देवघर, दिनकर ज्योति. सकल देवघर समाज और पंडा धर्मरक्षिणी सभा द्वारा बमबम बाबा ब्रह्मचारी पथ स्थित समाजबाड़ी में एक व्याख्यानमाला का आयोजन किया गया. इसमें मठ-मंदिर और भारतीय संस्कृति विषय पर चर्चा की गयी. मुख्य वक्ता सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय के अतिरिक्त गणेश वर्णवाल और डॉ राजकिशोर हांसदा भी कार्यक्रम में उपस्थित थे. कार्यक्रम की शुरुआत मुख्य अतिथि अश्विनी उपाध्याय, सभाध्यक्ष डॉ मोती लाल द्वारी, पंडा धर्मरक्षिणी सभा के महामंत्री कार्तिक नाथ ठाकुर, डॉ एनडी मिश्रा और गौरीशंकर शर्मा आदि अतिथियों ने दीप जला कर किया. राजेश झा ने कार्यक्रम के उद्देश्य पर प्रकाश डाला. स्वागताध्यक्ष डॉ एनडी मिश्रा ने अश्विनी उपाध्याय के कार्यों पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि श्री उपाध्याय के सामने आने से अब मठ-मंदिर और भारतीय संस्कृति को बचाने के लिए उम्मीद की किरण जगी है.
मुख्य वक्ता अश्विनी उपाध्याय ने उपस्थित लोगों को सम्बोधित करते हुए कानून का सहारा लेने की सलाह दी. उन्होंने कहा कि देश में सभी धार्मिक जगह स्वतंत्र हैं, केवल मठ-मंदिरों के पैसों पर सरकार की नजर है. मठ-मंदिर पवित्र स्थल के अलावा सांस्कृतिक, सामाजिक, आर्थिक जगह भी हैं. मठ-मंदिर आनेवाले श्रद्धालु अपने घर से निकल कर मंदिर आने तक गाड़ी, प्रसाद, फूल-माला, बच्चों के सामान, होटल आदि पर अच्छा खासा खर्च करते हैं. मुश्किल से 10 प्रतिशत खर्च मंदिर में करते हैं. मंदिरों के पैसे से गुरुकूल, वैद्यशाला, व्यायामशाला खोलने की जरूरत है. हमारा पैसा हमारी संस्कृति बचाने पर खर्च होना चाहिए. फिर भी सरकार की नजर उसी पैसे पर रहती है. आज के नेता वोट और नोट पर ध्यान रखते हैं. अपनी बात अपने वोट की ताकत से मनवाना सीखना होगा. जाति में बंटने पर संख्या कम हो जायेगी. जाति मिटा कर एक बनना होगा, तभी अपनी संख्या अधिक होगी. उन्होंने बुजुर्गों से कहा कि बचपन खेलने में और जवानी पारिवारिक कामों में बिताया है.
अब कम से कम 10 वर्ष अपनी संस्कृति को बचाने के लिए दीजिए. उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि घर में आग लगने पर यदि चलने में आप असमर्थ हैं तो आग-आग हल्ला करना शुरू कीजिए, ताकि आवाज सुन कर युवा मदद में आगे आ सकें. उन्होंने बताया कि मुगल सल्तनत ही रात्रि विवाह, घर में विवाह, बाल विवाह तथा घूंघट प्रथा आदि जैसी सामाजिक कुरीतियों का कारण बनी. बांग्लादेशी व रोहिंग्या 10 से 15 हजार रुपये खर्च कर अपने देश में प्रवेश कर रहे हैं. इसके बाद मुफ्त के पीएम आवास और राशन ले रहे हैं. श्री उपाध्याय ने इनके झारखंड प्रवेश पर रोक लगाने की अपील की.उपरोक्त मौके पर पंडा धर्मरक्षिणी सभा के मंत्री अरुणानंद झा, प्रभात मिश्र, हीरा पुरोहितवार, चंद्रशेखर खवाड़े, रूबी द्वारी झा, रूपा केसरी, संजय मिश्र, पवन टमकोरिया और विजय खवाड़े आदि भी मौजूद थे.
कार्यक्रम के दौरान पंडा धर्मरक्षिणी सभा के महामंत्री कार्तिक नाथ ने श्री उपाध्याय को माला, अंगवस्त्र और बाबा की तस्वीर देकर सम्मानित किया. वहीं, झारखंड के लोगों के लिए अच्छे कार्य करनेवाले किशोर राणा, सुखदेव यादव व राजेंद्र हांसदा को भी आयोजन समिति की ओर से सम्मानित किया गया. मुख्य अतिथि श्री उपाध्याय और पंडा धर्मरक्षिणी सभा के महामंत्री कार्तिक नाथ ठाकुर ने इन्हें भी माला, अंगवस्त्र और बाबा की तस्वीर देकर सम्मानित किया.
मठों और मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त कराने के लिए चल रही कानूनी लड़ाई के बीच सर्वोच्च न्यायालय के वकील अश्विनी उपाध्याय शुक्रवार को देवघर पहुंचे. उन्होंने कहा कि हमारे देश में न्याय पाने के दो रास्ते हैं. संयोग से दोनों का पहला अक्षर एस है. इसमें किसी एक एस के पास जाना होगा. ये हैं – संसद या सुप्रीम कोर्ट. उन्होंने कहा कि अपने ही देश में मठ-मंदिर और संस्कृति की दशा देख कर दुख हुआ. बचाव के लिए संसद या सुप्रीम कोर्ट दो ही रास्ते थे. उन्होंने दूसरे रास्ते को चुना. 2002 में वकालत की पढ़ाई पूरी कर राम जेठमलानी के साथ काम करने लगे. पहला केस 2010 में ट्रिपल तलाक पर किया. वर्तमान समय में जनहित के 150 पीआइएल केस दर्ज किये हैं. इसमें 125 केस सुप्रीम कोर्ट में और 25 केस दिल्ली हाइकोर्ट में है. इसमें 35 केस मठ-मंदिरों से जुड़ा है. कई केसों में सफलता मिल चुकी है, जबकि कुछ केस फाइनल हीयरिंग के लिए कतार में हैं. उन्होंने कहा कि मठ-मंदिर को सरकारी नियंत्रण से मुक्त कराने के लिए चल रहा केस सुप्रीम कोर्ट के फाइनल हीयरिंग में है. इसकी सुनवाई शुरू होते ही देवघर के बाबा मंदिर को भी लाभ मिलेगा. एक सवाल के जवाब में श्री उपाध्याय ने कहा कि वह आम आदमी पार्टी के संस्थापक सदस्य हैं. यह पार्टी अब अपने मूल सिद्धांतों से अलग हो गयी है, इसलिए उन्होंने आप पार्टी से किनारा कर लिया है.