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धनबाद की 37 समेत राज्य की 142 कंपनियाें का कोल लिंकेज रद्द, देखें पूरी लिस्ट

खान विभाग ने धनबाद की 37 समेत 142 कंपनियों का कोल लिंकेज समाप्त कर दिया है. इन कंपनियों द्वारा कोयला लेने के लिए दी गयी अग्रिम राशि झारखंड राज्य खनिज विकास निगम (जेएसएमडीसी) से वापस लेने का निर्देश दिया गया है.

रांची, सुनील चौधरी : खान विभाग ने धनबाद की 37 समेत 142 कंपनियों का कोल लिंकेज समाप्त कर दिया है. इन कंपनियों द्वारा कोयला लेने के लिए दी गयी अग्रिम राशि झारखंड राज्य खनिज विकास निगम (जेएसएमडीसी) से वापस लेने का निर्देश दिया गया है. खान विभाग को आशंका है कि इन 142 कंपनियों में बड़ी संख्या में शेल कंपनी (कागजी कंपनी) है, जिनकी कोई फैक्ट्री तो नहीं है पर फैक्ट्री के नाम पर कोयला उठा रहे हैं और खुले बाजार में खुदरा दर पर बेच रहे हैं. इसका खुलासा इडी की जांच में भी हो चुका है.

इडी ने उजागर किया था मामला

इडी की जांच में यह खुलासा हुआ था कि हजारीबाग के कोयला व्यवसायी इजहार अंसारी ने लघु व मध्यम उद्योगों के नाम पर मिले सस्ते कोयले को बनारस की मंडी में बेचा है. राज्य सरकार की अनुशंसा पर कोल इंडिया ने इजहार की 13 कागजी कंपनियों को कोयला आवंटित किया था. वित्तीय वर्ष 2021-22 में इन कंपनियों को 2209.08 एमटी कोयले का लिंकेज मिला था. लिंकेज दिलाने में सीए सुमन कुमार ने महत्वपूर्ण भूमिका निभायी थी. साथ ही अफसरों के लिए कमीशन की वसूली की थी. इडी की जांच के दौरान इससे संबंधित सबूत मिले है. बिजली बिल की जांच से भी 13 कंपनियों के बंद होने की पुष्टि हुई थी.

इडी ने तीन मार्च को हजारीबाग के व्यापारी इजहार अंसारी के ठिकानों पर छापा मारा था. छापामारी के दायरे में 13 कंपनियों को भी शामिल किया गया था. सभी कंपनियां एक ही व्यक्ति इजहार अंसारी की थी. जांच के दौरान सभी कंपनियां बंद पायी गयीं. इडी ने जांच में पाया कि राज्य सरकार की अनुशंसा के आलोक में इन कंपनियों के लघु उद्योगों के नाम पर कोल इंडिया ने कोयला आवंटित किया था. वर्ष 2021-22 में इजहार की 13 कंपनियों को कुल 22009 एमटी कोयला मिला था. यह कोयला दिलाने में सीए सुमन का ही हाथ था. इसके बाद जेएसएमडीसी ने 18 मार्च को कोल लिंकेज प्राप्त सभी 142 कंपनियों की सूची जारी कर आम लोगों से सूचना मांगी थी कि ये कंपनियां चल रही हैं या नहीं. अब खान विभाग ने कोल कंपनियों को भी इसकी सूचना दे दी है कि फिलहाल कोल लिंकेज किसी कंपनी को नहीं दिया गया है. यानी कोल कंपनियां रियायती दर पर अब कोयले की आपूर्ति इन 142 कंपनियों को नहीं कर सकती है.

क्या होता है कोल लिंकेज

कोयला नीति 2007 के तहत वैसे एमएसएमइ उद्योग जिन्हें अपना कारखाना चलाने के लिए कोयले की जरूरत होती है, उन्हें कोयला उपलब्ध कराने के लिए कोल लिंकेज का प्रावधान किया गया है. उन्हें खपत के मुताबिक कोयला संबंधित कोल कंपनियों से उपलब्ध कराया जाता है. इसके लिए जिला प्रशासन से लेकर खान विभाग तक की अनुमति लेनी पड़ती है. जिन्हें कोल लिंकेज मिल जाता है वे बाजार मूल्य से भी कम लागत दर पर कोयला लेते हैं और अपने कारखाने में इस्तेमाल करते हैं. इन्हें राज्य में स्थित कोल कंपनियां सीसीएल, बीसीसीएल और इसीएल के विभिन्न खदानों से कोयला मिलता है. हाल के दिनों में अवैध कोयले की ढुलाई की काफी शिकायतें मिली है. इडी की जांच में भी ये बातें सामने आयी हैं कई शेल कंपनियां केवल कोयला ढुलाई के लिए ही खोली गयी है. दरअसल ये कोयला फिर बाजार में बेच देते हैं. इसकी जांच अब करायी जा रही है.

जिला से लेकर मुख्यालय तक के अधिकारियों की होती है मिलीभगत

कोल लिंकेज के खेल में जिला प्रशासन से लेकर मुख्यालय स्तर तक के अधिकारियों की मिलीभगत होती है. एमएसएमइ इकाइयों को कोल लिंकेज लेने के लिए जांच की जवाबदेही जिला प्रशासन की होती है. जिला प्रशासन की अनुशंसा पर ही खान विभाग की राज्यस्तरीय कोल लिंकेज देती है. हालांकि फर्जी कंपनियां धड़ल्ले से कोयला उठाती रही और न ही जिला प्रशासन को खबर मिली और न ही मुख्यालय को. अब जब इडी की छापेमारी में बातें सामने आ रही है तो खान विभाग ने सबका कोल लिंकेज ही रद्द कर दिया.

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37 कोल कंपनियाें में अधिकांश निरसा, गोविंदपुर व झरिया क्षेत्र की

खान विभाग ने जिन 142 कंपनियों का कोल लिंकेज समाप्त किया है, उनमें धनबाद जिले की करीब 37 कंपनियों के नाम शामिल हैं. इनमें से ज्यादातर निरसा, गोविंदपुर व झरिया क्षेत्र की कंपनियां हैं. वहीं बोकारो जिले की भी एक दर्जन कंपनियाें का लिंकेज खत्म किया गया है. बताते चलें कि जेएसएमडीसी ने 18 मार्च को कोल लिंकेज प्राप्त सभी 142 कंपनियों की सूची जारी कर आम लोगों से सूचना मांगी थी कि ये कंपनियां चल रही हैं या नहीं.

धनबाद की इन कंपनियों का लिंकेज हुआ समाप्त

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