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Mahavir Jayanti 2023: पाटलिपुत्र की धरती पर हुआ था पहली जैन महासभा का आयोजन

महावीर जयंती 2023: प्रथम जैन संगीति (महासभा) चंद्रगुप्त मौर्य के शासनकाल में पाटलिपुत्र (वर्तमान पटना) में आयोजित की गयी थी. 322 से 298 ईसा पूर्व पाटलिपुत्र में स्थूलभद्र ने इसकी अध्यक्षता की थी.

सुबोध कुमार नंदन , पटना. जैन साहित्य में पाटलिपुत्र का स्थान उच्च और कई दृष्टियों से अहम माना गया है. प्रथम जैन संगीति (महासभा) चंद्रगुप्त मौर्य के शासनकाल में पाटलिपुत्र (वर्तमान पटना) में आयोजित की गयी थी. 322 से 298 ईसा पूर्व पाटलिपुत्र में स्थूलभद्र ने इसकी अध्यक्षता की थी. इस जैन संगीति में धर्म काे दाे भागाें बांट दिया गया था. इस संगीति में मूल धर्म-निरपेक्ष शास्त्राें का पुन: संपादन किया और 12 आगम में संकलित किया गया. बाद के वर्षों में 12 आगम से बारहवां आगम (दीथीवाया) लुप्त हाे गया. विभाजन के बाद जैन धर्म एक क्षेत्र विशेष तक ही सीमित नहीं रहा. बल्कि दाेनाें संप्रदाय का व्यापक प्रचार-प्रसार हुआ. स्थूलभद्र के नेतृत्व में श्वेतांबर और भद्र बाहु के नेतृत्व में दिगंबर संप्रदाय में बंट गया.

12 सालों के अकाल के बाद बदल गयी व्यवस्था

चंद्रगुप्त मौर्य के समय में मगध में 12 सालाें का भयंकर अकाल पड़ा था. इस समय जैन संप्रदाय के प्रमुख भद्रबाहु थे. अकाल के कारण भद्रबाहु अपने अनुयायियों के साथ दक्षिण भारत चले गये और मैसूर के पुन्नाट प्रदेश में बस गये. जबकि स्थूलभद्र अपने अनुयायियों के साथ मगध में ही रुके. उन्होंने अपने अनुयायियों काे सफेद वस्त्र धारण करने का निर्देश दिया. वहीं भद्रबाहु ने अपने अनुयायियों काे निर्वस्त्र रहने की शिक्षा दी.

अकाल समाप्त हाेने के बाद जब भद्रबाहु वापस लाैट आये, ताे स्थूलभद्र और भद्रबाहु में जैन संघ के नियमों काे लेकर विवाद हाे गया. इस तरह जैन संघ दाे संप्रदाय में बंट गया. ईसा पूर्व चाैथी शताब्दी में 11 अंग, बारह उपांग, चार गूल सूत्र, दो धूलिका सूत्र , छह चंरासुत और दस प्रकणा का सूत्र की तरह 45 आगामाें को पहली बार व्यवस्थित किया गया.

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