जमुई. जमुई में एमपी एमएलए कोर्ट ने राजद नेता और पूर्व मंत्री जयप्रकाश नारायण यादव और विजय प्रकाश सहित 9 आरोपितों को रिहा कर दिया है. केस करने वाले इंस्पेक्टर ने ही न्यायालय में बयान से मुकर गये. 18 साल तक चली सुनवाई के बाद न्यायालय से यह फैसला आया है. विधानसभा चुनाव के दौरान 18 अक्टूबर 2005 में राजद प्रत्यासी के रूप में पुलिस ने हथियार, शराब और 6,68,000 रुपये के साथ उन्हें गिरफ्तार किया था. उन पर जिले के खैरा थाना में कांड संख्या 183/2005 दर्ज किया गया था. अब साक्ष्य के आभाव में पूर्व मंत्री जयप्रकाश और विजयप्रकाश सहित नौ आरोपियों को रिहा किया गया है.
न्यायालय की सख्ती के बाद कोर्ट में गवाही के लिए आये खैरा थाना कांड संख्या 185/2005 के सूचक इंस्पेक्टर शाहिद अख्तर ने जो बयान दिया वह मुकदमे को समाप्त करने वाला अंतिम मार्ग साबित हुआ. लंबे समय से गवाही के लिए एफआईआर करने वाले जमुई के तत्कालीन इंस्पेक्टर और खैरा थाना के प्रभारी के रूप में मुकेश्वर प्रसाद को सस्पेंड करने के बाद पदभार ग्रहण करने वाले शाहिद अख्तर ने टालमटोल के बाद न्यायालय में अपने बयान दिया. उन्होंने कहा कि एफआईआर में जो आवेदन दिया गया है, उसमें मैंने लिखे हुए कागज पर हस्ताक्षर किये थे, जिस आवेदन पर एफआईआर किया गया है, वह आवेदन किसकी लिखावट में है, उसे वह नहीं पहचानते और घटना से भी पूरी तरह अनजान हैं.
अब रिटायर हो चुके जमुई के तत्कालीन इंस्पेक्टर शाहिद अख्तर के न्यायालय में दिये इस गवाही ने खैरा थाना कांड संख्या 185/2005 के प्रमाणिकता को ही समाप्त कर दिया. जिसके आधार पर 18 साल बाद लंबी कानूनी प्रक्रिया के बाद सभी नामजद 9 लोगों को साक्ष्य के आभाव में रिहा कर दिया गया. विजय प्रकाश के भाई तत्कालीन मंत्री जयप्रकाश नारायण यादव पर आरोप लगा था कि वो भाई से मिलने पहुंचे थे और उसे छुड़ा लिया था. मामले में तत्कालीन थाना प्रभारी मुकेश्वर प्रसाद को एसपी अरविंद कुमार ने तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया था. उसी रात जमुई के तत्कालीन इंस्पेक्टर शाहिद अख्तर को खैरा थाना का प्रभारी बनाया गया था. उस समय एक नया मुकदमा दर्ज करते हुऐ जयप्रकाश नारायण यादव, विजय प्रकाश, त्रिवेणी यादव, रामदेव यादव, अशोक राम, बटोही यादव, इलियास खान, निहाल फखरुद्दीन और तत्कालीन थाना प्रभारी मुकेश्वर प्रसाद को नामजद अभियुक्त बनाया गया था.