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बिहार में PHED ने शुरू किया सोशल ऑडिट, चापाकल की मरम्मत के बाद पोर्टल पर फोटो डालना जरूरी

विभाग के पोर्टल पर मरम्मत किये गये चापाकलों की पूरी जानकारी दी जायेगी और मरम्मत किये गये चापाकलों की तस्वीर भी लोड करना होगा. इसके बाद चापाकल को ठीक माना जायेगा.

पटना. बिहार के सुदूर इलाकों में जहां पाइपलाइन की व्यवस्था या अन्य कारणों से जलापूर्ति योजना पहुंचाने में कठिनाइयां होती है. वैसे सभी इलाकों में प्राथमिकता के आधार पर चापाकल लगाया जाता है. पीएचइडी वैसे पुराने बंद पड़े हर चापाकल का स्थल निरीक्षण करा रही है. जहां से चापाकल खराब होने की शिकायत अधिक मिलती है. वैसे इलाकों के चापाकलों को पहले मरम्मत किया जाता है, लेकिन ठीक नहीं होने वाले चापाकलों को हटाया जा रहा है. साथ ही नये चापाकलों को लगाया भी जा रहा है. विभाग के मुताबिक अभी विभाग की ओर से राज्य में लगभग आठ हजार के करीब चापाकल हैं, जिनका सोशल ऑडिट शुरू किया गया है.

करायी जा रही है जियो टैगिंग

पीएचइडी द्वारा चापाकलों की जियो टैगिंग का काम लगभग पूरा हो चुका है. इन चापाकलों को चालू रखने के लिए नियमित रूप से मरम्मत के लिए जिलों में टीम भी तैनात है, लेकिन ग्रामीणों के द्वारा चापाकलों की मरम्मत नहीं होने की शिकायत प्राप्त होने के बाद चापाकल का सोशल ऑडिट शुरू किया गया है. वहीं, विभाग की ओर से ऑनलाइन मॉड्यूल विकसित किया गया है. इससे चापाकलों की जियो टैगिंग,मरम्मत संबंधी सभी जानकारी संबंधित कार्यपालक द्वारा दी जाती है, जिसे विभाग के पोर्टल पर अपलोड किया जाता है.

जेनेरेट होगा यूनिक आइडी

विभाग के पोर्टल पर मरम्मत किये गये चापाकलों की पूरी जानकारी दी जायेगी और मरम्मत किये गये चापाकलों की तस्वीर भी लोड करना होगा. इसके बाद चापाकल को ठीक माना जायेगा. साथ ही, चापाकलों की मरम्मत करने के बाद एक यूनिक आइडी खुद से बन जायेगी. जिसके बाद राशि का भुगतान भी आसानी से हो जायेगी.

सत्यापन के लिए स्थल निरीक्षण भी होगा

चापाकल की मरम्मति के बाद अधिकारी सत्यापन के लिए कभी भी स्थल निरीक्षण के लिए पहुंचेंगे. ऐसा निर्देश सभी जिलों को विभाग ने दिया है. स्थल निरीक्षण के बाद अधिकारियों को आस-पास के पांच लोगों से हस्ताक्षर लेना होगा. साथ ही, चापाकल की तस्वीर लाभुकों के साथ रहेगी.

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नियमित होगी पानी की शुद्धता जांच

विभाग के मुताबिक चापाकल के पानी की शुद्धता जांच नियमित होगी. लाभुक जब चाहे , इसके लिए मरम्मति दलों के पास भी किट उपलब्ध करा दिया गया है. ताकि मरम्मति के दौरान पानी जांच भी हो सकें. वहीं, तीन माह पर पानी की जांच कराना अनिवार्य है.

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