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Vivah Muhurat : ग्रहों की स्थिति के कारण इस दिन से गूंजेगी शहनाई, जानिए विवाह का शुभ मुहूर्त

खरमास और गुरु ग्रह के अस्त होने से इस बार एक मास के बजाय डेढ़ महीने बाद मई से लग्न मुहूर्त बन रहे हैं. अभी मई और जून मिलाकर कुल 38 लग्न मुहूर्त शेष हैं. आइए जानते हैं मई-जून महीने में विवाह का शुभ मुहूर्त कब से शुरू हो रहा है और कितने दिन है.

पटना. खरमास और गुरु ग्रह के अस्त होने से इस बार मई महीने से लग्न मुहूर्त बन रहे हैं. अभी मई और जून मिलाकर कुल 38 लग्न मुहूर्त शेष हैं. इसके बाद फिर पांच माह के बाद 23 नवंबर को देवोत्थान एकादशी के बाद से लग्न शुरू होंगे. बनारसी पंचांग के अनुसार 23 नवंबर से शुरू होकर 16 दिसंबर तक कुल 17 लग्न हैं, जिनमें पांच नवंबर में और 12 दिसंबर में हैं. इसके बाद अगले साल 15 जनवरी, 2024 के बाद का मुहूर्त शुरू होगा.

शादी-ब्याह में प्रमुख ग्रहों की शुभता जरूरी

आचार्य राकेश झा ने बताया कि ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शादी-विवाह के लिए शुभ मुहूर्त का होना बड़ा महत्वपूर्ण होता है. वैवाहिक बंधन को सबसे पवित्र रिश्ता माना गया है. इसलिए इसमें शुभ मुहूर्त का होना जरूरी है. शास्त्रों में शादी के शुभ योग के लिए नौ ग्रहों में वृहस्पति, शुक्र और सूर्य का शुभ होना जरूरी है. रवि-गुरु का संयोग सिद्धिदायक और शुभफलदायी होता है. इन तिथियों पर शादी-विवाह को बेहद शुभ माना गया है.

29 जून से 23 नवंबर तक नहीं होंगे शुभ कार्य

आचार्य राकेश झा ने पंचांगों के हवाले से बताया कि इस साल 29 जुलाई को आषाढ़ शुक्ल देवशयनी एकादशी होने से वैवाहिक व मांगलिक शुभ कार्य पर पाबंदी लग जायेगी. इस दिन भगवान विष्णु शयन के लिए क्षीरसागर में चले जायेंगे. उनके शयन के बाद सभी प्रकार के शुभ कार्य नहीं होते है. फिर 23 नवंबर को कार्तिक शुक्ल देवोत्थान एकादशी को भगवान नारायण निंद्रा से जागृत होंगे. तब सभी मांगलिक कार्य शुरू हो जायेगा. इस चार मास के समय अंतराल को चातुर्मास कहा जाता है, लेकिन इस बार श्रवण मास दो महीने होने से पांच मास का चातुर्मास होगा

ऐसे तय होते हैं शुभ लग्न-मुहूर्त

पंडित गंगाधर झा ने बताया कि शादी के शुभ लग्न व मुहूर्त निर्णय के लिए वृष, मिथुन, कन्या, तुला, धनु और मीन लग्न में से किन्ही एक का होना जरूरी है. वहीं, नक्षत्रों में से अश्विनी, रेवती, रोहिणी, मृगशिरा, मूल, मघा, चित्रा, स्वाति, श्रवणा, हस्त, अनुराधा, उत्तरा फाल्गुन, उत्तरा भद्र व उत्तरा आषाढ़ में किन्ही एक का रहना जरूरी है. अति उत्तम मुहूर्त के लिए रोहिणी, मृगशिरा या हस्त नक्षत्र में से किन्ही एक की उपस्थिति रहने पर शुभ मुहूर्त बनता है. उन्होंने ने बताया कि यदि वर और कन्या दोनों का जन्म ज्येष्ठ मास में हुआ हो, तो उनका विवाह ज्येष्ठ में नहीं होगा. तीन ज्येष्ठ होने पर विषम योग बनता है और ये वैवाहिक लग्न में निषेद्ध है.

शुभ लग्न मुहूर्त:

मिथिला पंचाग के अनुसार

मई: 1, 3, 7, 11, 12,17, 21, 22, 26, 29, 31

जून: 5, 7, 8, 9, 12, 14, 18, 22, 23, 25, 28

बनारसी पंचाग के अनुसार

मई: 2,3,4,5,6,7,8,9,10,11,15,16,17,20,21,22,26,27,28,29,30,31

जून: 1, 3, 4, 5, 6, 7, 11, 12, 13, 16, 17, 22, 23, 25, 26, 27, 28

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