सरकार ने आर्थिक कारणों से विकास योजनाओं के लिए निर्धारित 57,259 करोड़ रुपये के योजना आकार को घटा कर 54,793.48 करोड़ रुपये कर दिया है. इसके बावजूद वित्तीय वर्ष के अंतिम दिन 10 हजार करोड़ रुपये सरेंडर का अनुमान है. प्रवर्तन निदेशालय (इडी) द्वारा मुख्य अभियंता बीरेंद्र राम के पकड़े जाने के बाद सरकार ने ग्रामीण विकास विभाग के योजना आकार में 3,172 करोड़ रुपये की कटौती की.
साथ ही बीरेंद्र राम के समय जारी किये गये सभी टेंडरों के रद्द कर दिया. 30 मार्च तक विकास योजनाओं के संशोधित योजना आकार में से 43,546.38 करोड़ रुपये खर्च किया जा सका. यह संशोधित योजना आकार का 79.47 प्रतिशत है. राज्य सरकार ने चालू वित्तीय वर्ष(2022-23) के लिए विकास मद में खर्च करने के लिए 57,259 करोड़ रुपये का बजटीय प्रावधान किया था.
हालांकि, आर्थिक कारणों में इसमें 2,465.52 करोड़ रुपये की कटौती कर दी गयी. वित्तीय वर्ष के अंतिम तिमाही के दौरान सरकार वे विभिन्न विभागों द्वारा खर्च की गयी राशि और जरूरत के मुकाबले विभाग के योजना आकार को संशोधित किया. इस दौरान कुछ विभागों के योजना आकार में कटौती की गयी और कुछ के योजना आकार बढ़ाये गये. सरकार ने जिन विभागों के योजना आकार में कटौती की, उनमें कृषि-पशुपालन-सहकारिता, उच्च एवं तकनीकी शिक्षा, उद्योग, खाद्य आपूर्ति, ग्रामीण विकास सहित कुछ अन्य विभागों का नाम शामिल हैं.
सरकार ने ग्रामीण विकास विभाग का योजना आकार 7,800 करोड़ से घटा कर 5,135.95 और आरइओ का योजना आकार 2,500 करोड़ से घटा कर 1,991.27 करोड़ रुपये कर दिया. सरकार ने खाद्य आपूर्ति विभाग के योजना आकार को भी 2,500 करोड़ से घटा कर 1,695.95 करोड़ रुपये कर दिया. पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के योजना आकार में भी कटौती करते हुए उसे 3,863.06 करोड़ से घटा कर 1,993.56 करोड़ रुपये कर दिया. स्वास्थ्य विभाग के योजना आकार के 4,200 करोड़ रुपये से घटा कर 4,170.41 करोड़ रुपये किया गया. हालांकि, स्वास्थ्य विभाग ने 30 मार्च तक सिर्फ 2,883.40 करोड़ रुपये ही खर्च कर पाया.