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ज्ञानवापी केस: सभी मुकदमों की सुनवाई एक साथ करने पर आज आ सकता है फैसला, चार महिलाओं ने दायर की है याचिका

ज्ञानवापी परिसर प्रकरण से जुड़े सात मामलों की सुनवाई एक साथ किए जाने संबंधी आवेदन पर जिला जज डॉ अजय कृष्ण विश्वेश मंगलवार आज दे सकते हैं आदेश. इस मामले की सुनवाई पूरी हो चुकी है. आदेश के लिए पत्रावली सुरक्षित रखी गई है.

Varanasi : वाराणसी स्थित ज्ञानवापी परिसर प्रकरण से जुड़े सात मामलों की सुनवाई एक साथ किए जाने संबंधी आवेदन पर जिला जज डॉ अजय कृष्ण विश्वेश मंगलवार को आदेश दे सकते हैं. इस मामले की सुनवाई पूरी हो चुकी है. आदेश के लिए पत्रावली सुरक्षित रखी गई है. ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामले की चार महिला वादियों की तरफ से जिला जज की अदालत में आवेदन दिया गया था. उनकी तरफ से कहा गया था कि ज्ञानवापी से जुड़े सात मामले कई अदालतों में चल रहे हैं, सभी मामले एक जैसे हैं. सभी मामलों में मां श्रृंगार गौरी के दर्शन-पूजन की मांग की गई है. इसलिए सभी मामलों की सुनवाई एक साथ एक ही कोर्ट में की जानी चाहिए. इस आवेदन पर सुनवाई पूरी हो चुकी है. अधिवक्ता मदन मोहन यादव ने बताया कि जिला जज की अदालत से आदेश के लिए अब तक कई तारीखें पड़ चुकी हैं. अब इस मामले की सुनवाई आज मंगलवार को होनी है.

यहां जानिए क्या है मामला

गौरतलब है कि ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर 1991 में पहली बार अदालत में याचिका दाखिल की गई थी. वाराणसी के साधु-संतों ने सिविल कोर्ट में याचिका दाखिल करके वहाँ पूजा करने की माँग की थी. याचिका में मस्जिद की ज़मीन हिंदुओं को देने की माँग की गई है. लेकिन मस्जिद की प्रबंधन समिति ने इसका विरोध किया और दावा किया कि ये उपासना स्थल क़ानून का उल्लंघन है. वहीं चार महिला वादियों के तरफ से दावा किया गया है कि माँ शृंगार देवी, भगवान हनुमान और गणेश, और दिखने वाले और अदृश्य देवी देवता दशाश्वमेध पुलिस थाने के वार्ड के प्लॉट नंबर 9130 में मौजूद हैं, जो काशी विश्वनाथ कॉरिडोर से सटा हुआ है. उनकी यह भी मांग है कि अंजुमन इन्तेज़ामिया मस्जिद को देवी देवताओं की मूर्तियों को तोड़ने, गिराने या नुक़सान पहुंचाने से रोका जाए. मांग यह भी है कि उत्तर प्रदेश सरकार को “प्राचीन मंदिर” के प्रांगण में देवी देवताओं की मूर्तियों के दर्शन, पूजा और भोग करवाने के लिए सभी सुरक्षा के इंतज़ाम करने के आदेश दिए जाएं. अपनी याचिका में इन महिलाओं ने अलग से अर्ज़ी देकर यह भी मांग की थी कि कोर्ट एक अधिवक्ता आयुक्त (एडवोकेट कमिश्नर) की नियुक्ति करे जो इन सभी देवी देवताओं की मूर्तियों के अस्तित्व को सुनिश्चित करे.

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