झारखंड की हरेक पंचायत में रेनगेज मशीन लगेगी. कृषि विभाग किसानों को मौसम की सटीक जानकारी देने के लिए ऐसा कर रहा है. इसके लिए विभाग ने 48 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है. पहले चरण में मशीन प्रखंडों में लगायी जायेगी. इसके बाद पंचायतों तक इसको ले जाने की तैयारी है. इससे प्राप्त डाटा किसानों तक पहुंचाने में मौसम विभाग सहयोग करेगा. मौसम केंद्र, रांची और कृषि विभाग की कई चरण की वार्ता हो चुकी है.
दोनों विभाग इस पर सहमत हैं कि राज्य के ज्यादा से ज्यादा किसानों को मौसम अलर्ट दिया जाये. एक रेनगेज मशीन लगाने पर 2.5 लाख लागत आयेगी. इसके अतिरिक्त मौसम केंद्र भी अपना 150 ऑटोमेटिक वेदर स्टेशन लगा रहा है. इसके लिए जिलों से जमीन उपलब्ध कराने को कहा गया है.
कृषि विभाग 40 लाख से अधिक किसानों तक डाटा पहुंचाने की तैयारी कर रहा है. अभी 35 लाख के करीब किसानों का डाटा कृषि विभाग के पास है. मौसम केंद्र को यह डाटा कैसे शेयर किया जायेगा, इस पर विचार चल रहा है. कृषि विभाग पहले अपने यहां रेनगेज से इकट्ठा होनेवाला डाटा जमा करेगा. उस डाटा को एक्सेस करने का प्रावधान मौसम केंद्र के लिए किया जा सकता है.
कृषि विभाग और मौसम केंद्र ने मिलकर मौसम अलर्ट कॉमन सर्विस सेंटर (सीएससी) तक पहुंचाने का प्रयास कर रहा है. कुल 25 हजार केंद्रों तक मौसम की सेवा दी जायेगी. वहां आने वाले किसानों को मौसम के बारे में जानकारी दी जायेगी. प्रतिदिन इससे संबंधित एक रिपोर्ट भी सीएससी सेंटर पर प्रदर्शित होगा. हर दिन तीन बार मौसम रिपोर्ट जारी किया जायेगा.
मौसम केंद्र ज्यादा से ज्यादा लोगों तक मौसम की जानकारी देने के लिए दामिनी और सचेत ऐप अलर्ट देगा. मौसम केंद्र अलर्ट या सूचना तैयार कर आपदा प्रबंधन विभाग को देता है. आपदा प्रबंधन विभाग इसका टेलीकॉम कंपनियों के माध्यम से प्रचार-प्रसार कराता है. सचेत ऐप से मौसम अलर्ट जारी होता है, जबकि दामिनी ऐप से वज्रपात की जानकारी दी जाती है.
देश में पहली बार इस तरह का प्रयास हो रहा है. हम लोग किसानों को उनकी भाषा में मौसम के अनुकूल खेती परामर्श भी देने की कोशिश में हैं. इसके लिए कृषि विभाग के किसान कॉल सेंटर का उपयोग करेंगे. किसानों को उनकी भाषा में वॉइस मैसेज से जानकारी देने का प्रयास हो रहा है. मौसम केंद्र कोशिश कर रहा है कि मौसम संबंधी जानकारी ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचे.
अभिषेक आनंद, मौसम केंद्र प्रभारी, रांची