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12 अप्रैल को विश्व स्तर पर मनाया जाता है मानव अंतरिक्ष उड़ान का अंतर्राष्ट्रीय दिवस

International Day of Human Space Flight: हर वर्ष 12 अप्रैल को मानव के अंतरिक्ष में पहली उड़ान के दिवस के रूप में याद किया जाता है. दरअसल 12 अप्रैल 1961 को सोवियत रूस के अंतरिक्ष यात्री यूरी गागरिन अंतरिक्ष में पृथ्वी की सफलतापूर्वक परिक्रमा करने वाले पहले व्यक्ति बने थे.

International Day of Human Space Flight: हर वर्ष 12 अप्रैल को मानव के अंतरिक्ष में पहली उड़ान के दिवस के रूप में याद किया जाता है. दरअसल 12 अप्रैल 1961 को सोवियत रूस के अंतरिक्ष यात्री यूरी गागरिन अंतरिक्ष में पृथ्वी की सफलतापूर्वक परिक्रमा करने वाले पहले व्यक्ति बने थे. आजादी के बाद से अब तक इसरो व भारतीय अंतरिक्षयात्रियों ने अंतरिक्ष का सफर शानदार तरीके से तय किया है. इस मामले में भारतीय मूल की महिला अंतरिक्ष यात्री कहीं आगे रही हैं. बीते कुछ वर्षों से इसरो अपने पहले मानव मिशन गगनयान को अंतरिक्ष में भेजने की तैयारी में जुटा है. इस मौके पर अंतरिक्ष में अब तक गये भारतीय व भारतीय मूल के अंतरिक्षयात्रियों के बारे में जानो.

अंतरिक्ष की उड़ान भरने वाले भारतीय

अपने देश में अंतरिक्ष अनुसंधान संबंधी गतिविधियों की शुरुआत वर्ष 1960 के दशक में शुरू हो गयी थी. भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक विक्रम साराभाई ने देश के सक्षम और उत्कृष्ट वैज्ञानिकों, मानव विज्ञानियों, विचारकों और समाज विज्ञानियों को मिलाकर भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम का नेतृत्व करने के लिए एक दल गठित किया. यहीं से भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम का सफर शुरू हो गया. वर्ष 1969 में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की नींव रखी गयी. इसके 15 वर्ष बाद सोवियस संघ के सहयोग से वर्ष 1984 में राकेश शर्मा अंतरिक्ष की यात्रा करने वाले पहले भारतीय बने, तबसे अब तक चार भारतीय अंतरिक्ष के सफर पर जा चुके हैं.

राकेश शर्मा, जन्मस्थान : पटियाला

राकेश शर्मा को देश का पहला अंतरिक्ष यात्री बनने का गौरव हासिल है. वह 3 अप्रैल 1984 को सोवियत संघ के अंतरिक्ष यान सोयूज टी-11 से अंतरिक्ष के लिए रवाना हुए थे. 7 दिन 21 घंटे और 40 मिनट स्पेस स्टेशन सेल्यूत-7 में बिताने के बाद वह धरती पर लौट आये थे. राकेश का जन्म पंजाब के पटियाला में 13 जनवरी 1949 को हुआ था. अंतरिक्ष यात्रा के लिए राकेश शर्मा के साथ एक अन्य भारतीय रवीश मल्होत्रा का भी चुनाव हुआ था. दोनों एयरफोर्स के जाबांज और अनुभवी पायलट थे. हालांकि, ट्रेनिंग के बाद अंतरिक्ष की उड़ान भरने के लिए राकेश शर्मा का चुनाव किया गया. अंतरिक्ष यात्रा से पहले उन्होंने मास्को में दो वर्ष तक ट्रेनिंग की. मास्को के यूरी गागरिन अंतरिक्ष केंद्र में उनकी ट्रेनिंग हुई. उन्होंने रूस के दो अंतरिक्ष यात्रियों के साथ अंतरिक्ष यात्रा की पूरी की थी.

