है. इस तरह का कदम मत उठाइये, लोकसभा का चुनाव जीतना है. मैं उनकी बात मान गया़ मैंने राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू जी का समय ले लिया था, तो मैं उनके यहां गया़ और सारी बातें बतायीं. लोकसभा चुनाव के बाद माथुर जी हमारे प्रभारी हुए. पुराने परिचित हैं. साथ में हमलोग काम किये थे़, तो मैं दिल्ली उनके यहां गया, उनको भी सारी चीजें बतायी.

उन्होंने कहा कि आप मुझे पहले ही बता दीजिए, टिकट देना या नहीं देना है? फिर माथुर जी ने कहा कि नहीं भाई साहब, एक आदमी की पार्टी थोड़े है. सामूहिक विचार होता है, जाइये काम कीजिए. मैंने अपना कार्यालय खोल लिया. समय से पहले ऑफिस का उदघाटन करा लिया, उनके कहने पर. अगस्त में ही मैंने सब-कुछ कर लिया. चुनाव नवंबर में होता. उसके बाद बार-बार यही बातें होती रही, जब पहली बार पार्लियामेंट्री बोर्ड की मीटिंग हुई. उसके पहले मैं दिल्ली गया. मैंने राजनाथ सिंह जी से कहा कि कल बैठक होनी है. मुझे पार्टी टिकट नहीं देना चाहती है, तो कल ही कह दें कि भाई आप चुनाव मत लड़िए पार्लियामेंट्री बोर्ड की मीटिंग में चर्चा हुई. कुछ बातें हुईं.

Also Read: झारखंड : विधायक सरयू राय का बन्ना गुप्ता पर निशाना, कहा- मेरे पास है घोटाले का प्रमाण, पढ़ें पूरी खबर

बिहार में मेरी एक किताब के नीतीश कुमार से रिलीज कराये जाने की चर्चा हुई. फिर मेरी सीट पेंडिंग हो गयी. राजनाथ सिंह ने बैठक में बात रखी. मैंने किताब के बारे में बताया कि इसे मैंने दिसंबर में रिलीज करायी. नीतीश कुमार लालू को छोड़ कर अगस्त में ही साथ आ गये थे. जिस समय भाजपा के समर्थन से मुख्यमंत्री थे, पुस्तक का विमोचन उसी समय हुआ था. फिर मैंने नड्डा जी को फोन किया, तो उन्होंने कहा, देखते हैं भाई साहब. यह सब होता रहा, पहले लिस्ट में पेंडिंग, दूसरा पेंडिंग, तीसरा पेंडिंग, जब चौथा पेंडिंग हुआ. एक दिन नाॅमिनेशन का बचा था, तब मैंने कहा कि आप लोग मुझे अपमानित कर रहे हैं. अब रघुवर दास के खिलाफ चुनाव लडूंगा. यही घटना हुई थी. यह बहुत सामान्य सी घटना है. मैं चुनाव इसलिए नहीं लड़ा था कि मैं जीत जाऊंगा. सीट कठिन थी. रघुवर दास 60 हजार वोट से जीते थे. छह महीने पहले लोकसभा का चुनाव हुआ था. एक लाख दो-तीन हजार की लीड उस क्षेत्र से विद्युत वरण महतो की थी. बहुत आसान नहीं था, लेकिन मेरे मन में अपमान की भावना थी. मैं अपने आप को रोक नहीं सका. नतीजा भी मेरे पक्ष में आ गया.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें