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कोरोना के कुप्रभाव से उबरने के लिए झारखंड में शुरू हुई नयी शराब नीति, पर औसत वृद्धि दर 1.71% ही

झारखंड में कोरोना महामारी की वजह से देश में कुल 98 दिन की बंदी हुई. इस बंदी की वजह से वित्तीय वर्ष 2019-20 और 2020-21 में राज्य सरकार का भी राजस्व प्रभावित हुआ

उत्पाद विभाग को छोड़ कर सरकार के राजस्व से जुड़े सभी विभाग कोरोना के कुप्रभाव से उबर चुके हैं. सिर्फ उत्पाद विभाग ही कोरोना से प्रभावित पहले वित्तीय वर्ष की स्थिति में फंसा हुआ है. कोरोना महामारी शुरू होने से लेकर अब तक राजस्व से जुड़े विभागों ने 371.47 प्रतिशत तक की औसत वृद्धि दर्ज की है. कोरोना के कुप्रभाव से उबरने के लिए उत्पाद विभाग ने नयी शराब नीति लागू की. छत्तीसगढ़ी सलाहकार नियुक्त किये. सारी कोशिशें 1.71 प्रतिशत के औसत वृद्धि दर पर आकर रुक गयीं. राजस्व पर्षद ने तो नयी उत्पाद नीति की समीक्षा के दौरान ही इसके असफल होने की आशंका जतायी थी.

कोरोना महामारी की वजह से देश में कुल 98 दिन की बंदी हुई. इस बंदी की वजह से वित्तीय वर्ष 2019-20 और 2020-21 में राज्य सरकार का भी राजस्व प्रभावित हुआ. वित्तीय वर्ष 2021-22 से 2022-23 तक की अवधि तक सरकार के राजस्व से जुड़े विभागों ने कोविड-19 के कुप्रभाव से उबरने की कोशिश की. उत्पाद विभाग को छोड़ कर शेष विभागों को इसमें सफलता मिली. कोविड-19 की वजह से पहला लॉकडाउन 14 दिनों (25 मार्च से 14 अप्रैल 2020 तक) का रहा.

इस बंदी का सात दिन वित्तीय वर्ष 2019-20 की अवधि में पड़े. शेष 15 दिनों की बंदी से वित्तीय वर्ष 2020-21 का पहला महीना (अप्रैल 2020) प्रभावित हुआ. वित्तीय वर्ष 2019-20 में सात दिनों की बंदी से बहुत कम राजस्व प्रभावित हुआ, लेकिन लॉकडाउन के दूसरे (19 दिन), तीसरे (14 दिन) चौथे (दिन) और पांचवें चरण (30 दिन) से वित्तीय वर्ष 2020-21 में सरकार के विभिन्न विभागों का राजस्व बुरी तरह प्रभावित हुआ. इस अवधि में सभी विभागों के राजस्व में गिरावट दर्ज की गयी.

उत्पाद विभाग के दावों के बाद भी नहीं सुधरी राजस्व स्थिति :

इस स्थिति से निबटने के लिए सरकार ने वेतन भत्ता, कल्याणकारी योजनाओं के अलावा दूसरे कार्यों के खर्च पर पाबंदी लगा दी. लॉकडाउन समाप्त होने पर वित्तीय वर्ष 2021-22 से राजस्व विभागों ने स्थिति में सुधार लाने की कोशिश की. इस कोशिश के दौरान उत्पाद विभाग ने वर्ष 2022-23 में सबसे ज्यादा दावे किये. नयी शराब नीति लागू की.

छत्तीसगढ़ की कंपनी को सलाहकार नियुक्त किया, लेकिन पर राजस्व की स्थिति में सुधार नहीं हुआ. इससे निबटने के लिए सरकार ने वित्तीय वर्ष के बीच में ही नयी शराब नीति में बदलाव किया. नयी नीति लागू करने के लिए राज्य बिवरेज कॉरपोरेशन को निकम्मा बताया गया. हालांकि, बाद में सरकार ने बिगड़ती स्थिति से निबटने के लिए बिवरेज कारपोरेशन का ही दामन थाम लिया. इसके बावजूद शराब से मिलनेवाले राजस्व का औसत वृद्धि दर 1.71 पर रुक गया, जबकि राजस्व से जुड़े दूसरे विभागों ने 29.84 प्रतिशत से लेकर 371.74 प्रतिशत तक की औसत वृद्धि दर्ज करायी.

कोविड काल से अब तक के राजस्व में औसत वृद्धि की स्थिति

मद वर्ष 2019-20 वर्ष 2020-21 वर्ष 2021-22 वर्ष 2022-23 औसत वृद्धि

उत्पाद 2009.27 1821.09 1806.60 2043.72 1.71%

वाणिज्यकर 12734.88 12501.58 15611.77 18491.68 45.20%

भू- राजस्व 337.98 872.93 1621.21 1594.39 371.74%

निबंधन 560.33 708.14 987.25 1105.00 97.20%

परिवहन 1128.98 976.34 1262.78 1465.95 29.84%

खान 5461.36 5012.45 7535.03 9789.23 79.24%

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