छत्तीसगढ़ में कथित धर्मांतरण के मामले अब जनजाति समाज सक्रिय हो गया है. धर्मांतरण रोकने के लिए जनजाति सुरक्षा मंच ने 16 अप्रैल को एक बड़े आंदोलन की शुरुआत की. इस महारैली में जनजातीय समाज के हजारों लोग शामिल हुए . इसके लिए बड़े स्तर में तैयारी की गई थी . जनजाति सुरक्षा मंच डिलिस्टिंग की मांग कर रही है. इसके अनुसार मूल संस्कृति को छोड़ने वाले आदिवासियों को आरक्षण के लाभ से अलग करना है.
#WATCH | Raipur, Chhattisgarh: People from the tribal community hold a rally regarding the delisting issue and alleged religious conversion. pic.twitter.com/RWtSaXj2Cw
— ANI (@ANI) April 16, 2023
आपको बताएं कि, जनजाति सुरक्षा मंच की तरफ से रविवार 16 अप्रैल को राजधानी रायपुर के वीआईपी रोड स्थित राम मंदिर के सामने भव्य रैली निकाली गई. इस रैली के माध्यम से जनजाति समाज ने मांग कि, जिन नागरिकों ने अपनी मूल संस्कृति और अपने मूल धर्म को छोड़कर दूसरे धर्म को अपनाया है, उन्हें अनुसूचित जनजाति की श्रेणी से तत्काल बाहर किया जाए. इसके लिए आवश्यक संवैधानिक संशोधन किए जाए. इसके साथ ही छत्तीसगढ़ में बड़ी संख्या में धर्म परिवर्तन करने वाले लोगों के द्वारा मूल जनजातियों के हिस्से की सुविधाओं को अवैध रूप से छीना जा रहा है, जिसमें आरक्षण भी एक प्रमुख तत्व है. छत्तीसगढ़ के साथ-साथ देश के करोड़ों जनजातियों के साथ हो रहे अन्याय को रोकने और धर्मान्तरितों को डी-लिस्ट करने के लिए रैली निकली गई.
जनजाति सुरक्षा मंच ने डीलिस्टिंग को लेकर तर्क दिया है कि उनके समाज को आरक्षण इसीलिए दिया गया है, ताकि उनकी सामाजिक, आर्थिक स्थितियों को ऊपर उठाया जा सके. लेकिन जनजाति आरक्षण का मूल उद्देश्य तब अर्थहीन हो जाता है, जब जनजाति अपने मूल विश्वास, संस्कृति और रीति-रिवाजों को अस्वीकार कर दूसरे धर्म में परिवर्तित हो जाता है. अब प्रश्न यह उठता है कि जब कोई व्यक्ति अपने समुदाय की ही पहचान खो देता है, तो वह अपनी मूल पहचान की रक्षा और उसे बनाए रखने के लिए दिए गए लाभों को उठाने का पात्र कैसे हो सकता है ? इसीलिए अपनी मूल संस्कृति, रीति-रिवाजों, भाषाओं, परंपराओं और पुरखों की विरासत को बचाने के लिए जनजाति सुरक्षा मंच ने 16 अप्रैल को विशाल महारैली का आयोजन किया.