झारखंड हाइकोर्ट के जस्टिस संजय कुमार द्विवेदी की अदालत ने क्रिमिनल क्वैशिंग याचिका पर सुनवाई की. इस दौरान प्रार्थी डॉ विजय कुमार के खिलाफ साहिबगंज की निचली अदालत में चल रही आपराधिक कार्यवाही को निरस्त कर दिया. अदालत ने अपने फैसले में कहा है कि यह सच है कि चिकित्सा पेशे का एक हद तक व्यवसायीकरण हो गया है. कई डॉक्टर हैं, जो पैसे कमाने के लिए अपनी शपथ के विपरीत काम करते हैं.
हालांकि, एक सेब के सड़ जाने से सारे सेब खराब नहीं होते हैं. उसी प्रकार कुछ चिकित्सकों के कारण पूरी चिकित्सा बिरादरी को दोष नहीं दिया जा सकता है. यह सर्वविदित है कि डॉक्टर द्वारा सर्वोत्तम प्रयास करने के बावजूद कभी-कभी वे सफल नहीं होते हैं. इसका मतलब यह नहीं है कि डॉक्टर को अपराधी के रूप में पकड़ना चाहिए. यह अदालत इस निष्कर्ष पर पहुंची है कि याचिकाकर्ता डॉ विजय कुमार का मामला पूरी तरह से सही है.
हाथ में आये मामले में चिकित्सक ने अपने दायित्व का निर्वहन किया है. ऑपरेशन सफल रहा. इसके बाद मरीज को वार्ड में लाया गया था. अदालत ने क्वैशिंग याचिका को स्वीकार करते हुए मामले को निष्पादित कर दिया. इससे पूर्व प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता पांडेय नीरज राय, अधिवक्ता रोहित रंजन सिन्हा व अधिवक्ता साैरभ सागर ने पक्ष रखा. उन्होंने अदालत को बताया कि सूर्या नर्सिंग होम के नाम से डॉ विजय कुमार का साहिबगंज में क्लीनिक है.
उन्होंने शिकायतकर्ता मो मुखलेशर रहमान के पिता के हर्निया का ऑपरेशन किया था. इलाज में कोई लापरवाही नहीं हुई थी. बावजूद मरीज की माैत हो गयी. मरीज के परिजनों ने चिकित्सक के खिलाफ मामला दर्ज कराया था, जिसमें निचली अदालत द्वारा आपराधिक कार्यवाही चलायी जा रही है. उल्लेखनीय है कि डॉ विजय कुमार ने क्रिमिनल क्वैशिंग याचिका दायर कर साहिबगंज की निचली अदालत के आदेश को चुनाैती दी थी.