पटना. भाकपा-माले के विधायक संदीप सौरभ की अध्यक्षता में शनिवार को नयी शिक्षक नियमावली पर शिक्षक- अभ्यर्थियों की बैठक हुई. उन्होंने कहा महागठबंधन के घोषणापत्र के अनुसार सभी नियोजित शिक्षकों को सरकारी कर्मी का दर्जा दिया जाये. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि नयी शिक्षक नियमावली पर महागठबंधन के सभी दलों की सहमति है, यह सच नहीं है. माले से कोई राय नहीं ली गयी. इन्हीं कारणों से महागठबंधन के दलों की संयोजन समिति बनाने की मांग माले लगातार उठाती रही है. इस दिशा में अब ठोस पहल करने की जरूरत है.
संदीप सौरभ ने कहा कि नयी नियमावली में शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा देने की घोषणा स्वागत योग्य है , लेकिन इसमें परीक्षा नहीं ली जानी चाहिए. महागठबंधन के घोषणापत्र के अनुसार सभी नियोजित शिक्षकों को सरकारी कर्मी का दर्जा दिया जाये. सातवें चरण के शिक्षक अभ्यर्थी तो उम्मीद कर रहे थे कि सरकार उनके लिए नोटिफिकेशन जारी करेगी, लेकिन अब वह एक और परीक्षा की बात कर रही है. विदित हो कि सरकार ने 2019 में एसटीइटी परीक्षा को एक प्रतियोगी परीक्षा के बतौर आयोजित किया था, लेकिन बाद में वह उसे महज पात्रता परीक्षा कहने लगी. इसके कारण सातवें चरण के शिक्षक अभ्यर्थियों में पहले से ही काफी आक्रोश है.
संगठनों की बैठक में सर्वसम्मति से बिहार शिक्षक संघर्ष मोर्चा का गठन किया गया व मोर्चे का संरक्षक विधायक संदीप सौरभ को नियुक्त किया गया. बैठक में यह तय हुआ की सभी संगठन के अध्यक्ष या महासचिव मोर्चे के अध्यक्ष मंडल के सदस्य होंगे. साथ ही राज्य सरकार से यह मांग की गयी की सरकार बिहार विद्यालय अध्यापक नियमावली–2023 में संशोधन कर स्थानीय निकायों से नियुक्त शिक्षकों को बिना शर्त राज्यकर्मी के रूप में समायोजित करे. साथ ही मोर्चे में आगामी कार्यक्रमों की रूपरेखा को तय करते हुए 17 अप्रैल को सरकार से वार्ता करने एवं ज्ञापन देने व 18 अप्रैल को जिला में बैठक कर मोर्चे का गठन व 20 अप्रैल को प्रखंड मुख्यालयों पर धरना प्रदर्शन करने व 26 अप्रैल को जिला मुख्यालय पर धरना देने का कार्यक्रम तय किया. साथ ही 27 अप्रैल को पटना में पुनः सभी संगठनों की बैठक आयोजित करने व 30 अप्रैल को पटना में शिक्षक महासम्मेलन के रूपरेखा तैयार करने पर भी सहमति बनी.