रांची, शकील अख्तर: आयकर विभाग ने मजदूरों के कल्याण के लिए बने कर्मकार कल्याण बोर्ड के बैंक खाता को अटैच कर 90 करोड़ रुपये वसूल लिया है. विभाग ने यह कार्रवाई बोर्ड को भेजे गये डिमांड नोटिस के बाद भी टैक्स नहीं चुकाने की वजह से की है. सरकार ने भवन व अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड के लिए आयकर में छूट के लिए बोर्ड को निबंधित नहीं कराया था.
सरकार ने भवन सहित अन्य निर्माण कार्यों से जुड़े मजदूरों के लिए कल्याणकारी योजनाएं चलाने के लिए इस बोर्ड का गठन किया था. बोर्ड गठित होने के बाद मजदूरों के लिए कल्याणकारी योजनाएं शुरू कर दी गयी. लेकिन आयकर अधिनियम की धारा 12ए और 80 जी के तहत छूट लेने के लिए निबंधित नहीं कराया. आयकर अधिनियम में कल्याणकारी संस्थाओं को आयकर में छूट देने का प्रावधान है.
इसके लिए संबंधित संस्था को आयकर अधिनियम की धारा 12ए और 80 जी के तहत छूट का लाभ लेने के लिए आयकर विभाग में निबंधित कराना पड़ता है. मजदूरों के कल्याण के लिए गठित इस बोर्ड द्वारा छूट के लिए आवश्यक कानूनी प्रक्रिया पूरी नहीं करने की वजह से आयकर विभाग बोर्ड द्वारा दायर रिटर्न के आलोक में आयकर की गणना करती रही.
बाद में आयकर विभाग ने करीब चार साल पहले बोर्ड को डिमांड नोटिस जारी किया. आयकर विभाग द्वारा जारी डिमांड नोटिस के बाद भी बोर्ड की ओर से कोई जवाब नहीं मिलने पर आयकर विभाग ने टैक्स रकम की वसूली की कार्रवाई की.
आयकर विभाग ने बैंक को बोर्ड के खाते से अटैच 90 करोड़ रुपये आयकर विभाग को देने से संबंधित आदेश दिया. इसके बाद आयकर विभाग ने बैंक अधिकारी को समन भेज कर बुलाया. समन को देखते हुए बैंक ने उक्त राशि का ड्राफ्ट बना कर आयकर विभाग के हवाले कर दिया.
आयकर विभाग द्वारा की गयी इस कार्रवाई के बाद बोर्ड की ओर से आयकर विभाग के साथ पत्राचार शुरू किया गया है. लेकिन अब तक इसका कोई नतीजा नहीं निकल पाया है. आयकर विभाग की डिमांड नोटिस के खिलाफ अपील करने की समय सीमा 30 दिन निर्धारित है.
विशेष परिस्थितियों में आयकर आयुक्त (अपील) देर से दायर की जानेवाली अपील को स्वीकार कर सकते हैं, लेकिन चार साल पुराने डिमांड नोटिस के खिलाफ अपील स्वीकार करना मुश्किल है. बोर्ड द्वारा अब छूट के लिए निबंधन कराने पर भी छूट का लाभ पिछली तिथि से प्रभावी नहीं होगा. इसलिए आयकर विभाग द्वारा वसूली गयी रकम की वापसी असंभव है.
मजदूरों के लिए कल्याणकारी योजनाएं चलाने के लिए निर्माण कार्यों के दौरान ‘लेबर सेस’ के रूप में वसूली गयी राशि, बोर्ड को दी जाती है. निर्माण कार्यों के अलावा नक़्शा पास करने में भी स्थानीय निकायों द्वारा लेबर सेस के रूप में एक प्रतिशत की दर से वसूली की जाती है. मज़दूरों के कल्याण के गठित इस बोर्ड को फिलहाल औसत 150-170 करोड़ रुपये मिलते हैं. इसी राशि से निर्माण कार्यों से जुड़े मज़दूरों के लिए कल्याणकारी योजनाएं चलायी जाती हैं.