11.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

Exclusive: महिला होने के नाते मुझे कई बार कमतर महसूस करवाया गया है,बहुत लड़ाईयां लड़नी पड़ी है – गुनीत मोंगा

द एलीफेंट व्हिस्पर ने शॉर्ट फिल्म डॉक्यूमेंट्री की कैटेगरी में ऑस्कर जीत कर इतिहास रच दिया है. इस कैटेगरी में जीत हासिल करने वाली यह पहली भारतीय डॉक्यूमेंट्री है. इंसान और जानवर के खूबसरत रिश्ते की दिल छू लेने वाली इस डॉक्यूमेंट्री को कार्तिकी गोंसाल्वेस ने निर्देशित किया है.

एलीफेंट व्हिस्पर ने शॉर्ट फिल्म डॉक्यूमेंट्री की कैटेगरी में ऑस्कर जीत कर इतिहास रच दिया है. इस कैटेगरी में जीत हासिल करने वाली यह पहली भारतीय डॉक्यूमेंट्री है. इंसान और जानवर के खूबसरत रिश्ते की दिल छू लेने वाली इस डॉक्यूमेंट्री को कार्तिकी गोंसाल्वेस ने निर्देशित किया है, जबकि इस डॉक्यूमेंट्री का निर्माण गुनीत मोंगा ने किया है. गुनीत इस जीत को भारत की जीत के साथ -साथ महिलाओं की जीत करार देती हैं.वह साफतौर पर कहती हैं कि इंडस्ट्री में अभी भी हम महिलाओं की संख्या बराबरी वाली नहीं हुईं है इसलिए हम महिलाओं को एक -दूसरे के खिलाफ नहीं बल्कि एक -दूसरे के लिए खड़े होने की जरूरत है.गुनीत मोंगा की उर्मिला कोरी से हुईं बातचीत के प्रमुख अंश…

क्या आपने कभी सोचा था कि आपकी डॉक्यमेंट्री एलीफेंट व्हिस्पर ऑस्कर जीत पायेगी?

नहीं, मैंने कभी नहीं सोचा था.हम कोई भी फिल्म ये सोचकर नहीं बनाते हैं कि ये कोई अवार्ड जीतेगी या ऑस्कर जीतेगी।हमलोग बस पूरी शिद्दत से फिल्म बनाते हैं.उसके बाद कोई रहमत होनी हो.कोई अवार्ड मिलना हो.कोई इतना बड़ा अवार्ड मिलना हो, तो ये सब यूनिवर्स से गिफ्ट होते हैं.हमारी मेहनत को चार चांद लगाते हैं।अवार्ड को सोचकर फिल्म नहीं बनाते हैं, कहानी क़ी मोहब्बत क़ी वजह से फिल्म बनाते हैं.हां इसके लिए मैं बहुत खुश हूं कि हमारे देश को एलीफेंट व्हिस्पर क़ी वजह से पहला ऑस्कर इस कैटेगरी में मिला है.

इस डॉक्यूमेंट्री से किस तरह से जुड़ना हुआ, आपको क्या अपील कर गया था?

इस फिल्म की निर्देशिका कार्तिकी ने मुझसे सम्पर्क किया था.हाथी के बच्चे को भला कौन ना कह सकता है.कार्तिकी ने इस डॉक्यूमेंट्री की एक रील दिखायी थी, उसकी सिनेमाटोग्राफी कमाल की थी।मुझे उसी वक़्त लगा था कि यह डॉक्यूमेंट्री सभी का दिल जीत लेगी और बहुत दूर तक जाएगी.

द एलिफेंट व्हिस्पर ने जब ऑस्कर अवॉर्ड जीता, तो स्टेज पर डायरेक्टर कार्तिकी गोंजाल्वेज ने अपनी स्पीच दी, लेकिन आपकी बारी आयी, तो म्यूजिक बजा दिया गया था, इस घटना को आप किस तरह से देखती हैं?

