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ईडी को विष्णु अग्रवाल के खिलाफ मिला बड़ा सबूत, चेशायर होम रोड की जमीन खरीद में की गयी है जालसाजी

सदर थाना क्षेत्र के चेशायर होम रोड (मौजा-गाड़ी) स्थित एक एकड़ जमीन की खरीद बिक्री के लिए दस्तावेज में हेरफेर और जालसाजी की गयी है. इन्ही फर्जी दस्तावेज के सहारे विष्णु अग्रवाल ने यह जमीन खरीदी है

रांची, शकील अख्तर:

बड़गांई और कोलकाता निबंधन कार्यालय के दस्तावेज में की गयी जालसाजी और हेरफेर के बाद विष्णु अग्रवाल ने चेशायर होम रोड में एक एकड़ जमीन खरीदी. सेना की जमीन की बिक्री से संबंधित सेल डीड में जगत बंधु टी स्टेट द्वारा सात करोड़ में जमीन खरीदे जाने का उल्लेख किया गया है. लेकिन प्रदीप बागची को सिर्फ 25 लाख रुपये का ही भुगतान किया गया है. शेष रकम के भुगतान का दावा फर्जी पाया गया है. जमीन की हेराफेरी मामले की जांच में प्रवर्तन निदेशालय को इससे संबंधित सबूत मिले हैं.

इडी ने जांच में पाया कि सदर थाना क्षेत्र के चेशायर होम रोड (मौजा-गाड़ी) स्थित एक एकड़ जमीन की खरीद बिक्री के लिए दस्तावेज में हेरफेर और जालसाजी की गयी है. इन्ही फर्जी दस्तावेज के सहारे विष्णु अग्रवाल ने यह जमीन खरीदी है. सेना की जमीन की खरीद बिक्री के लिए भी इसी तरह की जालसाजी की गयी है. मामले की जांच के दौरान इडी ने बड़गांई अंचल और कोलकाता के निबंधन कार्यालय का सर्वे किया.

पीएमएलए की धारा 16 मे निहित प्रावधानों के तहत नौ फरवरी 2023 को बड़गांईअंचल और 15 फरवरी को कोलकाता निबंधन कार्यालय का सर्वे किया. बड़गांई अंचल कार्यालय में किये गये सर्वे के दौरान जमीन से संबंधित दस्तावेज में हेर-फेर किये जाने का मामला प्रकाश में आया. सर्वे के दौरान पाया गया कि मौजा गाड़ी के खाता नंबर-37, प्लॉट नंबर 28 से संबंधित रजिस्टर-टू( वॉल्यूम-13,रजिस्टर-टू, मौजा गाड़ी-194) में हेर-फेर की गयी है.

इसके अलावा एमएस प्लॉट नंबर-557, थाना नंबर-192, मोरहाबादी (वॉल्यूम-वन, रजिस्टर-टू) में हेरफेर कर फर्जी दस्तावेज तैयार किये गये हैं. 15 फरवरी 2023 को कोलकाता निबंधन कार्यालय में किये गये सर्वे के दौरान भी दस्तावेज में हेरफेर करने का मामला प्रकाश में आया. सर्वे के दौरान पाया गया कि वर्ष 1932 का सेल डीड नंबर 436, एमएस प्लॉट नंबर 557, थाना नंबर- 192 (वर्ष 1932 का वॉल्यूम 108) से जुड़ी संपत्ति के दस्तावेज में हेरफेर की गयी है.

सर्वे के दौरान वर्ष 1948 के सेल डीड नंबर 184, मौजा गाड़ी के आरएस प्लॉट नंबर 28 (वर्ष 1948 के वॉल्यूम 48) से संबंधित दस्तावेज में हेरफेर की गयी है. इसके अलावा वर्ष 1943 के सेल डीड नंबर 1813, एमएस प्लॉट नंबर 668, खाता नंबर 29, थाना नंबर-192, मोरहाबादी (वर्ष 1943 के वॉल्यूम नंबर 48) में हेरफेर की गयी है. इडी ने जांच में पाया कि सेना के कब्जेवाली जमीन की खरीद बिक्री में संपत्ति का मूल्य कम आंका गया है.

सरकार द्वारा निर्धारित सर्किल रेट पर सेना के कब्जेवाली जमीन की कीमत 20.75 करोड़ रुपये होता है. लेकिन प्रदीप बागची द्वारा इस जमीन को जगत बंधु टी स्टेट को बेचने से संबंधित निबंधित सेल डीड में इस जमीन की कीमत सिर्फ सात करोड़ रुपये होने का उल्लेख किया गया है.

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