कल्पना चावला जन्मस्थान : करनाल

अंतरिक्ष में जाने वाली भारतीय मूल की पहली महिला के रूप में कल्पना चावला का अपने देश के इतिहास में एक विशिष्ट स्थान है. 19 नवंबर 1997 को नासा द्वारा भेजे गये अंतरिक्ष मिशन में कल्पना चावला छह अंतरिक्ष यात्रियों के एक दल का हिस्सा थीं. अंतरिक्ष शटल कोलंबिया की उड़ान एसटीएस-97 से अंतरिक्ष की यात्रा करके कल्पना ने अपने नाम का डंका बजाया. 16 जनवरी 2003 को कल्पना चावला कोलंबिया के एसटीएस-107 के जरिये दूसरी अंतरिक्ष यात्रा पर निकलीं, लेकिन इस मिशन के दौरान दुर्घटनाग्रस्त होने के कारण कल्पना चावला की मृत्यु हो गयी. कल्पना चावला का जन्म 17 मार्च 1962 को हरियाणा के करनाल में हुआ था. वह पंजाब से इंजीनियरिंग के बाद अमेरिका चली गयी थीं.

सुनीता विलियम्स जन्मस्थान : ओहियो

सुनीता विलियम्स अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के जरिये अंतरिक्ष में जाने वाली भारतीय मूल की दूसरी महिला हैं. सुनीता विलियम्स ने एक अंतरिक्ष यात्री के रूप में 195 दिनों तक अंतरिक्ष में रहने का विश्व कीर्तिमान स्थापित किया है. सुनीता के पिता दीपक पांडया मूलत: गुजरात के अहमदाबाद की रहने वाले थे. सुनीता के पिता वर्ष 1958 में अहमदाबाद से अमेरिका के बोस्टन में जाकर वहीं बस गये थे. सुनीता के पिता अमेरिका में डॉक्टर थे. सुनीता का जन्म 19 सितंबर, 1965 को अमेरिका के ओहियो राज्य में यूक्लिड नगर (क्लीवलैंड) में हुआ था. सुनीता ने मैसाचुसेट्स से हाइ स्कूल पास करने के बाद वर्ष 1987 में संयुक्त राष्ट्र की नौसैनिक अकादमी से फिजिकल साइंस में ग्रेजुएशन किया. इसके बाद 1995 में फ्लोरिडा इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से इंजीनियरिंग मैनेजमेंट में एमएस किया. वर्ष 2006 में सुनीता विलियम्स ने पहली बार अंतरिक्ष की उड़ान भरी. खास बात है कि दो अंतरिक्ष मिशनों का अनुभव रखने वाली सुनीता पहली महिला हैं, जिन्होंने 50 घंटे तक स्पेस वॉक करने का रिकॉर्ड भी अपने नाम किया है. यह वॉक स्पेस शटल के बाहरी स्पेस में था. सुनीता विभिन्न अभियानों में कुल 321 दिन 17 घंटे और 15 मिनट अंतरिक्ष में रहीं. सुनीता विलियम्स की उपलब्धियों को सम्मान देते हुए भारत सरकार ने वर्ष 2008 में पद्म भूषण से सम्मानित किया था.

सिरीशा बांदला जन्मस्थान : गुंटूर

भारत में जन्मीं अंतरिक्ष यात्री सिरीशा बंदला वर्जिन गेलेक्टिक कंपनी के वीएसएस यूनिटी स्पेसशिप पर अंतरिक्ष गये छह व्यक्तियों के एक चालक दल का हिस्सा थीं. वर्जिन गेलेक्टिक एक ब्रिटिश-अमेरिकी स्पेसफ्लाइट कंपनी है. धरती से अंतरिक्ष तक और फिर वापसी का यह सफर 70 मिनट का रहा. हालांकि, सिरिशा की यह उड़ान कल्पना चावला और सुनीता विलियम्स के अंतरिक्ष मिशन से कुछ अलग थी.

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