जैसा की मैंने पहले भी इस बारे में बात की है. निश्चित तौर पर हर भारतीय की तरह मैं भी आहत हुई.जिस तरह का मुझे सपोर्ट सोशल मीडिया पर उस घटना के लिए मिला है.उसकी मैं शुक्रागुजार हूं, वैसे अगली बार मैं जीतती हूं,तो मैं अपनी बात पूरी करके ही स्टेज से लौटूंगी.

आप दिल्ली में पली-बढ़ी हैं. फिर आप मुंबई शिफ्ट हो गयीं. शुरुआती दिन कैसे रहे?

मेरे मम्मी पापा क़ी मौत के बाद मैं पूरी तरह से मुंबई शिफ्ट हो गयी थी.शुरू के दिन में तो कुछ भी नहीं था.अपने चार -पांच दोस्तों के साथ कमरा शेयर करके रहती थी. खाने -पीने क़ी भी बहुत दिक्कत होती थी, लेकिन जिन चार -पांच लोगों के साथ मैं रहती थी, वो मेरे बचपन के दोस्त थे, इसलिए हमने एक -दूसरे से हर मुश्किल वक़्त में थामा.मुझे खुशी हैं कि हम सभी दोस्त इंडस्ट्री में अपनी -अपनी जगह बनाकर काम कर रहे हैं. ये समझा कि मेहनत का कोई शॉर्ट कट नहीं होता है.उनदिनों के लिए भी बहुत ग्रेटफुल हूं, क्योंकि उसकी वजह से ही यहां हूं.

ऑस्कर जीतकर आपने भारत के साथ -साथ भारतीय महिलाओं का भी मान बढ़ाया है. आप अभी कई महिलाओं की आदर्श बन गयी हैं, आपकी आदर्श महिला कौन रही हैं और क्यों?

दुनिया भर की कई महिलाएं मेरी आदर्श रही हैं, लेकिन कल्पना चावला एक ऐसी महिला रही हैं, जिन्होने मुझे बहुत प्रोत्साहित किया हैं.वो बचपन से ही मेरी आदर्श रही हैं।वो करनाल से थी, लेकिन अमेरिका जाकर उन्होने स्पेस में जाने का अपना सपना पूरा किया. मैं स्कूल में उस वक़्त थी, जब मैंने उनके बारे में जाना था. उस वक़्त से ही एक जज्बा आ गया था कि अपने सपने को पूरा करने के लिए आपको.

महिला होने के नाते क्या कभी आपको कमतर भी महसूस करवाया गया है. वो पल कौन सा था?

बड़े लेवल से लेकर छोटे लेवल तक हर कदम पर इसका एहसास करवाया गया हैं. मैं प्रोडक्शन में काम करती हूं, तो मैं काफी पुरुष लेबर्स से भी डील करती हूं, तो उनलोगों को एक औरत से पैसे लेने में शर्म आती हैं या पैसों को लेकर बात करने में भी .वो साफ कहते थे कि कोई सर हैं क्या, जिससे बात हो सकती हैं.मुझे मेरी उम्र को लेकर भी यह महसूस करवाया गया हैं कि मैं अपने उम्र को लेकर अपने बिजनेस में बहुत युवा हूं कि इसलिए मुझे मेरा काम इतने अच्छे से आता नहीं हैं.मैं 21 साल क़ी थी, जब मैंने निर्माता के तौर पर अपनी पहली फिल्म बनायी थी. 26 साल की थी, तब गैंग्स ऑफ़ वासेपुर बनायी, तो शुरूआती सात -आठ साल कई बार ये एहसास करवाया जाता था कि इसको क्या ही आता होगा.एक तो महिला है, ऊपर से छोटी उम्र भी.गिनी -चुनी महिला निर्मात्री उस दौरान थी.उस दौरान मैं साड़ी पहनकर, चस्मा लगाकर और बालों को सफेद करके लोगों से मिलती थी, ताकि मैं सीरियस लगूं.मैं अपनी राय क्या अपने पुरुष सहकर्मी के माध्यम से बोलवाऊं,ताकि लोग उस बात को तवज्जो दें।ये सब भी मैं अक्सर करती रहती हैं.ये सुपर प्रोफेशनल कारपोरेट वर्ल्ड की मैं बात यहां कर रही हूं.बहुत लड़ाईयां की हैं और संघर्ष से गुजरी हूं.

