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बिहार में बढ़ती गर्मी के साथ बढ़ा आग लगने का खतरा, पीड़ितों को 24 घंटे के अंदर मिलेगी सहायता

डीएम ने कहा कि अग्निकांड पीड़ितों को 24 घंटे के अंदर पॉलिथीन शीट, नकद अनुदान तथा वस्त्र एवं बर्तन के लिए अनुदान उपलब्ध कराया जाए. जले व क्षतिग्रस्त मकानों का सर्वेक्षण कर इसका जियो टैगिंग एवं फोटोग्राफी करा कर गृह क्षति अनुदान का भुगतान शीघ्र होना चाहिए.

पटना के डीएम डॉ चंद्रशेखर सिंह ने लोगों से अग्नि-सुरक्षा के लिए निर्धारित मापदंडों का पालन करने का आह्वान किया. साथ ही आपदा प्रबंधन के पदाधिकारियों को आग लगने की घटना पर अग्निकांड पीड़ितों को 24 घंटे के अंदर अनुमान्य सहायता उपलब्ध कराने का निर्देश दिया. जिले वासियों के नाम एक संदेश में उन्होंने कहा कि ग्रीष्मकाल में विभिन्न क्षेत्रों में अग्निकांड की आशंका बढ़ जाती है. इसलिए हर व्यक्ति के स्तर पर अपेक्षित सतर्कता आवश्यक है.

मानक संचालन प्रक्रिया का निर्धारण

अग्निकांड की आपदा से निबटने के लिए आपदा प्रबंधन विभाग ने मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) का निर्धारण किया है. इसके अनुपालन से अगलगी की घटनाओं को रोका जा सकता है. डीएम ने अग्निकांड की सूचना मिलने पर अंचल अधिकारी/अनुमंडल पदाधिकारी को घटना स्थल पर पहुंच कर राहत व बचाव का कार्य कराना सुनिश्चित करने को कहा है. बड़ी घटना होने पर वहां एडीएम पहुंच कर वस्तुस्थिति को देखें. बचाव का व्यापक प्रचार-प्रसार होना चाहिए.अग्निकांड की सूचना मिलने पर फायर ब्रिगेड की गाड़ियों को मौके पर रवाना किया जाये.

अग्निकांड पीड़ितों को 24 घंटे के अंदर सहायता उपलब्ध कराएं

जिला आपातकालीन संचालन केंद्र (डीइओसी) की दूरभाष संख्या 0612-2210118 और इ-मेल आइडी dismgmtpatna@gmail.com पर अविलंब सूचित किया जाए. डीएम ने कहा कि अग्निकांड पीड़ितों को 24 घंटे के अंदर पॉलिथीन शीट, नकद अनुदान तथा वस्त्र एवं बर्तन के लिए अनुदान उपलब्ध कराया जाए. जले व क्षतिग्रस्त मकानों का सर्वेक्षण कर इसका जियो टैगिंग एवं फोटोग्राफी करा कर गृह क्षति अनुदान का भुगतान शीघ्र होना चाहिए. अग्निकांड में घायल होने पर तुरंत सरकारी अस्पताल में इलाज की सुविधा मिले. अग्निकांड में मौत होने पर आश्रितों को तत्काल मुआवजा राशि की व्यवस्था हो. उन्होंने कहा कि सरकारी सहायता पाने के उद्देश्य से जानबूझकर अपनी संपत्ति में आग लगाने वाले के विरूद्ध कठोर कार्रवाई होगी.

बचाव के लिए किये जानेवाले काम

  • स्टोव या लकड़ी, गोइठा आदि के जलावन वाले चूल्हे पर खाना बनाते वक्त सावधानी बरतें. सूती वस्त्र पहनकर खाना बनाएं.

  • गेहूं ओसनी का काम हमेशा रात में तथा गांव के बाहर खलिहान में करें.

  • घर व खलिहान पर समुचित पानी व बालू की व्यवस्था रखें.

  • खाना पकाते समय रसोईघर में वयस्क मौजूद रहें, बच्चों को अकेला न छोड़ें.

  • खिड़की से स्टोव के बर्नर तक हवा न पहुंच पाए. इस बात की पूरी तसल्ली कर लें.

  • तौलिये या कपड़े का इस्तेमाल सावधानी से गर्म बर्तन पकड़ने के लिए करें.

  • तैलीय पदार्थ से लगी आग पर पानी न डालें, सिर्फ बेकिंग सोडा, नमक डालें या उसे ढंक दें.

  • गैस चूल्हे का इस्तेमाल करने के तुरंत बाद सिलिंडर का नॉब बंद कर दें.

  • बिजली तारों एवं उपकरणों की नियमित जांच करें.

  • घर में अग्निशमन कार्यालय तथा अन्य आपातकालीन नंबर लिखा हुआ हो और घर के सभी सदस्यों को इन नंबरों के बारे में पता हो.

  • आग लगने पर दमकल विभाग को फोन करें और उन्हें अपना पूरा पता बताएं. फिर दमकल विभाग जैसा कहें वैसा ही करें.

  • हवा के झोंकों के तेज होने के पहले ही खाना पका कर चूल्हे की आग को पानी से पूरी तरह बुझा दें.

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क्या न करें

  • बच्चों को माचिस या आग फैलाने वाले एवं अन्य सामान के पास न जाने दें.

  • बीड़ी, सिगरेट, हुक्का आदि पीकर जहां-तहां न फेंकें, उसे पूरी तरह बुझने के बाद ही फेंकें.

  • चूल्हा, ढिबरी, मोमबत्ती, कपूर आदि जलाकर न छोड़ें.

  • अनाज के ढेर, फूस या खपड़ैल की झोपड़ी के निकट अलाव व डीजल इंजन नहीं चलाएं.

  • सार्वजनिक स्थलों, ट्रेनों एवं बसों आदि में ज्वलनशील पदार्थ न ले जाएं.

  • खाना बनाने के समय ढीले कपड़े न पहनें.

  • अग्नि दुर्घटना के दौरान कभी भी लिफ्ट का प्रयोग नहीं करें.

  • गैस की दुर्गंध आने पर बिजली के स्वीच को न छुएं

  • खाना पकाते समय रसोईघर में बच्चों को अकेला न छोड़े.

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