झारखंड के शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो ने आज अंतिम सांस ली. चेन्नई स्थित एमजीएम अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली थी. आपको बता दें कि कोरोना काल में भी उनकी तबीयत बेहद खराब हो गयी थी. उस वक्त भी उन्हें इलाज के लिए चेन्नई ले जाया गया था. वहां से लौटने के बाद वे राज्य की राजनीति और जनहित के कार्य में लगातार सक्रिय रहे.
प्रभात खबर के संवाद में पत्रकारों ने जब उनकी सेहत लेकर सवाल किया. जहां उन्होंने सारी बातें साझा की. जगरनाथ महतो ने कहा थी कि ऑपरेशन के बाद भी मेरी दिनचर्या में कोई बदलाव नहीं हुआ है. आज भी मेरी दिनचर्या की शुरुआत सुबह साढ़े पांच बजे से हो जाती है. छह बजे मैं मॉर्निंग वॉक पर निकल जाता हूं. इस दौरान रास्ते में बच्चों व लोगों से मिल कर उनकी बात सूनता हूं. पत्रकारों की टीम ने जब उनसे डॉक्टरों की सलाह के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा था कि उन्हें खान-पान को लेकर सावधानी बरतने को कहा गया है. मेरी कोशिश रहती है कि इसका पूरा ख्याल रखा जाये.
जब उनसे विपक्ष के शैक्षणिक योग्यता पर सवाल उठाने वाले मुद्दे पर उनसे पूछा गया तो उन्होंने कहा कि शैक्षणिक योग्यता महत्वपूर्ण है, पर अनुभव भी मायने रखता है. ज्ञानी जैल सिंह देश के राष्ट्रपति बने, वे कितने पढ़े थे. हमने आगे की पढ़ाई के लिए इंटर में नामांकन भी लिया था, पर बीमार हो जाने के कारण आगे की पढ़ाई नहीं कर पाये. पढ़ाई करते तो अच्छे अंक से पास भी होते.