मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने नेताओं और अधिकारियों को संबोधित करते हुये कहा है कि अभी भी कुछ लोग पराली जलाते हैं, यह अच्छी बात नहीं है. फसल अवशेष को नहीं जलाने को लेकर भी लोगों को जागरूक करते रहें. मौसम को लेकर अलर्ट रहने सहित उन्होंने विभागीय जानकारियों को सोशल मीडिया पर उपलब्ध करवाने का निर्देश दिया.
उन्होंने कहा कि वर्ष 2006-07 में लघु जल संसाधन विभाग का बजट 262 करोड़ रुपये था जो अब बढ़कर 1020 करोड़ रुपये हो गया है. मुख्यमंत्री ने यह बातें गुरुवार को लघु जल संसाधन विभाग के 715 करोड़ रुपये की लागत की 628 सतही सिंचाई एवं जल संचयन योजनाओं का उद्घाटन एवं शिलान्यास करने के बाद अपने संबोधन में कहीं. इस कार्यक्रम का आयोजन 1 अणे मार्ग स्थित ””संकल्प”” में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से किया गया था.
मुख्यमंत्री ने कहा कि लघु जल संसाधन विभाग की 242 योजनाओं का उद्घाटन एवं 386 योजनाओं का शिलान्यास किया गया है. 99 आहर पईन, 85 तालाब, 22 चेकडैम एवं 36 लिफ्ट सिंचाई योजनाओं का उद्घाटन किया गया है और 222 आहर पईन, 113 तालाब, 22 चेकडैम एवं 29 लिफ्ट सिंचाई योजनाओं का शिलान्यास किया गया है. जिन योजनाओं का शिलान्यास किया गया है उनका काम भी तेजी से ससमय पूर्ण करें. उन्होंने कहा कि हमलोग सौर ऊर्जा को भी बढ़ावा दे रहे हैं. सौर ऊर्जा ही असली ऊर्जा है. मुख्यमंत्री आवास में जितनी बिजली की आवश्यकता है उससे ज्यादा सौर ऊर्जा के माध्यम से बिजली का उत्पादन किया जा रहा है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2019 में जल-जीवन- हरियाली अभियान में 11 अवयवों को शामिल कर तालाब, आहर, पईन, कुआं का जीर्णोद्धार कराया जा रहा है. सोख्ता, चेकडैम का निर्माण कराया जा रहा है. 19 जनवरी 2020 को बिहार में अब तक की सबसे बड़ी मानव श्रृंखला बनाई गई थी. गंगाजल आपूर्ति योजना के तहत गया, बोधगया एवं राजगीर में गंगा जल पहुंचा दिया गया है. नवादा में भी इसी वर्ष गंगाजल पहुंचा दिया जायेगा. फल्गु नदी पर गयाजी रबर डैम का निर्माण कराया गया है. सरकारी भवनों पर छत वर्षा जल संचयन का काम किया जा रहा है. निजी भवनों में भी वर्षा जल संचयन को लेकर लोगों को प्रोत्साहित करें. जल-जीवन-हरियाली अभियान के तहत चार सालों में 10 करोड़ 72 लाख पौधे लगाये गये हैं. बिहार में कई अच्छे काम किए गए हैं जिसकी चर्चा नहीं की जाती है. जो काम नहीं करते हैं उनकी चर्चा होती है.
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छोटी-छोटी नदियों को जोड़ने का काम भी चल रहा है. उन्होंने कहा कि विभाग के सभी इंजीनियर्स क्षेत्रों में घूम-घूमकर जायजा लेते रहें कि और क्या-क्या काम किए जाने की जरूरत है. ग्रामीण इलाकों में अच्छा काम करने वाले इंजीनियर्स का गांव के लोग काफी तारीफ करते हैं. सिर्फ निर्माण कार्य ही नहीं बल्कि उसका मेंटनेंस का काम भी विभाग को करना है.