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UP Nikay Chunav: एससी, एसटी, ओबीसी आरक्षण की अनदेखी, समाजवादी पार्टी पहुंची स्थानीय निकाय निदेशालय

समाजवादी पार्टी ने निकाय चुनाव आरक्षण सूची में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग को कम सीटें दिये जाने पर आपत्ति जतायी है. समाजवादी पार्टी की ओर से केके श्रीवास्तव, सर्वेश अंबेडकर, डॉ. हरिश्चन्द्र सिंह, राधेश्याम सिंह ने स्थानीय निकाय निदेशालय में आपत्ति दाखिल की है.

लखनऊ: समाजवादी पार्टी ने निकाय चुनाव आरक्षण सूची में एससी, एसटी, ओबीसी (अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग) को कम सीटें दिये जाने का आरोप लगाया है. इस मामले में एक प्रतिनिधि मंडल ने स्थानीय निकाय निदेशालय में आपत्तियां भी दाखिल की हैं. सपा प्रतिनिधि मंडल ने 30 मार्च 2023 को जारी आरक्षण सूची में कई खामियां इंगित करते हुए नगर निगम, नगर पालिका और नगर पंचायत के चुनाव में कम सीटे आरक्षित करने की जानकारी दी है.

बलरामपुर, कानपुर और ललितपुर में आरक्षित वर्ग को एक भी सीट नहीं

समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के निर्देश पर प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल ने ये आपत्तियां दाखिल की हैं. उन्होंने नियमावली में हुई अनियमितताओं में सभी नियमानुसार संसोधन की मांग स्थानीय निकाय निदेशालय से की है. सपा प्रवक्ता के अनुसार नगर पंचायत अध्यक्ष पद के कुल 544 में बलरामपुर, कानपुर नगर, ललितपुर में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए एक भी सीट आरक्षित नहीं की गयी है.

कई जिलों में आरक्षित वर्ग की अनदेखी

नगर पंचायत अध्यक्ष पद के कुल 544 में अमेठी, अमरोहा, बलरामपुर, बिजनौर, चंदौली, गाजियाबाद, कन्नौज, कानपुर नगर, ललितपुर, महोबा, मिर्जापुर, रामपुर, श्रावस्ती, वाराणसी में अनुसूचित जाति के लिए एक भी सीट आरक्षित नहीं की गयी है. बलरामपुर, चित्रकूट, इटावा, हापुड, कानपुर नगर, ललितपुर में अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए एक भी सीट आरक्षित नहीं की गयी है.

नगर पालिका परिषद अध्यक्ष में एसटी को नहीं मिला आरक्षण

सपा प्रवक्ता के अनुसार नगर पंचायत अध्यक्ष पद के कुल 544 पदों के सापेक्ष अन्य पिछड़ा वर्ग को 27 फीसदी आरक्षण मिलना चाहिए. लेकिन कई जिलों में कम आरक्षण दिया गया है. नगर पालिका परिषद अध्यक्ष पद के कुल पद 199 में अनुसूचित जनजाति को एक भी सीट आरक्षित नहीं की गयी है. नगर पालिका परिषद अध्यक्ष पद में बस्ती एवं देवीपाटन मंडल में अनुसूचित जाति के लिए एक भी सीट आरक्षित नहीं की गयी है. नगर पालिका परिषद अध्यक्ष के कुल पद 199 पदों के सापेक्ष अन्य पिछड़ा वर्ग को 27 फीसदी आरक्षण मिलना चाहिए.

मेयर की सीटों में की गयी अनदेखी

नगर निगम के महापौर पद के लिए कुल 17 पदों के सापेक्ष अनुसूचित जाति के लिए 21 फीसदी अनुमन्य आरक्षण के अनुसार 3.57 सीटें आरक्षित होनी चाहिए. जबकि घोषित आरक्षण में केवल 02 सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित की गयी हैं. अनुमन्य आरक्षण के अनुपात में 1.57 सीटे कम आरक्षित की गयी हैं. अनुसूचित जाति को 11 फीसदी की आरक्षण दिया गया है.

मेयर के 17 पदों में पिछड़ा वर्ग को 23 फीसदी आरक्षण

नगर निगम महापौर पद के कुल 17 पदों के सापेक्ष अन्य पिछड़ा वर्ग को 27 फीसदी अनुमन्य आरक्षण के अनुसार 4.59 सीटें आरक्षित होनी चाहिए. जबकि घोषित आरक्षण में केवल 4 सीटे ही अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित की गयी हैं. अनुमन्य आरक्षण के अनुपात में 0.59 सीटे कम आरक्षित की गयी हैं. अन्य पिछड़ा वर्ग को 23 फीसदी ही आरक्षण दिया गया है.

महिला आरक्षण में भी मनमानी

उत्तर प्रदेश नगर पंचायत अध्यक्षों के कुल पद 544 के सापेक्ष अनुसूचित जाति के लिए 84 सीटें आरक्षित हैं. जिनमें अनुसूचित जाति की महिलाओं का आरक्षण नियमावली के विपरीत अधिक 61 पद आरक्षित कर 75 फीसदी भागीदारी दी गयी हैं. जबकि अनुसूचित जाति पुरूष के लिए 23 पद आरक्षित कर मात्र 27 फीसदी ही दिया गया है.

आरक्षण सूची बनाने में लापरवाही

उत्तर प्रदेश नगर पालिका परिषद अध्यक्ष पद के लिए 199 पदों के सापेक्ष अनुसूचित जाति को 24 सीटें आरक्षित हैं. जिसमें अनुसूचित जाति महिलाओं को आरक्षण नियमावली के विपरीत 16 पद आरक्षित कर 66 फीसदी भागीदारी दी गयी है. जबकि आरक्षण की परिधि में 33 फीसदी होनी चाहिए.

नगर पंचायत अध्यक्ष की सीटों पर आरक्षण में गड़बड़ी

उत्तर प्रदेश नगर पंचायत में अध्यक्ष पद के कुल पद 544 के सापेक्ष अन्य पिछड़ा वर्ग को 147 पद आरक्षित किये गये हैं. जिसके सापेक्ष अन्य पिछड़ा वर्ग महिला के लिये 76 पद आरक्षित कर 51 फीसदी भागीदारी दी गयी है. अन्य पिछड़ा वर्ग पुरूष के लिये 71 पद आरक्षित हैं. जोकि 48 फीसदी होता है.

हर सूची में मनमानी

उत्तर प्रदेश नगर पालिका परिषद अध्यक्ष पद के लिए 199 पदों के सापेक्ष अन्य पिछड़ा वर्ग को 53 सीटें आरक्षित की गयी हैं. जिसमें अन्य पिछड़ा वर्ग महिलाओं को आरक्षण नियमावली के विपरीत 23 पद आरक्षित कर 56 फीसदी भागीदारी दी गयी है. जबकि आरक्षण की परिधि में 33 फीसदी होना चाहिए. समाजवादी पार्टी की ओर से केके श्रीवास्तव, सर्वेश अंबेडकर, डॉ. हरिश्चन्द्र सिंह, राधेश्याम सिंह ने नगर निकाय संबंधी आपत्तियों पर चर्चा की.

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