Makhanlal Chaturvedi Jayanti 2023, Makhanlal Chaturvedi Quotes in Hindi: माखनलाल चतुर्वेदी का जन्म 4 अप्रैल 1889 ईसवी में मध्यप्रदेश के बाबई नामक ग्राम में हुआ था. इनके पिता का नाम नंदलाल चतुर्वेदी था, जो पेशे से अध्यापक थे. प्राथमिक शिक्षा प्राप्ति के बाद माखनलाल चतुर्वेदी ने घर पर ही संस्कृत, बांग्ला, गुजराती और अंग्रेजी भाषा का अध्ययन किया और कुछ समय तक अध्यापन कार्य भी किया. इसके बाद इन्होंने खंडवा से ‘कर्मवीर’ नामक साप्ताहिक पत्र निकाला. आइये जानते हैं उनके कुछ प्रमुख विचार
वास्तव में देशभक्ति का पथ, बलिदान का पथ ही ईश्वर भक्ति का पथ है
पत्रकार के लिए सबसे बड़ी चीज है – कलम. जो न रुकनी चाहिए, न झुकनी चाहिए, न अटकनी चाहिए और न ही भटकनी चाहिए.
कर्म ही अपना जीवन प्राण,
कर्म पर हो जाओ बलिदान.
मुझे तोड़ लेना वनमाली,
उस पथ पर देना तुम फेंक,
मातृभूमि पर शीश चढ़ाने,
जिस पथ जाएँ वीर अनेक’
हम अपनी जनता के पूर्ण उपासक होंगे, हमारा दृढ विश्वास होगा कि विशेष मनुष्य या विशेष समूह नहीं बल्कि प्रत्येक मनुष्य और समूह मातृ सेवा का अधिकारी है
हमारा पथ वही होगा जिसपर सारा संसार सुगमता से जा सके. उसमें छत्र धारण किए हुए, चंवर से शोभित सिर की भी कीमत वही होगी जो कृशकाय, लकड़ी के भार से दबे हुए एक मजदूर की होगी.
हम मुक्ति के उपासक हैं. राजनीति या समाज में, साहित्य में या धर्म में, जहाँ भी स्वतंत्रता का पथ रोका जाएगा, ठोकर मारनेवाले का प्रहार और घातक के शस्त्र का पहला वार आदर से लेकर मुक्त होने के लिए हम सदैव प्रस्तुत रहेंगे. दासता से हमारा मतभेद होगा फिर वह शरीर का हो या मन की, शासकों की हो या शासितों की.
समाचार – पत्र यदि संसार की एक बड़ी ताकत है तो इसके सिर पर जोखिम भी कोई कम नहीं है.
जगत में बिना जिम्मेदारी के बड़प्पन के मूल्य ही क्या हैं ? और वह बड़प्पन तो मिट्टी के मोल हो जाता है , जो अपनी जिम्मेदारी को सम्हाल नहीं पाता.
कितने संकट के दिन हैं. ये व्यक्ति ऐसे चौराहे पर खड़ा है , जहाँ भूख की बाजार दर बढ़ गई है और पाथी हुई स्वतंत्रता की बाजार दर घट गयी है और सिर पर पेट रखकर चल रहा है. खाद्य पदार्थों की बाजार दर बढ़ी हुई है और चरित्र की बाजार दर गिर गयी है.
राजनीति में देश के अभ्युत्थान और संघर्ष के लिए हमें स्वयं अपनी ही संस्थाएं निर्माण करनी पड़ेगी. इस दिशा में हम किसी दल विशेष के समर्थक नहीं , किन्तु एक कभी न झुकने वाली राष्ट्रीयता के समर्थक होंगे फिर चाहे वह दाएं दीख पड़े या बाएं ?