Chaiti Chhath Puja 2023 Shubh Sanyog: 25 मार्च से चैती छठ की शुरुआत हो चुकी है. 28 मार्च को उगते सूर्य को अर्घ्य देकर इस पर्व का समापन हो जाएगा चैती छठ और कार्तिक छठ साल के ये दो प्रमुख छठ पर्व हैं. कार्तिक मास के छठ के साथ शीत ऋतु का प्रभाव बढ़ने लगता है और चैती छठ के साथ ग्रीष्म ऋतु का का प्रभाव बढ़ जाता है. आइए जानते हैं चैती छठ के सूर्य अर्घ्य समय और बनने वाले शुभ योगों में बारे में
चैती छठ पर खरना दिन यानी 26 मार्च को कृतिका नक्षत्र होगा और साथ में प्रीति एवं रवियोग रहेगा. 27 मार्च को आयुष्मान योग, रोहिणी नक्षत्र और सर्वार्थ सिद्धि योग में अस्त होते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा जबकि 28 मार्च को मृगशिरा नक्षत्र, सौभाग्य और सर्वार्थ सिद्धि योग में उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर व्रती पुण्य का लाभ पाएंगे.
आज 26 मार्च को कृत्तिका नक्षत्र व प्रीति योग में व्रती पूरे दिन उपवास कर शाम में खरना की पूजा के बाद प्रसाद ग्रहण करेंगी. इसी के साथ 36 घंटे निर्जला उपवास शुरू हो जायेगा. 27 मार्च को अस्ताचलगामी सूर्य को और 28 मार्च को उदीयमान सूर्य को अर्घ दिया जायेगा.
25 मार्च, शनिवार: नहाय खाय
26 मार्च, रविवार: खरना
27 मार्च, सोमवार: डूबते सूर्य को अर्घ्य, समय: शाम 06:36 बजे
28 मार्च, मंगलवार: उगते हुए सूर्य को अर्घ्य, पारण के साथ व्रत का समापन, समय: सुबह 06:16 बजे
27 मार्च को अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा और 28 मार्य को उदयमान सूर्य को अर्घ्य अर्पित कर पारण किया जाएगा. 27 मार्च को शाम के अर्घ्य के लिए 5.30 बजे और 28 मार्च को सुबह के अर्घ्य के लिए 5.55 बजे का शुभ मुहूर्त है.
लोक आस्था के महापर्व छठ पूजा के दौरान व्रती 36 घंटे का निर्जला उपवास रखती हैं. छठ में संतान की लंबी आयु की कामना करते हुए व्रती भगवान सूर्यदेव की आराधना करती हैं. इसके साथ ही इस पर्व को करने से परिवार में सुख, समृद्धि और शांति आती है. छठ पूजा में भगवान सूर्य देव की पूजा का विधान है. संध्या अर्घ्य के दिन भगवान सूर्य को अस्त होते हुए अर्घ्य दिया जाता है. वहीं, अगले दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है.