OneWeb Satellite Internet Service : सैटेलाइट के जरिये कम्यूनिकेशन सर्विस मुहैया करानेवाली कंपनी वनवेब के एग्जीक्यूटिव चेयरमैन सुनील भारती मित्तल ने कहा है कि कंपनी पश्चिमी देशों की मोबाइल सेवा दरों की बराबरी कर सकती है लेकिन इसकी दरें भारत में मौजूद शुल्क दरों की तरह कम नहीं हो सकती हैं. पृथ्वी की निचली कक्षा (एलईओ) में रविवार को 36 उपग्रहों के प्रक्षेपण के साथ वनवेब समूह के पास अब 618 उपग्रह हो चुके हैं, जो भारत समेत पूरी दुनिया में दूरसंचार सेवा दे सकते हैं.
वनवेब परियोजना के प्रमुख मित्तल ने प्रक्षेपण और सेवाओं के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि इसके तहत दी जाने वाली सेवाएं किफायती होंगी और अगर एक गांव में 30-40 लोग भी इसका उपयोग करते हैं तो दरें मोबाइल सेवा के बराबर ही होंगी. हालांकि भारत में मौजूदा मोबाइल सेवा योजनाओं की तुलना में एकल उपयोग के लिए सेवाओं पर ज्यादा खर्च आयेगा.
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मित्तल ने कहा, अगर आप पूछें कि क्या उपग्रह दूरसंचार की कीमतें मोबाइल शुल्क के बराबर हो सकती हैं? पश्चिमी देशों में तो ऐसा अभी ही हो सकता है. लेकिन 2 या 2.5 डॉलर प्रति महीने के शुल्क वाले भारत के मामले में ऐसा नहीं है. इसकी वजह यह है कि यह दर पहले ही बहुत कम है.
मित्तल ने उम्मीद जता कि वनवेब को जुलाई-अगस्त तक भारत में सेवाओं के संचालन संबंधी सभी जरूरी मंजूरियां मिल जाएंगी. वनवेब को उपग्रह सेवाओं की मंजूरी मिली हुई है लेकिन उसे अंतरिक्ष-संचार नीति के अलावा सिग्नल भेजने के लिए स्पेक्ट्रम आवंटित होने तक इंतजार करना होगा.
वनवेब एलन मस्क की स्पेसएक्स की स्टारलिंक सेवा के विपरीत अपने उपग्रहों के माध्यम से व्यापक स्तर पर इंटरनेट सेवा देने के लिए गठित कंपनी है. स्पेसएक्स सीधे व्यक्तिगत उपभोक्ताओं को सेवाएं देती है. वनवेब ने अपने 72 उपग्रह प्रक्षेपित करने के लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) से 1,000 करोड़ रुपये का समझौता किया था.
वनवेब भूमध्य रेखा से 36,000 किलोमीटर ऊंचाई पर भूस्थैतिक कक्षा (जीईओ) में स्थापित उपग्रहों का उपयोग करने के पारंपरिक तरीके के बजाय एलईओ उपग्रहों का उपयोग कर ब्रॉडबैंड इंटरनेट सेवा प्रदान करती है. (भाषा इनपुट के साथ)