यह आपका दूसरा ऑस्कर है, क्या हम कह सकते हैं कि गुनीत मोंगा को पता है कि कैसा कंटेंट ऑस्कर जीत सकता है?

मेरी फिल्म पीरियड एन्ड ऑफ़ सेंटेंस ने 2018 में ऑस्कर जीता था, लेकिन उसमें मैं एक्सक्यूटिव निर्मात्री थी और ऑस्कर में एक्सक्यूटिव प्रोडयूसर का नाम विनिंग रिकॉर्ड में दर्ज नहीं किया जाता है. पहली बार मैं एलीफेंट व्हिस्पर से नॉमिनेट हुईं हूं और ट्रॉफी मेरे नाम से आयी है, तो यह काफी बड़ी बात है.जहां तक ऑस्कर जीतने वाले कंटेंट की है, तो ऑस्कर के लिए कोई जादू मन्त्र तो नहीं होता हैं, हां अमेरिकन डिस्ट्रीब्यूटर जरूर चाहिए होता हैं.आपको कैंपेन और अवार्ड बहुत सलीके से चलाना पड़ता हैं.मैं इसके लिए नेटफ्लिक्स अमेरिका की शुक्रगुज़ार हूं, उसने हमारा बहुत साथ दिया.उनका सालों का अनुभव हमारे लिए बहुत फायदेमंद रहा.उन्होने बहुत ही प्रभावशाली कैंपेन बनाया था, जिसने हमारी जीत को सुनिश्चित किया.

हाल ही में आपने एक इंटरव्यू में कहा था कि गुरुदत्त की फ़िल्में ऑस्कर जीतने का कूवत रखती थी, हाल के वर्षों की किसी फिल्म का आप नाम लेना चाहेंगी?

मुझे लगता हैं कि लंचबॉक्स बहुत आगे जाती थी, लेकिन हमारे देश से उस फिल्म को भेजा नहीं गया था.जो बीत गया सो बीत गया. मैं बस यही कहूंगी कि अगर ऑस्कर में हम अपनी भागीदारी को बढ़ाना चाहते हैं, तो बहुत ही महत्वपूर्ण हैं कि हमारा कंटेंट यूएस में डिस्ट्रीब्यूट हो. हमारे कंटेंट के किए अमेरिकन डिस्ट्रीब्यूटर हो. जैसे स्क्रीनिंग होती है.कैंपेन होता है. माउथ पब्लिसिटी होती है.ये जो सारा कार्यकर्म हैं.ये उनको आता हैं.उनसे हमें सीखने की जरूरत है और करने की जरूरत हैं.

आप रैपर हनी सिंह पर एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म बनने जा रही हैं. आपको सबसे बड़े ओटीटी प्लेटफॉर्म नेटफ्लिक्स का भी साथ मिला है. हनी सिंह पर डॉक्यूमेंट्री बनाने की कोई खास वजह‍?

हनी सिंह काफी बड़े स्टार हैं. वो यूथ आइकॉन हैं. उनकी लाइफ बहुत कलरफुल रही हैं. मुझे लगता है कि यह पहलू काफी है, किसी पर डॉक्यूमेंट्री बनाने के लिए.हम इस बार आगे बात खूब सारी करेंगे. मुझे लगता हैं कि अभी का वक़्त हमें एलीफेंट व्हिस्पर की कामयाबी के बारे में बात करना चाहिए. हमें कार्तिकी, बमन, बेली,रघु, अमु जानवरों और जंगलों के बारे में बात करना चाहिए.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें