पटना. सनातन धर्म में वैशाख मास को पुण्य मास माना गया है. इस मास के सबसे प्रमुख त्योहार अक्षय तृतीया वैशाख शुक्ल तृतीया में 23 अप्रैल यानी रविवार को शुभ योगों के महासंयोग में मनाया जायेगा. इस दिन रोहिणी नक्षत्र के साथ सौभाग्य योग के अलावा रवियोग व जयद योग भी विद्यमान रहेगा. ज्योतिष शास्त्र में अक्षय तृतीया को अबूझ मुहूर्त कहा गया है और इस दिन किया गया स्नान-दान, व्रत, पूजा-पाठ, धार्मिक अनुष्ठान, शुभ कार्य आदि करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती हैं. इस दिन गंगा, गंडक, कमला, कौशिकी, बागमती नदी, सागर व तीर्थ में स्नान से कई गुना पुण्यफल प्राप्त होते हैं. भगवान परशुराम का प्राकट्योत्सव भी इसी दिन मनाया जायेगा. भविष्य पुराण के अनुसार इसी दिन सतयुग व त्रेता युग का आरंभ तथा महाभारत का अंत हुआ था.
आचार्य राकेश झा ने बताया कि अक्षय तृतीया पर महिलाएं अपने सुहाग की रक्षा के लिए श्रीहरि विष्णु, माता लक्ष्मी व गौरी की पूजा तथा व्रत करेंगी. इस तिथि पर शुभ कार्य करने से उसका पुण्य अक्षय रहता है और उसका शुभ फल ही मिलता है.
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ग्रह-नक्षत्रों के शुभ संयोग, शुभ योगों के महासंयोग, सर्वसिद्ध मुहूर्त व अबूझ मुहूर्त में सोना, मोती, रत्न, स्थिर संपत्ति आदि खरीदने से जातक के जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन होता है. अक्षय तृतीया के दिन सोना, रजत, धातु, रत्न व अन्य शुभ वस्तुओं की खरीदारी करना बेहद शुभ होता है. इससे घर में सुख-समृद्धि, संपन्नता में वृद्धि, अक्षय लाभ व लक्ष्मी माता का वास होता है. सोने को हमेशा से बहुमूल्य धातु व धन- समृद्धि का प्रतीक माना गया है. इसलिए अक्षय तृतीया पर सोना खरीदना शुभ माना गया है.
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पंडित झा ने बताया कि शास्त्रों में मिट्टी की तुलना स्वर्ण से की गयी है. किसी कारणवश अक्षय तृतीया के दिन सोने की खरीदी नहीं कर सकते तो मिट्टी का पात्र या मिट्टी का दीपक भी घर लाना सोना के बराबर शुभ फल देगा.